Sunday, September 8, 2024
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नारी सशक्तिकरण अभियान ,मुख्य मन्त्री का स्वप्निल अभियान

लखनऊ – 20 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के मुख्य मन्त्री श्री योगी जी ने कांशीराम स्मृति उपवन मे “नारी सशक्तिकरण अभियान ” का शुभारंभ किया था।जो 20 दिसंबर तक चलना है।नारी सशक्तिकरण संकल्प अभियान का जनपद आजमगढ मे सजीव प्रसारण कलेक्ट्रेट के सभागार मे किया गया था ।जिसमे आगन बाडी कार्य कर्ता, एएनएम, सहायक शिक्षक, आशा कार्य कर्ती, महिला पुलिस कर्मीयो और अन्य विभाग की महिला कर्मचारीयो ने बड़ी शालीनता और आशा के साथ मुख्य मन्त्री जी की बात को सुना और अमल करने का संकल्प भी लिया ।मुख्य मन्त्री जी ने सभी जिलो मे यह भी निर्देश दिया था कि समिति बना कर 20 दिसंबर तक यह अभियान चलाया जाए ।
मुख्य मन्त्री ने अपने संबोधन मे माताओ और बहनो से कहा था कि हमारी सरकार प्रदेश की महिलाओ के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है।उन्होंने कहा कि अहिल्याबाई कन्या निशुल्क योजना के अंतर्गत लडकियो की स्नातक स्तर तक मुफ्त शिक्षा सुनिश्चित की है ।महिला उत्पीड़न जैसी गंभीर समस्या के समाधान के लिए 181 वूमेन हेल्प लाइन पावर टीम का गठन किया है। 23 लाख से अधिक वरिष्ठ महिलाओ को लाभ पहुँचाने के लिए विधवा पेंशन योजना के लिए 60 वर्ष की सीमा को समाप्त किया गया है।उन्होने कहा था कि संकल्प अभियान मुख्यतः शिक्षा, स्वरोजगार, स्वास्थ्य एवं पोषण , स्वच्छता और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयो पर केंद्रित है ।
सजीव प्रसारण के बाद आजमगढ के जिलाधिकारी श्री शिवा कान्त द्विवेदी द्वारा सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओ स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण योजना के अंतर्गत शौचालय निर्माण, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह सम्मेलन, आदि के बारे मे सभी को विस्तार से बताया था ।
इसी प्रकार पुलिस अधीक्षक श्री रविशंकर छवि ने महिलाओ की सुरक्षा केलिए 1090,181,हेल्प लाइन, महिला थाना, डायल-100,परिवार संरक्षण कानून 2005,घरेलू हिसा अधिनियम के बारे मे विस्तार से जानकारी दी थी ।
अब सवाल यह है कि मुख्यमंत्री का यह अभियान उनके महत्वपूर्ण योमे एक है।इस अभियान के आठ दिन बीत भी गये।लेकिन इस अभियान का कितना असर स्वयम इसे समिति का गठन कर अभियान चलाने की जिम्मेदारी है वह इसे लेकर कितने जिम्मेदारी से और गम्भीरता से इस अभियान को सफल बनाने मे अपना योगदान देते है ।
जहा तक राज्य सरकार द्वारा बनाई गई योजना है उनका तो क्रियान्वयन होना है क्योंकि वह सरकारी योजना है किन्तु जहा तक महिलाओ के उत्पीड़न को रोकने की बात है ।तो जिन कंधो पर उत्पीड़न रोकने की जिम्मेदारी है अगर वही उत्पीड़न करे तो उससे कौन बचाए ।यह एक अहम प्रश्न है ।जब बात महिला उत्पीड़न की हो रही है ।तो रोज समाचारपत्रो
मे महिला उत्पीड़न की घटनाए देखने को मिलती है कही घरेलू हिंसा, कही दहेज उत्पीड़न, कही बाहर छेड़खानी की घटना आदि ।इनमे से अब कयी घटना मे पुलिस से उपर पुलिस अधीक्षक महोदय द्वारा बताए गए उपायो से काफी मदद भी मिलती है जिससे कयी उत्पीड़न की घटनाओ पर कार्यवाही होने से महिलाओ मे सरकार के प्रति आस्था भी बढती है किन्तु जिन कंधो पर सरकार ने महिलाओ की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी है वे इस पर कितने गम्भीर है। मै इसी जनपद मे ऐसी महिला अधिकारी को जानता हू जो चतुर्थ श्रेणी की महिला कर्मचारीयो से आफिस के घर का काम लेती है ।उनसे झाड़ू, पोछा कराना, कपड़े साफ कराना भी शामिल है ।हद तो यह है कि उनसे छुट्टी मे भी बुला कर काम लिया जाता है ।अपेक्षा यह भी रहती है कि देर शाम तक पांच बजे के बाद भी रूके।वो बेचारी महिला कर्मचारी किससे अपनी बात कहे ।कुछ कहने पर उनको पनिश करने की धमकी दी जाती है ।यह भी एक महिला उत्पीड़न का नमूना है ।तनख्वाह सरकार से काम घर की नौकरानी का।
मेरा यह लेख लिखने का मात्र तात्पर्य यह है कि मुख्यमंत्री का यह अभियान उनके महत्वपूर्ण योजना मे है सभी जानते है कि वह महिलाओ के उत्पीड़न पर भी दिल से रोक लगाना चाहते है ।किन्तु उसके लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण योगदान और अभियान की सफलता में सबसे ज्यादा रोल अधिकारी ही निभा सकता है ।
।।।सम्पादक की कलम से ।।।

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