बिहार ,महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना हिमांचल, असम, दादर नागर हवेली ,हरियाणा और कर्नाटक में हुए 29 विधान सभा और 3 लोकसभा चुनाव में जो मिला जुला संतुलित रिजल्ट आया है उससे सभी दलों को संतुष्टि मिली है भाजपा और राजद और कांग्रेस को छोड़कर। ये कहावत है कि जहाँ जिसकी सरकार होगी लगभग उसकी उपचुनावों में ऐन-केन उसकी विजय भी होती है। प्रांत वार जीते दल का और हारे दल का कारण जानना आवश्यक है उसके पहले यह बताना आवश्यक है कि वोटकटवा पार्टी किसे कहते हैं और चुनाव में उसके प्रत्याशी की क्या अहमियत होती है यह वोटकटवा पार्टी का प्रत्याशी किसी एक ही मुख्य दल का ही वोट काटता है उदाहरण के लिए विधान सभा चुनाव में अगर वोटकटवा पार्टी का प्रत्याशी 2से3 हजार के करीब वोट पा जाता है या लोकसभा के चुनाव में 10-15 हजार वोट पा जाता है तो वह वोट किसी एक मुख्य दल का पूरा वोट काटता है क ई स्थानों पर उस एक पार्टी को वह वोटकटवा दल हरा अवश्य देता है। आज के दौर में इसका इस्तेमाल वोटकटवा पार्टी को धन-बल का अप्रत्यक्ष लाभ देकर और अन्य क ई लाभ देने का वादा कर विपक्षी दलों के खिलाफ इनको हराने में इस्तेमाल किया जाता है। आज क ई ऐसे दल हैं जिनका उन राज्यों में इस्तेमाल किया जाता है जहाँ उनका कोई वोट नहीं होता लेकिन एकाध राज्य में इनके वोट बैंक होते हैं। सबसे पहले बिहार प्रांत की बात करते हैं यहाँ दो सीटों पर उपचुनाव हुआ यहाँ भाजपा और जदयू के तालमेल से दोनों सीट पर जदयू लडी़ उसके खिलाफ बिखरा विपक्ष। कांग्रेस की सीट पर भी राजद ने अपना प्रत्याशी उतारा जिससे नाराज कांग्रेस ने भी दोनों जगह अपने प्रत्याशी उतारा इसके अलावा चिराग पासवान के भी दोनों जगह उम्मीद वार उतरे, नतीजन दोनों सीट जदयू जीती। मध्य प्रदेश में एक लोक सभा और 3 विधान सभा उपचुनाव में दोनों मुख्य राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस आमने सामने थे एक विधान सभा सीट पर कांग्रेस और दो पर भाजपा जीती लोकसभा सीट भाजपा जीती ,पिछली बार की तरह नहीं, मार्जिन काफी कम रही। यहाँ भाजपा अभी भी अच्छी स्थिति में है लेकिन पहले वाली अजेय स्थिति नहीं है। आसाम में भाजपा नीत गठबंधन पांचो सीट जीत कर अभी बेहद मजबूत स्थिति में है वही हाल तृणमूल कांग्रेस का बिहार में है वहाँ ममता बनर्जी की स्थिति कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के कमजोर होने से और मजबूत हो गई है उसने चारो सीट पर न सिर्फ विजय हासिल की है बल्कि तीन पर तो भाजपा की जमानत भी जप्त हो गई है। राजस्थान में लगा था कि गहलौत और सचिन पाइलेट के विवाद का असर होगा लेकिन उपचुनाव की दोनों सीट कांग्रेस ने जीत ली। कर्नाटक में दो विधान सभा चुनाव में एक -एक सीट भाजपा और कांग्रेस ने जीती। कांग्रेस ने जो सीट जीती वह मुख्य मंत्री का गृहनगर की है, महत्व पूर्ण है हरियाणा में किसान के पक्ष में इस्तीफा देने वाले इनलो के अभय सिंह चौटाला ने जीती लेकिन मुख्य बात यह रही कि किसानों की नाराजगी के बाद भी भाजपा दूसरे स्थान पर रही। हिमांचल की 3विधान सभा और मंडी की लोक सभा सीट कांग्रेस ने जीती यहां पर लोगों में भाजपा के प्रति भारी नाराजगी साफ दिखी। मेघालय और मिजोरम में लोकल पार्टीयों ने विजय हासिल किया है शिवसेना ने एक लोकसभा सीट महाराष्ट्र के बाहर दादरा नागर हवेली की सीट पर परचम लहराया है तेलंगाना की एक मात्र विधान सभा सीट पर भाजपा ने विजय हासिल किया है वहीं महाराष्ट्र की एक मात्र सीट कांग्रेस (महाअघाड़ी गठबंधन) ने जीत हासिल किया। इस उपचुनाव में आये रिजल्ट से कोई बहुत अनुमान लगाना सम्भव नहीं है लेकिन मोटी मोटा कुछ बातें साफ नजर आ रही है एक तो यह कि भाजपा की पहले वाली अजेय स्थिति नहीं रह गयी है दूसरा कांग्रेस पंजाब और राजस्थान और छत्तीस गढ के विद्रोह को सफलता पूर्वक सम्भालने के बाद कुछ कड़े डिसीजन लेकर उभरने की कोशिश में सफल प्रयास कर रही है। तीसरा ममता बनर्जी, अखिलेश यादव ,मायावती और आम आदमी पार्टी का पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के बाहर कोई असर नहीं दिख रहा है फिलहाल 5 प्रांतों में आगामी कुछ महीनों में चुनाव होने हैं सबसे बड़ा इम्तहान भाजपा का उत्तर प्रदेश में ही होना है हालांकि यहां विपक्ष बंटा हुआ है लेकिन फिर भी बसपा के कमजोर पड़ने से सपा काफी मजबूत हुई है साथ ही कांग्रेस भी काफी सालों बाद अपने संगठन में भारी परिवर्तन कर सड़क पर जनता की लड़ाई लड़ रही है, यह साफ दिख रहा है उत्तर प्रदेश का जिम्मा लिए प्रियंका गांधी ने संगठन पर काफी ध्यान दिया है और आगे रहकर जनता के लिए लड़ रही है हालांकि राजनितिक समीक्षक किन्ही कारणों से कांग्रेस को नोटिस नहीं कर रहे हैं और प्रियंका गांधी भी समझ रही हैं कि उनका कोई वोट बैंक सपा और बसपा की तरह नहीं है इसीलिए उन्होंने महिलाओं को 40 प्रतिशत टिकट देने का एलान कर और महिलाओं के लिए तमाम सहूलियतों का एलान कर अन्य दलों को भी नोटिस लेने के लिए मजबूर कर दिया है शायद विपक्ष के बिखराव का लाभ भाजपा को अवश्य मिलना है यह लाभ किस सीमा तक होगा ये भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अन्य चार राज्यों की अपेक्षा उत्तर प्रदेश भाजपा के लिए बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। सम्पादकीय -News 51.in