Thursday, November 13, 2025
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जनता दल(यू) यानि नीतीश कुमार के अस्तित्व की लड़ाई ये चुनाव, नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन का पूरा काल कैसा रहा?

2000 का उथल-पुथल वाला साल, जब जनता दल के एक धड़े ने1999 के आम चुनाव के बाद कर्नाटक के मुख्य मंत्री जे. एच. पटेल के धड़े ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एन.डी.ए.)को समर्थन दे दिया था और एच.डी.देवगौड़ा के साथ दूसरा धड़ा जे.डी.एस.)के रूप में अलग हो गया और 30अक्टूबर को समता पार्टी के साथ विलय कर लिया। और जनता दल यूनाइटेड नाम रखा गया।जिसका चुनाव चिन्ह तीर और रंग सफेद, हरा हुआ।चुनाव आयोग ने समता पार्टी का विलय रद्द कर दिया, जिसके बाद ब्रम्हानंद मंडल इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बने, लेकिन स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण बागडोर उदय म्डल के हाथों में चली गई बाद में यह एन.डी.ए. में शामिल हो गई और 2005 के विधान सभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार को हरा दिया और यहीं से नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार का बिहार में गठन हुआ। 2009 के विधान सभा के चुनाव में इस गठबंधन को 32 सीट मिली 12 भाजपा को और 20जेडी(यू) को मिली थी,तत्काल बाद 2010 के विधान सभा चुनाव में जेडी(यू)को 115और भाजपा को91 सीट मिली।इस तरह 243 सीटों वाली विधान सभा में206 सीटें जीत कर नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बन गई। इधर लालू यादव के जेल जाने से राजद का गिरती लोक प्रियता और कांग्रेस का राजद से अलग अपना कोई अस्तित्व न बना पाना नीतीश कुमार के लिए वरदान साबित हुआ। बीजेपी भी अपना कोई नेतृत्व खड़ा नहीं कर पाई और नीतीश कुमार की पिछलग्गू बनी रही।2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार कमेटी का प्रमुख बनाए जाने के विरोध में शरद यादव ने एन. डी.ए. के संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया। जेडी(यू) ने भाजपा से 17 साल पुराना गठबंधन तोड़कर कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन मात्र दो सीट पर नीतीश कुमार को जीत हासिल हुई जब कि भाजपा को 32 सीट पर जीत हासिल हुई और नीतीश कुमार ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी नये मुख्य मंत्री बनाए गए तब भाजपा ने बिहार विधान सभा में जे.डी(यू) सरकार से बहुमत हासिल करने को कहा, तब राजद ने सरकार का साथ देकर जेडी(यू)सरकार को बचाया। और एक बार फिर जीतन राम मांझी की जगह नीतीश कुमार बिहार के मुख्य मंत्री बने।2014 के लोकसभा चुनाव की असफलता के बाद एक बार फिर जद(यू)और राजद, कांग्रेस ने 2015 के विधान सभा चुनाव में साथ मिलकर चुनाव लड़ा और 178 सीट गठबंधन ने जीता और एक बार फिर नीतीश कुमार मुख्य मंत्री बने।26 जुलाई 2017 को तेजस्वी यादव से नाराज होकर नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे कर भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई।2019 का लोकसभा चुनाव जद(यू) ने भाजपा और लोजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और 40 में 39 सीटों पर इस गठबंधन को जीत हासिल हुई। एकमात्र किशनगंज की सीट कांग्रेस को हासिल हुई थी।भाजपा को 17, लोजपा को 6 और जद(यू)को16 सीटों पर जीत हासिल हुई। 2020 के विधान सभा चुनाव में भी जद(यू)115 सीट पर,भाजपा110 सीट पर, विकास शील इंसाफ पार्टी 11, हम 7 सीट पर चुनाव लड़ी थी भाजपा को74, जद(यू)को43, हम और विकास शील पार्टी को 4-4 सीट पर विजय हासिल हुई थी और तभी से भाजपा को यह लगने लगा कि 2025 के विधान सभा चुनाव में अधिक सीट लाकर इस बार राजनितिक रूप से कमजोर होते नीतीश कुमार के बजाय अपना मुख्य मंत्री बनाकर बिहार में भाजपा को मज़बूत बनाया जा सके। भाजपा के पास अपना कोई मज़बूत मुख्य मंत्री चेहरा नहीं है इसीलिए वह चिराग पासवान को प्रोजेक्ट करना चाहेंगे किंतु यह चुनाव के बाद ही बहुमत आने पर ही यह सम्भव है इसीलिए नीतीश कुमार भी काफी नाराज चल रहे हैं, यह चुनाव 2025 सम्भवतः जद(यू)और कमजोर स्वास्थ्य वाले नीतीश कुमार के लिए अस्तित्व की अंतिम अवसर है।-सम्पादकीय- News51.in

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