Sunday, December 22, 2024
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ममता बनर्जी और केजरीवाल द्वारा मल्लिकार्जुन खरगे को इंडिया गठबंधन का संयोजक और प्रधान मंत्री पद के लिए प्रत्याशी बनाने की बात कहना और विरोध में नीतिश का इंडिया गठबंधन से बाहर होने के बाद सम्भवतः मल्लिकार्जुन खरगे इंडिया गठबंधन की तरफ से प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनेंगे ?

अबतक यही होता रहा है कि जब भी भाजपा या NDA गठबंधवि द्वारा विपक्षी दलों से यह पूछा जाता रहा है कि हमारी तरफ तो मोदी जी ही हैं विपक्ष का प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी कौन? इस प्रश्न के बाद सभी विपक्षी दलों के जो (इंडिया गठबंधन ) नेता होते थे वो बगली झांकने लगते थे इंडिया गठबंधन बनाने की शुरूवात निःसंदेश नीतिश कुमार ने इस आशा के साथ की थी कि सभी दल उन्हे एक स्वर मे़ं इस गठबंधन का संयोजक खुशी-खुशी मान लेंगें क्यों कि इंडिया गठबंधन के अधिकांश दल कांग्रेस के वोटरों के बल आज फल-फूल रहे हैं ये सभी क्षेत्रीय दलों ने अपने-अपने क्षेत्रों में अपनी जडे़ं अपने -अपने इलाकों में काफी मजबूत कर ली हैं इनमें (ममता बनर्जी, नीतिश कुमार, लालू यादव, शिबू सोरेन, नवीन पटनायक, चंद्रबाबू नायडु, जगनमोहन रेड्डी, अरविंद केजरी वाल,,शरद पवार आदि नेता हैं) इनमें चंद्र बाबू नायडु, जगनमोहन रेड्डी , नवीन पटनायक ) इंडिया गठबंधन का हिस्सा न होकर कहने को तो तटस्थ हैं लेकिन भाजपा नीत केंद्र सरकार के सहयोगी रहे हैं ।जब इंडिया गठबंधन पर बैठक में अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी ने नीतिश कुमार को संयोजक बनाने की बजाय मल्लिकार्जुन खरगे के नाम का प्रस्ताव रखा था उसके पहले ममता बनर्जी ने केजरीवाल को मिलाकर इसलिये खरगे जी के नाम का प्रस्ताव रख दिया क्योंकि जब नीतिश का नाम नहीं होगा तो सभी मेरे नाम का प्रस्ताव रख देंगे क्योंकि खरगे जी शायद अपने मुख से कभी भी हामी नहीं भरते और राहुल गांधी के नाम पर न तो अखिलेश यादव, शरद पवार केजरीवाल तैयार होते तो सभी ममता बनर्जी के नाम पर सभी दल सहमत हो जाते । अब हुआ ये कि नीतिश समझ गये कि जब संयोजक नहीं बन पाउंगा तो प्रधान मंत्री बनने के चक्कर में लगता है मुख्यमंत्री भी नहीं बना रह पाउंगा । क्योंकि बडा़ दल होने के नाते तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बन जाएंगे उधर ललन कुमार और लालू यादव की बढती नजदीकियों से सतर्क नीतिश ने जिनके तार पहले से भाजपा से जुडे़ थे , का दामन थाम लिया दूसरी तरफ हुआ ये कि राहुल गांधी ने अपनी भारत जोडो़ न्याय यात्रा की शुरूआत कर दी । नागालैंड, असम आदि होते पश्चिम बंगाल जब न्याय यात्रा पहुंची उसके पहले ही ममता बनर्जी ने तालमेल में अपनी तरफ से कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में मात्र दो सीटें देने की बात कह दी और एकाध स्थानों पर न्याय यात्रा को अनुमति नहीं दी और क ई जगह कांग्रेस से तृणमूल कार्यकर्ताओं से झड़प और राहुल गांधी के विरूद्ध पो स्टर , नारेबाजी और कांग्रेस के राहुल गांधी के पोस्टरों को फाड़ने जैसी घटनाएं भी हुई और राहुल की यात्रा रोकने का न केवल भरपूर प्रयास हुआ बल्कि अल्पसंख्यकों का कांग्रेस की तरफ बढते झुकाव और न्याय यात्रा में उमडी़ भारी भीड़ से ममता ने गुस्से में 40 सीट न जीतने वाली पार्टी बताते हुए कह दिया किस बात का घमंड है हिम्मत है तो वाराणसी में मोदी जी हरा कर दिखाये । हालांकि कांग्रेस नेपलट कर जबाब नहीं दिया। मात्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन के सिवा, उन्होने भाजपा से मिली भगत का आरोप लगा दिया ।लेकिन ऐसा लगता है सभी इंडिया गठबंधन के घटक दलों को यह बात समझ में आचुकी है कि मल्लिकार्जुन खरगे को मोदी जी के सम्मुख खरगे जी को आगे करने सभी दलों को फायदा हो सकता है बिहार ,यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीशगढ,महाराष्ट्र और अन्य सभी इंडिया घटक दलों को लोकसभा चुनाव में अगर सही ढंग से मल्लिकार्जुन खरगे का उपयोग कांग्रेस ने किया विशेषकर यूपी, बिहार मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में काफी लाभ सभी घटक दलों को हो सकता है और ऐसा लगता है कि चुनावों में इंडिया गठबंधन मल्लिकार्जुन खरगे को प्रधान मंत्री मोदी जी के सम्मुख अवश्य ही तुरूप के पत्ते की तरह इस्तेमाल करेगी । क्योंकि इंडिया के घटक दलों की पूरा अस्तित्व भी खतरे में है। वे सभी काग्रेस की तरफ से अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को , इंडिया गठबंधन की तरफ से प्रधान मंत्री पद का प्रत्याशी स्वीकार करना ही होगा । फिलहाल तो क्या होगा भविष्य के गर्भ में है। सम्पादकीय- News51.in

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