Sunday, September 8, 2024
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कांग्रेस के लिए अच्छा ही हुआ, 23 जून की बैठक से पहले ही केजरीवाल और ममता बनर्जी ने अपना इरादा साफ कर दिया । ममता का बंगाल के बाहरऔर केजरीवाल का मध्यप्रदेश और राजस्थान मे कोई वजूद नहीं ।

23 जून को विपक्षी दलों की प्रस्तावित पटना बैठक के पूर्व ही आम आदमी पार्टी और ममता बनर्जी ने कांग्रेस के प्रति अपनी मंशा साफ कर दी है । ममता बनर्जी की बात पहले करते हैं ममता बनर्जी उपचुनाव में कांग्रेस की एकमात्र विधान सभा प्रत्याशी की जीत से इतनी क्रोधित हुई थीं कि भविष्य में कांग्रेस के साथ किसी भी तालमेल से साफ इंकार कर दिया था।उसके बाद विपक्षी दलों की बैठक में पहले इंकार किया,बाद में राजी हुई अब बैठक से पहले ही कहा है कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल में इंट्री न करे।जबकि कांग्रेस के उस एकमात्र विधायक को अपनी पार्टी में शामिल करा लिया।इससे साफ है कि ममता किसी भी सूरत में बंगाल में कांग्रेस को देखना नहीं चाहती।दूसरी बात वह स्वयंम नहीं जानती कि कल वह क्या करेंगी,कांग्रेस को वामदलों की दासी तक बता डाला।अब दूसरा दल आम आदमी पार्टी की बात करें तो,पहले जब इडी ने राहुल, सोनियां कोबुला कर क ई दिनों तक सभी दलों ने इसका विरोध किया,आमआदमी पार्टी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।फिर मनीष सिसौदिया की गिरफ्तारी हुई और सरकार के कार्यों पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार अध्यादेश लाई तो केजरीवाल ने सभी दलों से बात की,राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष खरगे जी से अध्यादेश के खिलाफ समर्थन के लिए समय मांगा जो आजतक नहीं मिला। अब नया पैंतरा चलते हुए बैठक के पूर्व आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को नया आफर दे दिया कि अगर कांग्रेस लोकसभा चुनाव में दिल्ली और पंजाब में अपना प्रत्याशी न उतारे तो आम आदमी पार्टी भी मध्य प्रदेश और राजस्थान में अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगा ।अब या तो केजरीवाल अपने को बहुत ज्यादा तेज समझते हैं या कांग्रेस आलाकमान को दबाव में लाना चाहते हैं क्योंकि केजरीवाल का मध्य प्रदेश और राज स्थान में कुछ नहीं है वह हरियाणा में तैयारी कर रहे हैं या 1या 2 प्रतिशत कांग्रेस का वोट काटने के लिए मध्य प्रदेश और राजस्थान में अपना प्रत्याशी उतार सकते हैं दर असल बिल्ली के भाग्य से सीकहरा टूटा।पंजाब में नवजोत सिद्धू की बेवकूफियों( कांग्रेस मुख्यमंत्री की हर योजना में खोट निकालने का काम) के कारण आम आदमी की सरकार बन गयी क्योंकि भाजपा वहां काफी कमजोर।है, गुजरात में भी कांग्रेस की ढिलाई के कारण आम आदमी को कुछ सीटें मिल ग यी थी।इसीलिए सम्भवतः कांग्रेस ने पहले ही केजरीवाल के प्रस्ताव को सिरे से ठुकरा दिया।यह दोनों दल कांग्रेस के वोट बैंक पर बल।-फूल रहे हैं इसीलिए इन सभी क्षेत्रीय दलों को सदैव यह भय बना रहता है कि उनके राज्य में कहीं कांग्रेस उभर कर उपर न आ जाय।वर्तमान समय में ऐसा देखने में भी आ रहा है कि कांग्रेस नयी सोच और नये कलेवर के साथ चुनाव में उतर रही है जिस तरह भाजपा हर समयचुनावी मूड में रहती है,वही अब कांग्रेस भी कर रही है और यही क्षेत्रीय दलों का असल डर है फिर भी कुछ क्षेत्रीय दलों के साथ कांग्रेस अवश्य तालमेल करना चाहेगी। उत्तर प्रदेश में सपा,जयंत चौधरी और वामदल,बिहार में उसका तेजस्वी और वामदलों के साथ पहले से एलायंस है,महाराष्ट्र में महाअघाडी़ के साथ गठबंधन है। पश्चिम बंगाल में वामदलों के साथ गठबंधन यथावत रहेगा।इसी प्रकार तमिलनाडु में स्टालिन की पार्टी के साथ गठबंधन यथावत रहेगा।इसी के साथ तेलंगाना में वामदलों के साथ आंध्र प्रदेश के मु ख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की तेज तर्रार बहन शर्मिला रेड्डी के साथ भी तालमेल की पूरी सम्भावना है,जिन्होने अपने भाई का विरोध कर तेलंगाना में अपनी पार्टी बनाकर के चंद्रशेखर के खिलाफ ताल ठोंक रही हैं इसी प्रकार हरियाणा में सम्भवतः ओमप्रकाश चौटाला की पार्टी,झारखंड में पूर्व के गठबंधन के साथ यथावत रहेगा।फिलहाल अब कांग्रेस का नया रूप भाजपा से ज्यादा क्षेत्रीय दलों को डरा रहा है। और शायद कांग्रेस ने भी राहुल गांधी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रधानमंत्री का चेहरा मध्यप्रदेश में अगर कांग्रेस जीतती है तो, घोषित करने सेपीछे नही हटेगी । यह लेख वर्तमान में विपक्षी दलों में कांग्रेस से तोल मोल और वर्तमान खींचतान पर आधारित है सम्पादकीय-News51.in

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