Sunday, September 8, 2024
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कांग्रेस के लिए सत्ता की चढाई में बहुत सी कठिनाइंयां हैं, अधिकांश स्वयंम उनके पूर्व के शीर्ष नेताओं की ही देन है,उनमें आंध्र, बिहार , मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल और यूपी प्रमुख हैं ?

आज हम एकदम नीचे से उपर की तरफ आती दिख रही कांग्रेस के लिए केंद्रीय सत्ता की राह अभी भी बहुत पथरीली है, जिनपर पार पाने के लिए कांग्रेस को बहुत कठिन रास्तों पर इस तरह चलना होगा कि गठबंधन के क्षेत्रीय सहयोगी दल भी नाराज न हों और उन राज्यों में कांंग्रेस संगठन काफी मजबूत भी हो जाय साथ ही अधिकांशः ऐसे राज्य हैं जहां सीधे कांग्रेस और भाजपा ही मुख्यतः लडा़ई में रहते हैं इनमें प्रमुख राज्य गुजरात, राजस्थान , मध्य प्रदेश ,हरियाणा , कर्नाटक हैं जिनमें कर्नाटक में वैसे तो कांग्रेस की सरकार है लेकिन भाजपा भी ज्यादा पीछे नहीं हैं उदाहरण लोकसभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस से ज्यादा सीटें लाई । हालांकि वहां काग्रेस के सबसे काबिल नेता सिद्धारमैया और डी शिवकुमार के हाथों में है । इसके अलावा गुजरात और मध्य प्रदेश में भाजपा काफी सशक्त है यह दोनों राज्य काग्रेस के लिए अबूझ पहेली बने हुए हैं कांग्रेस इन राज्यों में किसी योग्य नेता को प्रदेश अध्यक्ष चुनने के प्रयास में कांग्रेस आलाकमान प्रमुखता से जुटा हुआ है इसी प्रकार से हरियाणा में हुडा और उदयभान तथा शैलजा के रूप में सशक्त जोडी़ तो है लेकिन रणदीप सूरजेवाला और शैलजा की हुड्डा से आपसी लडा़ई कहीं कांग्रेस के लिए कांटा न बन जाय, देखना होगा । रही बिहार की बात तो यहां पिछले लगभग 30-35 वर्षों से कांग्रेस लालूयादव की राजद की परछाईं मात्र रह गयी है और लालू यादव ही एकप्रकार से बिहार कांग्रेस की अगुवाई कर रहे हैं एक बार 2009 मे अवश्य सोनियां गांधी ने राजद से अलग लोकसभा का चुनाव लडा़ था क्योंकि राजद ने 22 और कांग्रेस को मात्र 3 सीटें दी थी तब सोनियांगांधी ने जिद पर क ई प्रत्याशी( गठबंधन तोड़कर उतारे थे) जिसमें राजद और कांग्रेस दोनों को 4-4 सीटें मिली थी और राजद का किंग मेकर बनने का सपना भी टूटा था लेकिन फिर कांग्रेस लालू के तले दब गयी । यहां कांग्रेस के लिए समान अवसर है जिसमें उन्हे पप्पू यादव जैसा योग्य और जुझारू नेता मिल सकता है जो राहुल गांधी की तरह ही पिछडो़ं दलितों और अल्पसंख्यकों का हिमायती है और पूरे प्रदेश में कांग्रेस का संगठन मजबूती से खडा़ कर सकता है । रही बात पश्चिम बंगाल की, तो वहां ममता कभी भी कांग्रेस को आगे बढते देखना चाहेंगी। उनके धुर विरोधी लेकिन अकर्मय और कमजोर प्रदेश अध्यक्ष इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन अभी किसी योग्य और जुझारू प्रदेश नेतृत्व की तलाश जारी है बिहार और पश्चिम बंगाल दो ऐसे राज्य हैं जहां पर कांग्रेस आगे बढ सकती है लेकिन इसके लिए कांग्रेस आलाकमान को मजबूत कदम उठाने होंगे । यहां यह बताना जरूरी है कि बिना राज्यों मे मजबूती के कांग्रेस का सत्ता में आने का सपना अधूरा ही रहेगा इसके लिए कांग्रेस को ही इंडिया गठबंधन की अगुवाई में स्वयम कांग्रेस को 150 से 175 सीटों पर जीतना ही होगा और इसके लिये अन्य राज्यों में भी अपनी सीटें बढानी ही होगी। रही बात यूपी की तो, यहां राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने धमाल मचा रखा है और इस गठबंधन को थोडा़ और विस्तार देना होगा जिसका फायदा दोनों दलों को मिलना तयं है ।- सम्पादकीय-News51.in

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