Sunday, September 22, 2024
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ओजस्वी भाषण, शारीरिक और चेहरे की भाव-भंगिमा और जनता के भावना के अनुरूप भाषण क्या जनता में जोश लाने में कामयाब होते हैं और क्या जोशीले भाषणों से चुनाव पर कोई प्रभाव पड़ता है?

फिल्मों का और फिल्मों में अभिनय करने वाले कलाकार हमारे समाज में गहरी छाप छोड़ते हैं और हमारे नौजवान उनके बाल, पहनावे और चाल-ढाल की नकल करते नजर आते हैं। समय-समय पर अलग -अलग कलाकारों की संवाद अदायगी और अभिनय कला हमारे समाज में पैठ बनाती है। उसी प्रकार जनता अपने प्रिय जन नेताओं के प्रति भी आसक्ति बनती है और उनके भाषण देने कला और उनकी संवाद बोलने की कला भी उन्हें लोकप्रियता दिलाती। उदाहरणस्वरूप पं. जवाहरलाल नेहरू पहले ऐसे भारतीय नेता थे जिनकी भाषण देने की कला और संवाद अदायगी और हाथ हिला- हिला कर जोशीले भाषणों से जनता में जोश भर देते थे। उनके बाद अपने करिशमाई व्यक्तित्व के साथ ही इंदिरा गांधी ने अपने जोशीले भाषणों से भारतीय जन मानस पर एकक्षत्र राज्य किया। अटलबिहारी वाजपेई के भाषण और उनकी संवाद अदायगी को भला कौन भूल सकता है और वर्तमान समय में भारतीय जनमानस को लगातार मंत्रमुग्ध करने वाले वर्तमान भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी अनूठी भाषण कला,नाटकीय संवाद अदायगी के बल पर भारतीय जनता को न केवल सम्मोहित किये हुए हैं बल्कि क ई प्रांतों में भाजपा के मुख्यमंत्रीयों के खराब प्रदर्शन के बाद भी सिर्फ अपने शानदार भाषणों और भाषण देते समय शारीरिक भाषा और नाटकीय भाव-भंगिमा से हारी हुई अपनी पार्टी को जीत दिला देते हैं। हिटलर, बिल क्लिंटन डोनाल्ड ट्रम्प आदि क ई ऐसे विदेशी राजनेता हुए हैं जिन्होंने अपनी अद्भुत और जोशीले भाषणों के बल पर अपने -अपने देश में राज्य किया है। कहा जा सकता है कि जनता में जोश भरते भाषण और अद्भुत भाषण का नेताओं की लोक प्रियता का बहुत बड़ा योगदान होता है आज के ऐसे दौर में जहाँ नेताओं को हर समय कैमरों के साऐ में रहना पड़ता है उनकी बातों ,भाषणों को दुनियां सुनती और देखती रहती है और उनकी लोकप्रियता का यह बहुत बड़ा पैमाना बनता है एक अच्छा और भारतीय फलक में छाने के लिए अन्य क्वालिटी के साथ ही बेहद शानदार वक्ता होना सबसे बड़ी क्वालिटी मानी जा रही है।

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