जब से रविशास्त्री टीम इंडिया में सलाहकार बने हैं तभी से वह टीम के खिलाड़ियों को आपस में लड़ा कर(तत्कालिन चयन समिति के अध्यक्ष किरण मोरे के साथ) अपनी अहमियत बनाना शुरू कर दिए थे। भारतीय टीम के तत्कालीन कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी के रहते यह सम्भव नहीं था चूंकि उस समय तक धोनी के गाडफादर चेन्नई टीम के मालिक श्री निवासन उस समय उथल पुथल के शिकार हो चुके थे और उनका सितारा डूब चुका था ।ऐसे में पहले तो यह खबर उडा कर कि टेस्ट क्रिकेट और वन डे और टी 20 का अलग -अलग कप्तान होना चाहिए। रविशास्त्री ने विराट कोहली को और किरण मोरे के साथ मिल कर पहले टेस्ट कप्तानी से हटने के लिए धोनी को विवश कर दिया। उधर कोहली भी कप्तान बनने के लिए उतावले हुए जा रहे थे और बार -बार बयान दे रहे थे कि मैं कप्तान बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं। अन्त में पहले टेस्ट फिर वनडे और टी 20 यानी तीनों प्रारुप के कप्तान बन गए। फिर दोनों ने टीम में अपने विरोधी खिलाड़ियों को टीम से बाहर किया। हद तो तब हो गई जब उन्होंने टीम कोच अनिल कुम्बले को आरोप लगाते हुए टीम कोच से हटवा दिया अम्बाटी रायडू इसके साक्षात उदाहरण हैं। इधर लगातार रोहित शर्मा ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए अपना कद बढाया है तो मुम्बई लाबी और जो लोग विराट कोहली से चिढे हुए हैं रोहित शर्मा को टी 20 का कप्तान बनाए जाने की लाबिंग कर रहे हैं और इसबार भी आईपीएल में मुम्बई टीम को अपनी अच्छी कप्तानी से फाईनल में पहुंचाने वाले विराट कोहली को अपनी खराब कप्तानी से हैदराबाद की टीम से हारकर आई पीएल से बाहर हो गए विराट कोहली ने आस्ट्रेलिया दौरे के लिए घोषित टीम से फिटनेस की आड़ में बाहर करवा दिया जबकि प्रैक्टिस सेशन और मैच में रोहित शर्मा खेलते नजर आये। दर असल रविशास्त्री अपने खेल काल में गावस्कर की सिफारिश पर टीम में शामिल किए गए थे उनपर गावस्कर का स्नेह बना रहा। उस समय गावस्कर की तूती बोलती थी पूरा क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड उनके इशारे पर चलता था। बाद में कपिलदेव जब कप्तान बने तब शास्त्री के दिन भी लद गए उस समय भी रविशास्त्री विवादास्पद खिलाड़ी थे अब भी हैं। विराट कोहली और उनकी भूमिका ने टीम में अंदर ही अंदर दो धड़े बना दिया है एक धड़ा विराट कोहली का और दूसरा रोहित शर्मा का। यह तय है कि आस्ट्रेलिया दौरे में यदि भारत की असफलता पर यह लड़ाई सतह पर आनी तय है। सम्पादकीय-News 51.in