Sunday, June 1, 2025
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पंजाब में सरकार बचाने के लिए केजरीवाल ने दिल्ली में पी.ए.सी. की बैठक में लिए क ई फैसले,केजरीवाल जान चुके हैं कि दिल्ली के बाद अगर पंजाब हाथ से निकला तो आम आदमी पार्टी के साथ ही उनका भी राजनैतिक कैरियर गुमनामी के अंधेरे में खो जायेगा ?

आज से एक साल पहले तक जो केजरीवाल और उनकीआम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की नाक में दम करते हुए कांग्रेस से न केवल दिल्ली प्रदेश के साथ पंजाब भी छीन कर अपनी सरकार बना ली थी बल्कि गोवा,हरियाणा,जम्मू-कश्मीर, गुजरात समेत कई अन्य छोटे राज्यों में मजबूती से विधान सभा समेत लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को हरवाने में अब तक सफल रही, लेकिन दिल्ली,जो आम आदमी पार्टी का अजेय गढ और धुरी बन चुकी थी, वहां के पिछले विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के बहुत प्रयास और कोशिश के बाद भी केजरीवाल द्वारा गठबंधन के प्रयास को ठुकराना शायद केजरीवाल के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल साबित हुई, नतीजतन कांग्रेस को भले ही एक भी सीट हासिल नहीं हुई लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली से चली गई और भाजपा ने वहां सरकार बना ली जिसका असर पूरे देश में आम आदमी पार्टी और केजरीवाल पर पड़ा है, पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार शुरुआत में दो साल ठीक चली लेकिन पिछले एक साल से हिचकोले खा रही है जिस नशे और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के दम पर सरकार में आई यह भी सिर्फ हवा हवाई ही साबित हुई। वर्तमान समय में पंजाब में आम आदमी की सरकार बेहद बदनाम हो चुकी है, राजनीति के जानकार यहाँ तक मानते हैं कि अगर अभी पंजाब में चुनाव हो जाए तो बमुश्किल आम आदमी पार्टी को अधिक से अधिक 17-20 सीट ही मिल पायेगी, इस बात को केजरीवाल भांप गए हैं इसीलिए उन्होंने दिल्ली में अपनी पार्टी की उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर कई निर्णय लिए । सबसे प्रमुख रहा राघव चड्ढा को पंजाब के प्रभारी से हटाकर मनीष सिसौदिया को पंजाब का प्रभारी बनाया।वैसे भी केजरीवाल राघव चड्ढा से काफी नाराज चल रहे हैं,दरअसल राघव चड्ढा जब विदेश अपना आपरेशन कराने गए और फिर परणिति चोपड़ा से शादी की है तभी से पार्टी के कार्यों में रुचि नहीं ले रहे हैं यहांतक कि जब केजरीवाल जेल गए और पूरी पार्टी उनके साथ खड़ी थी तब भी राघव चड्ढा नहीं आये थे तभी से केजरीवाल और चड्ढा के सम्बन्ध खराब हो चले थे शुरुआत में जब पंजाब में आम आदमी की सरकार बनी थी तब सरकार अप्रत्यक्ष रूप से राघव चड्ढा ही चलाते थे अब तो हर ओर से चड्ढा के पर कतर दिया गया है। मनीष सिसौदिया पार्टी के लिए धन की फंडिंग करने में भी माहिर हैं दिल्ली में इसे वह पूर्व में कर चुके हैं यहां यह भी बताना जरूरी है कि राज्य में सम्भावित लुधियाना विधान सभा उप चुनाव में पंजाब राज्य सभा के आम आदमी पार्टी के संजीव अरोड़ा को लडाया जा रहा है। अगर वो विधान सभा चुनाव लुधियाना में जीत जाते हैं तो केजरीवाल स्वंय राज्यसभा न जाकर मनीष सिसौदिया को राज्य सभा भेज देंगे। उनकी मदद में उनके साथ सत्येंद्र जैन भी रहेंगे।दूसरा बडा महत्व निर्णय दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष उस सौरभ भारद्वाज को बनाया गया है, जिन्होने विधान सभा चुनाव हारने के बाद अपने को बेरोजगार घोषित कर अपना यू-ट्यूब बना लिया था और आम आदमी पार्टी के सबसे सीनियर और बेहद इमानदार नेता गोपाल राय को गुजरात का और पंकज गुप्ता को गोवा का प्रभारी बनाया गया है।गुजरात में तो वैसे भी पार्टी के कुछ विधायक जरूर हैं लेकिन अब वहां उसकी उपस्थित नाममात्र की है जो गोपाल राय इस विषम परिस्थिति में भी अपने विधान सभा क्षेत्र से बड़ी जीत दर्ज की उनकी बजाय चुनाव हारे सौरभ भारद्वाज को दिल्ली प्रदेश का अध्यक्ष बना दिया गया साथ ही दिल्ली प्रदेश में प्रतिपक्ष की नेता केजरीवाल की चरणदासी भी गोपाल राय को न बना आतिशी को बनाया गया है। इस तरह राघव चड्ढा के बाद गोपाल राय को गुजरात भेज कर उन्हे भी साइड लाइन कर दिया गया है, सीधा मतलब है कि केजरीवाल की प्रायरिटी पर पंजाब है जहां लगभग दो साल बाद विधान सभा का चुनाव होना है जहां भाजपा का कोई औचित्य नहीं है अकाली दल भी मृत प्रायः है और कांग्रेस के बड़े नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह, रवनीत बिट्टू भाजपा में हैं बिट्टू केंद्र में मंत्री बन गए हैं सुनील जाखड भी पार्टी छोड़कर जा चुके हैं राजा वेडिंग जो प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस के हैं वह निष्क्रिय हैंअभी तक कोई बड़ा आंदोलन या सड़क पर आम आदमी पार्टी के खिलाफ एक भी जन आंदोलन नहीं कर पाई है वहीं लुधियाना में रैली करते हुए केजरीवाल ने यह माना है कि ड्रग्स माफियाओं और भ्रष्टाचार पर पर हमारी सरकार अबतक सफल नहीं हुई है खैर अब तो तीन साल निकल गए दो साल में क्या ही कर पायेंगे।पंजाब के ड्रग्स माफियाओं या भ्रष्टाचार पर आज तक किसी भी सरकार ने अंकुश लगाया है केजरीवाल के लिए पंजाब विधान सभा चुनाव करो या मरो वाली स्थित में है अगर जीते तो राजनीतिक आक्सीजन मिल जायेगा, हारे तो न केवल आम आदमी पार्टी समाप्त हो जायेगी और साथ ही केजरीवाल का राजनितिक सफर भी हमेशा के लिए खत्म हो जायेगा। इस तथ्य से केजरीवाल भी भलीभांति जानते हैं। सम्पादकीय-News51.in

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