कांग्रेस के इंडिया गठबंधन के साथी ममता बनर्जी, उमर अब्दुल्ला और लालू यादव के इंडिया गठबंधन में कांग्रेस को लीड करने या अलग होने के अपने-अपने कारण हैं ममता बनर्जी इंडिया गठबंधन में थी जरूर , लेकिन शुरू से अविश्वसनीय थीं शायद इसी कारण ममता ने लोकसभा चुनाव मेंकांग्रेस को एक टिकट गठबंधन के तहत नहीं दिया । असलियत ये है कि ममता कांग्रेस के वोटों के दम पर टिकी हैं और शायद उन्हे दिल्ली से कोई मतलब नहीं कि सेंट्रल में कौन रहे ,केवल कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में न पनपने देना उनका मूल उद्देश्य है और इसमें कांग्रेस आलाकमान ने भी जाने-अनजाने ममता की भरपूर मदद की। कांग्रेस आलाकमान ने प.बंगाल में अपनी जडे़ं पुनः जमाने की कोई कोशिश नहीं की।ममता अपना तार भाजपा से मिलाये बैठी हैं।और उसके इशारे पर यह नया बखेडा़ शुरू हुआ है जब कांग्रेस अडानी के मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही थी और एवीएम मशीन के खिलाफ बोल रही थी तभी ममता ने इंडिया गठबंधन को लीड करने का मुद्दा उठा दिया और कहा इंडिया गठबंधन का नेतृत्व करने को तैयार और सक्षम हैं वहीं उमर अब्दुल्लाह ने कांग्रेस के साथ मिल कर चुनाव लडा़ किंतु अबतक की सबसे कम सीटें जम्मू कश्मीर में उसका आया। दर असल उमर अब्दुल्लाह को अपने क्षेत्र के विकास के लिये पैसों की जरूरत है, जिसके लिये केंद्र सरकार से सहयोग की जरूरत है तीसरा मामला लालू यादव का है, जो एक समय तक कांग्रेस के सबसे विश्वसनीय सहयोगी रहे लेकिन उन्होने भी इंडिया गठबंधन को लीड करने को लेकर ममता की बात की हामी भरी। शायद वह कांग्रेस को 25-30 सीट से ज्यादा बिहार विधान सभा चुनावों में सीट नहीं देना चाहते। अब बात कांग्रेस के दिक्कत की है और वो है कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल की, कहने को वो कांग्रेस के कांग्रेस के संगठन महासचिव हैं जिसका काम राज्यों मे घूम-घूम कर पार्टी में संगठन की कमियों से आलाकमान को अवगत कराना और संगठन की उन कमियों को दूर करना, लेकिन केसी वेणुगोपाल केवल एक काम करते हैंवो है राहुल गांधी के आसपास मड़राना, शायद सोते समय को छोड़ कर हर समय राहुल और अब प्रियंका गांधी(इन दोनों)के आस-पास मड़राना । शायद इसी लिये क ई राज्यों में कांग्रेस का संगठन तक नही खडा़ हो पाया। शायद हरियाणा मेंहार की बडी़ वजह संगठन का खडा़ न हो पाना रहा । जरूरत है अहमद पटेल सरीखे चाणक्य और मेहनती, चुपचाप काम करने वाले संगठन महासचिव की । जितनी जल्दी कांग्रेस के.सी.वेणु गोपाल जैसे चाटुकार संगठन महासचिव से छुटकारा पाने और डी.के.शिवकुमार या सचिन पाइलेट सरीखे मेहनती और इमानदार संगठन महासचिव की। जो सभी इंडिया गठबंधन के साथियों से सामंजस्य बनाए रखे और चुपचाप सभी राज्यों में कांग्रेस को मजबूत भी करता रहे साथ ही विपक्ष के कदमों भांपता रहे। सम्पादकीय-News51.in