Monday, December 23, 2024
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उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव बना राजनितिक शक्ति मापने का बैरोमीटर, सभी पार्टियों की निगाहें विधान सभा की तरफ

यूं तो पंचायत चुनाव का विधानसभा चुनाव से एक दम अलग होता है लेकिन इस बार चूंकि सभी पार्टियों ने पंचायत चुनावों में न केवल अपने कैंडिडेटस उतारे बल्कि अपनी ताकत भी अपने कैंडिडेटस को जिताने में लगा दिया। सभी दलों ने अपनी -अपनी जीत को बढ -चढ कर बताने में कोई कोताही नहीं की है। किंतु गुगल से मिलीजानकारी के अनुसार भाजपा के 750सदस्य सपा और रालोद गठबंधन को 828 और अकेले सपा के 760,बसपा के 381,कांग्रेस के 76 और 64 आम आदमी पार्टी के और 951 निर्दलीय सदस्य चुनाव जीते हैं। सभी दल अपने को आगे बता रहे हैं किंतु इतना सच है कि पिछले बार के मुकाबले भाजपा की संख्या बढी तो है लेकिन विधान सभा चुनाव के नतीजे से तुलना करें तो सपा ने अपनी बढत सभी पार्टियों पर बनाई है और भाजपा के मुकाबले में भी बराबरी पर खड़ी नजर आ रही है जिलापंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर जोड़तोड़ की बाजी में प्रायः सत्ता पक्ष की ही चलती है। कांग्रेस अभी भी बसपा के मुकाबले तीसरे नंबर पर है एक बात तय है बसपा की शक्ति भीम आर्मी के कारण पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यूथ के भीम आर्मी के साथ जुड़ने और क ई जगह सपा के साथ समर्थन के चलते बहुत कमजोर हो गई है केवल पुराने परम्परागत वोटर ही उसके साथ हैं अल्पसंख्यक वोटर उससे छिटक कर सपा और कांग्रेस और भीम आर्मी के साथ जुड़ चुके हैं प्रियंका गांधी और अजय कुमार लल्लू को अभी बहुत मेहनत करना होगा। उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव को एक साल से भी कम का समय बचा है यद्धपि कि पंचायत चुनाव विधान सभा चुनाव का पैमाना नहीं होता है फिर भी ग्रामीण इलाकों में सपा की मजबूती नजर आ रही है लखन ऊ और गोरखपुर तथा वाराणसी जैसी जगहों पर भी सपा ने अपनी बढत बनाई है जिसे भाजपा कत्तई नहीं विधान सभा चुनावों में होने देना चाहेगी ।

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