एक चैनल ऐबीसी के सी वोटर को साप्ताहिक सर्वे दिखाने का कहीं से ठेका मिला है ऐसा प्रतीत होता है। हफ्ते दर हफ्ते में सरकार को प्रमोट करता है जहाँ सरकार की कुछ जमीन नहीं होती वहाँ ऐसे दल को प्रमोट करता है जिस दल को चुनाव बाद सरकार के साथ खडे रहने की गुंजाइश बनी रहे। हां इस सब में एक बात कामन होती है कि कांग्रेस के प्रदर्शन को बेहद खराब दिखाया जाय, इस बात ध्यान अवश्य रखा जाता है और सरकार से मेरा तात्पर्य केंद्र सरकार से है। मैं इस बार सी वोटर सर्वे की पंजाब विधान सभा चुनाव के सर्वे की बात कर रहा हूँ। जहाँ इस हफ्ते मुख्य मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी को 30 प्रतिशत, कैप्टन अमरिन्दर सिंह को 2 प्रतिशत, आम आदमी पार्टी के भगवंत सिंह मान को 13प्रतिशत,अकाली दल सुखबीर बादल को 18 प्रतिशत, फिर से केजरीवाल (दिल्ली के मुख्यमंत्री) 26 प्रतिशत ,4 प्रतिशत नवजोत सिंह सिद्धु, 7 प्रतिशत अन्य दिखाया गया है भाजपा के बारे में सी वोटर का सर्वे मौन है ये सर्वे कल का है पिछले 17 दिसम्बर के मुकाबले चरण जीत सिंह चन्नी की लोकप्रियता में गिरावट और भगवंत सिंह मान, केजरीवाल, सुखबीर बादल की लोक प्रियता में भारी उछाल दिखाया जा रहा है। अब इससे बड़ा वाहियात सर्वे क्या हो सकता है कि केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और आजतक उन्होंने कभी नहीं कहा है कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री पद छोड़ देंगे अगर पंजाब में उनकी सरकार बनी तो। सवाल ये है कि उन्हें पंजाब में मुख्य मंत्री पद के दौड़ में क्यों और कैसे दिखाया जा रहा है। दर असल यह भी सर्वे की बदनियता और शरारत को दर्शाता है। कमाल की बात ये है कि चरनजीत सिंह चन्नी के कामों की पंजाब के लोगों में सराहना हो रही है। और सी वोटर सर्वे में जान बूझ कर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहा है। इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस को सर्वे में 7 सीट दिखा रहा है 6-7 प्रतिशत लोग कांग्रेस को वोट देते दिखाया जा रहा है। यह सच है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस संगठन कमजोर था अभी भी काफी कमजोर है और कांग्रेस का कोई जाति आधारित वोट बैंक भी नहीं है लेकिन यह भी सच है कि प्रियंका गांधी ने जब उत्तर प्रदेश की कमान सम्भाली तो सबसे पहले संगठन को ही नये सिरे से खड़ा किया और जो ड्राइंग रूम में बैठ कर बड़े नेता अपनी सियासत करते थे, साइड में लगाए गए। सड़क पर लडने वाले जुझारू कार्यकर्ताओं और नेताओं को महत्व दिया गया। नतीजन कांग्रेस सड़कों पर जनता की लड़ाई लड़ती नजर आने लगी।प्रियंका गांधी ने चुनाव आते ही समझ लिया था कांग्रेस के पास किसी खास जाति का वोट बैंक नहीं है उन्होंने 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं के लिए और बहुत सारी सहूलियतों का वादा महिलाओं के लिए किया **मैं लड़की हूं, लड़ सकती हूं* के नारे ने अगर अपना रंग नहीं दिखाया होता तो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने महिलाओं की रैली न की होती और न महिलाओं के खाते में पैसे डाले होते और न मायावती और अखिलेश ही आज महिलाओं के बारे में बात करते, और बड़े नाम वाले नेता जो सफेद हाथी (शोपीस, नाम बड़े और दर्शन छोटे) की तरह पार्टी में बोझ बन गए थे उनके रुतबे में कमी आने लगी थी पार्टी छोड़कर मलाई खाने दूसरे दलों में शामिल हो गए जो कांग्रेस के लिए अच्छा ही हुआ जिनकी राजनीति में कोई विचार धारा न हो, उनसे किनारा करना ही बेहतर है। रही बात 6-7 प्रतिशत वोटिंग सी वोटर का दिखाना यह भी भ्रामक है। मेरा मानना है कि बसपा के पराभव से कांग्रेस और सपा दोनों के वोट परशेंटेज बढेंगे और कांग्रेस का वोट प्रतिशत 10 प्रतिशत से ज्यादा ही होना चाहिए, देखते हैं अभी तो हाई कोर्ट जिस तरह चुनाव एक दो माह टालने के लिए अनुरोध कर रहा है उससे भी लगता है कि चुनाव खासकर उत्तर प्रदेश का अवश्य ही टलेगा। वैसे सपा के राम गोपाल यादव का भी यह कहना कि हाई कोर्ट का चुनाव कुछ समय के लिए टलना, दुर्भाग्य पूर्ण है, इसे राजनितिक रूप दिया जा रहा है। सम्पादकीय -News51. In
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