असम ने निकाय चुनाव सम्पन्न हो गए, पिछली बार भाजपा ने बोबोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ (जो एक लोकल राजनितिक दल है) मिल कर चुनाव लड़ा था ।नतीजतन कांग्रेस समेत अन्य कई क्षेत्रीय पार्टियों का सफाया हो गया था,बाद में विधान सभा चुनाव में भी लगभग 60 सीटों के साथ भाजपा ने बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट को NDA में शामिल कर लिया था इस बार असम के निकाय चुनाव में इन दोनों दलों में किन्ही कारणों से तालमेल न हो पाने पर दोनों अलग-अलग होकर लड़े थे और नतीजा बेहद चौंकाने वाला रहा और कुल 40 सीटों में से मात्र 5 सीट पर भाजपा जीत पाई , जब कि बोबोलैंड पीपुल्स फ्रंट को 29 सीट पर विजय हासिल हुई,जब कआल असम स्टुडेंट यूनियन सहित कई अन्य क्षेत्रीय दलों ने इस समय असम की सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। अब जरा मुख्य विपक्ष कांग्रेस की बात कर लेते हैं। वहां मात्र प्रदेश अध्यक्ष गौरव गोगोई को बना दिया गया है।जिन्होने पिछले विधान सभा चुनाव में बड़ी मेहनत की थी और इस बार भी कर रहे हैं जनता का झुकाव भी उनकी तरफ है।लेकिन क्या आप ने कभी सुना है कि बिना किसी संगठन के एक-दो लोगों की बिना पर चुनाव जीता जा सकता है, हरियांणा का विधान सभा चुनाव का नतीजा सामने है या तो जनता सरकार से इतनी नाराज हो जाए कि स्वंय सरकारको हटाने के लिए स्वतः मतदान के लिए लाइन में लग जाए। कांग्रेस का अभीतक न तो जिले का संगठन खड़ा किया जा सका है, न ही कोई तैयारी नज़र आ रही है। अब जरा पिछले विधान सभा चुनाव का हाल भी जान लेते हैं पिछली बार असम में विधान सभा चुनाव में तकरीबन 60 सीट पर विजय हासिल की थी और कांग्रेस को मात्र 29 सीट पर ही विजय मिली थी ,लेकिन इस बार मुख्य मंत्री हेमंता विश्व शर्मा की पत्नी पर जमीन हड़पने का आरोप विपक्ष ने लगाया है वहीं वहां के मुख्य मंत्री हेमंत विस्वशर्मा ने गौरव गोगोई की पत्नी पर पाकिस्तान से मिलीभगत का आरोप लगाया है ,लेकिन आरोप-प्रत्यारोप की बात को दरकिनार भी कर दें, तो भी यह सच है कि हेमंत विस्वशर्मा की पहले वाली स्थिति नहीं रह गई है अब कांग्रेस हो सकता है बिहार विधान सभा चुनाव के बाद असम के संगठन पर ध्यान केंद्रित करे,क्या इतने कम समय में संगठन खडा कर पायेगी,यह देखना रोचक होगा।-सम्पा