अपना शहर – मगरुवा
आजमगढ़ के समग्र राजनीति का दर्पण जुठ्नालय — मगरू
——-पुराना पोस्ट
लम्बे अरसे बाद मगरुवा पहूँचा जुठ्नालय
लेबहुत दिन बाद जुठनालय में दुर्गा प्रसाद उर्फ़ जूठन जी से मुलाक़ात हुई , वहा पहुचा तो देखा तो जूठन के छोटे भाई सुभाष के साथ मगरू भाई भी बैठे गप्प लड़ा रहे है | मैं अपने निश्चित टेबल पर बैठा जाकर और हालचाल लेने लगा , मगरू भाई ने पूछा दादा बहुत दिन बाद नजर आ रहे है ? कही गये थे क्या ? हमने बोला नाही यार मगरू कुछ अस्वस्थ हो गयेंन रहनी त थोडा अस्पताले के चक्कर लगावे के परल अब ठीक हई उहो डा राम मनोहर लोहिया अस्पताल के सबसे बेहतरीन डाक्टर संजय श्रीवास्तव के बड़े भाई डा सुशील श्रीवास्तव के दवाई से ठीक होक आयेल हई , डा सुशील जी नाम के अनुरूप उतने ही सज्जन सुशील और कर्मठ ईमानदार और अपने काम के प्रति निष्ठावांन डाक्टर अब कम देखने को मिलते है डा सुशील श्रीवास्तव जी ने महामना के विश्व विद्यालय से भारत ही नही एशिया में अपना स्थान रखने वाले डा टी के लहरी , डा पी.के .श्रीवास्तव . डा बी सी कटियार के सर्वाधिक प्रिय शिष्यों में रहे है औरवही संतो का स्वभाव उनके अन्दर मौजूद है | हमने कहा कि अउर सुनावा जूठन जी जूठन कहने का कही हमने कहा की बतावा इहा के बैठक बाजन के बारे में जूठन अतीत में डूब गये बावू बडके नेतवा त बैठत रहने पर वो समय के लोगन में हम लोगन के बड़ा भाई जुठ्नालय के संस्थापक सदस्य समाजवादी विचारक असली खाटी समाजवादी ईमानदार अपने बात पे अडिग रहे वाला हम्हने के बड भाई विनोद कुमार श्रीवास्तव जी इहा बैठकी चालू कइने जब उ बैठे ते इहा पूर्वांचल के बड़े समाजवादीयन में पूर्व मंत्री रामगोविंद चौधरी , स्व हर्षवर्धन जी पूर्व सांसद स्व मोहन सिंह पूर्व विधायक व् क विचारक स्व जगदीश लाल जी फतेह बहादुर जी , सोमनाथ त्रिपाठी जी ,अफलातून देसाई , राम धीरज जी डा स्वाती देश के प्रख्यात समाजवादी जउन नेहरु जी के समय संसद में रहने अउर इस्तीफा देह देहने किशन पटनायक जी महाराष्ट्र पुणे के मेयर अउर सांसद भाई वैद्धय जी के साथे एग्जिट पोल के प्रवर्तक और वर्तमान में आम आदमी पार्टी के युवा तुर्क बड़े भाई योगेन्द्र यादव और प्रेस कौंसिल आफ इण्डिया के चुने हुए अध्यक्ष और देश में पत्रकारिता के शक्त हस्ताक्षर खाटी समाजवादी उनके पिता पूर्व विधायक स्व विष्णु देव गुप्त जी और महान समाजवादी नेता जार्ज के अन्यतम सहयोगी बड़े भाई विजयनारायण जी व राजनीति ही नही धर्म और अध्यात्म पर भी आज के बड़े नेताओं को भी दीक्षित करने की हैसियत रखने वाले प्रयाग विश्व विद्यालय के पूर्व अध्यक्ष और सभी दलों में सर्वग्राह्य और विचारों में लचीले बड़े भाई रामाधीन सिंह जी इहा बैठकी मारेने जुठ्नालय के संस्थापक सदस्य में प्रमुख नाम डा ज्ञान प्रकाश दुबे के भी हवे जे विचारन से समाजवादी और लोकतंत्र सेनानी हवे अउर झउवा भर भाजपाई से हमेशा मोहड़ा लेवत रहेने सच्चे व सपाट और कल्याण सिंह जी के अति घनिष्ट बड़े भाई प्रभुनाथ सिंह भी इहा के स्थायी सदस्यों में रहे है |बाबू तेज प्रताप सिंह ( रावतमऊ) तेजप्रताप बाबू अपने बात के बहुत धनी रहने बड़ा गम्भीर रहे बेलनाडीह के बाबू साहब धनजय सिंह उहो ठीक रहने पर गुस्सा वाले बहुत रहने जयप्रकाश सिंह ठीकेदार उपर से गंभीर दिखाई देने वाले बाबू शिवनाथ सिंह – हौसला प्रसाद उपाध्याय और बड़े भाई सुरेन्द्र प्रताप सिंह जिनकी उदारता का लाभ भी जुठनालय के तीन चार निकृष्ट लोगो ने उठाया और पीठ पीछे स्तरहीन आलोचना भी किया | सम्मोपुर के छात्र जीवन से भी कपड़े लत्ते से लेकर विचारों से आधुनिक पुट रखने वाले मास्टर उमा शंकर जी बहुत बढ़िया आदमी शिष्टाचार से भरल हवे जब बहस करे त कबो – कबो उहो उग्र रूप ले ले साथ में रजिंदर सिंह जिनकर बड़े भइया उमा शंकर सिंह के साथै जुगल जोड़ी रहे जब इ लोगन बहस करे त जे ना इनके जानत रहे त उ समझी की अब्बे इ लोगन मार कर दियेहे अब का बताई दत्ता बाबू पहिले दवाई के एजेंट लोगन भी आवे ना इहा बड़ा अच्छा नाम रहे उ एक जनी रहने अरुण सरन अउर यू.सी .पाण्डेय इ लोगन समझने की इ लोगन अब्बे मार कए दिहे अब का कही मदन जी भी बैइठे उमाशंकर जी अउर रजिंदर के साथे मदन जी बहुत बड़ा झुठ्ठा अउर फ्राड रहने बहुत बड़ा केहू के काम कहे पर लटका के ओ अदमी के अतडी निकाल ले दौड़ा के उन्ही के बड भाई कृष्ण मोहन जी अच्छा अदमी हवे पर उहो कुछ डीलह हवे पर हवे अच्छा ,दत्ता बाबू इहा जब आजमगढ़ में रहने जगरनाथ सिंह उहो इहा के मेंबर रहने हा त बहुत तेज अउर जीवट के मनई गलत बात पे लड़े वाला शानदार आदमी रहने इह हल्ला पांडे ( जयप्रकाश पांडे ) जब दुकाने पर आ जाए त इ लग जाए की हल्ला पांडे आ गएल हवे दत्ता बाबू सबसे कट्टर भाजपाई रहने केशरी राय बाबू एक बात समझ में न आयेल इनकर बाबा रहने कम्युनिस्ट चाचा हवे आनन्द मार्गी इ हवे घोर भाजपाई ? तब तक तहबरपुर क्षेत्र के रहे वाला एक आदमी जेके हम दोनों जनी ठीक से पहिचानत न रहनी मगरूवा से बोल उठल कि इन कर चाचा दीनपाल राय के लोक प्रियता जब शहर में बढ़े लगल तब इ न भाजपाई रह गयिने न कम्युनिस्ट सीधे अपने गाँव बीबीपुर जाके कृषि कार्य करे लगने | सम्मोपुर से चल आवे काखी में किताब दबले मेवा लाल जी जब आवे त बहस होवे गरम्- गरम् लगे की मेवा भाई गुस्से में खुदे हवा में उड़ जइहे , बकौल जूठन बाबु हरेन्द्र सिंह त भाजपा के नेता चौबीस घंटा में करीब दस घंटा त यही रहे तभी जूठन के छोटे भाई सुभाष जी बोल पड़े दत्ता बाबू इहा आवे बंश बहादुर सिंह बहुत मस्त मनई रहने एक सांस में पाँच सौ गारी देवे , लगभग दुसरे तीसरे अराजिबाग से दुसरे के मोटर साइकिल के सहारा लेहले अउर काम के सुपाड़ी लेके अति वाचाल डा श्याम नरायण बाबु भी हाजिर हो जात रहने | प्रो राम जी सिंह जी भी मऊ से जब आवे त जुठानालय में जरुर बैठकी मारे इहा के सदस्य लोगन में आनन्द उपाध्याय जी भी शामिल हवे उ बाबू जउन मुस्कुराके अउर शालीन तरीके से थोड़े शब्दन में आपन बात रखेने उन्ही के जोड़ीदार हवे कैलाश मास्टर जउन उनके स्वभाव के एक दम उल्ट हवे मगरूवा से बगल के दुकान वाला कमलेश यादव कहने कि कैलाश मामा फटल ढोलक टाइप बात कयेके जाने , इहाँ आवे अशोक तिवारी आजकल भाजपा mए बड़े पद पर हवे .अउर जीलाजीत यादव .हीरा भाई .नरेंद्र राय वकील साहव के बैठकी होवे हाँ एक बात अउर लक्ष्मण पान वालभी हिस्सा ले अब का कही दत्ता बाबु जब इ लोगन बैठे त पन्द्रह दिन में हमार कुर्सी बहुत टूटे इन लोगन के बैठले से एक बार सेल टैक्स वाले हमरे पर पचास हजार रुपया के टैक्स जबरी लगा देहने ओ समय एक गो रहे सेल टैक्स अधिकारी त्रिवेणी लाल गुप्ता सरवा हमसे पाँच हजार रुपया घुस में लेहलस अउर टैक्स भी लगा देहलस हमउ तीन महीना मुकदमा लडनी इन लोगन के चक्कर में हमरे पर आरसी कट गएल तहसील के जेल गईले के बारी आ गएल पर तहसीलदार भला आदमी रहने उनसे कहनी बाबु जउन टैक्स लगल ह हम भर देब तब उ कहने जा तू टैक्स भर दिहा ओकरे बाद हम कमिश्नर के गयनी मऊ तब जाकर हमरे उपर लगल टैक्स माफ़ भयल , एक बात ह जब भी हमरे इहा खाद्य विभाग वाले छापा मरने कउनो सरवा भाजपाई प्रतिरोध न कईलस जबकि हम जन्मजात जनसंघी रहनी | हम एहसान मानब त स्व तहसीलदार पाण्डेय जी के जउन की जुठ्नालय के नियमित सदस्य न रहने आज से दस बरिस पहिले जब हमरे किहन तहसीलदार खाद्य विभाग वालन के लेके छापा मारे एइने वो समय पाण्डेय जी बैठल रहने उ बहुत विनयी भाव से अधिकारियन के समझा बुझा के वापस भेज देहने इतना दिल के अच्छा रहने तहसीलदार पाण्डेय जी | मगरुवा के भी आगे नगर निकाय के सन्दर्भ में शुचना एकत्रित करे के रहे उ जूठन के भरोसा देके गएल कि एक हप्ताह बाद आई जुठ्नालय के बाकी संस्मरण बाद में सुनब |लेखक- सुनील कुमार दत्ता स्वतंत्र पत्रकार एवं दस्तावेजी प्रेस छायाकार