अपना शहर मगरुवा
सामजिक महत्व का सब स्थान कब्जा हो चला
अपने ठीहा पर बैठकर सोच रहा है कि शहर के लोग कहते है जिलाधिकारी विकास के रस्ते खोल रहे है बहुत अच्छे है | बेशक हमारे जिलाधिकारी शालीन व सज्जन है वो सबकी सुनते है काम भले ही न हो पर सुनते जरुर है हमरे जिला के जिलाधिकारी बदल गएल हवे अब पंडित जी के हाथ्ज में कमान हवे जिला के आवत देरी न आपन पहचान ब्नावेके खातिर तमसा मिशन के शुरुआत कए देहने बड़ा निक कम हवे जिलाधिकारी साहब , पर इ त बता दा आप कि गंदा नाला के पानी नदी में गईले से रोके खातिर कउनो उपाय हवे , एक महिना में तमसा मईया साफ़ त जरुर भइनी पर गंदा नाला के पानी जस क तस ओमन जात हवे , अब त सुनली की आरती भी शुरू हो गएल हवे बड़ा निक कम होत बा सबके बधाई इ बात के ख़ास तौर पर बाबु अनिल राय जी के डा बी डी सिंह जी के अब त किनारे किनारे पेड़ लगत बा इहो बहुत खुबसूरत कम होत बा पर जिलाधिकारी जी आपके इ कम त ठीक बा पर एक बात बतावा आप दागी पी.डी के आप सी डीओ के चार्ज देकर का कहल चाहत हई इ सबके समझ से परे बा , कृष्णा स्कूल ढह गएल पर नदी किनारे कब्जा खत्म होई की न इहो एक गो बड़ा प्रश्न बा आपके सामने ? आपसे पाहिले के जिलाधिकारी महोदय जी कुछ कम ना कईने ,
खैर यह बाते अलग है — लगा सोचने मगरू इसी सोच के उधेड़बुन में वह अपनी ठीहा से निकल सीधे सिधारी घाट पे आया देखा वहा पर उसके दो – चार साथी पाहिले से बैठे है वह भी उसमे शामिल हो गया दुआ – सलाम होने के बाद मगरू की तरफ उसके एक साथी ने चिलम बढ़ा दिया मगरू ने एक जबर्दस्त चिलम की चोट मारी और आसमान की तरफ मुंह करके एक अंतहीन धुएं का गुबार छोड़ा धुएं की धुंध में मगरू को उसका बीता कल याद आ रहा था | उसी धुनकी में पहुच गया कचहरी पुलिस चौकी के पास जहा कामरेड इम्तेयाज बेग और वस्सु भाई यही बहस छेड़े थे कि इसी शहर में अग्रवालो – मारवाड़ियो में बहुत अच्छे लोग हुए है कौन भूल सकता है बाबु रामेश्वर प्रसाद को जिन्होंने सीतापुर आँख का अस्पताल बनवाया , मेहता साहब ने अपनी पूरी बिल्डिंग दे दी थी पुस्तकालय के लिए पर उसपे एक नामधारी का कब्जा होने के चलते महत्वपूर्ण पांडुलिपिया कहा चली गयी यह रहस्य है अब तो पुस्तकालय खत्म हो गया , पुरानी कोतवाली पे मैगजीन सेंटर के उपर नगरपालिका का पुस्तकालय चलता था अब वह मर चूका है , सब्जीमंडी के चौराहे पर सर्वहितकारी समिति का पुस्तकालय था और इसके साथ ही वैद्य जी के घर के सामने वाली गली में भी पुस्तकालय था सब कही दफन हो चुके है | कहे को तो अब शहर के सारे बेहतरीन स्कुल जैसे एस के पी – डी. ए . वी भी खत्म होने की कगार पर है एक नमकहराम के चलते आने वाले वक्त में अब इस विद्यालय पर किसी और वर्ग का कब्जा होगा सेवा भाव से बनाये गये प्रतिष्ठानों पर शनियो की कु दृष्टि है जिसको समाज महिमा मंडित करके बिठाता है , तभी मगरू के साथी कलुवा ने टोका कहा खो गये मगरू भाई ! मगरू सिर्फ हँस के टाल दिया और बोला कुछ सुनाओ कलुवा रे कलुवा बोला अ हम का सुने मगरू भाई तू त बड़े – बड़े नेतन के संगे और बड़े – बड़े लोगन के साथै बैठे ला तू सुनावा का बताई जिले में अब नया – नया लपोकी निकल गएल हवे जिलाधिकारी सरकार के मंत्री के बात टाल सकेंने पर उ लपोकी के बात कबो न टरिहे ————————
सुनील कबीर स्वतंत्र पत्रकार दस्तावेजी छायाकार