हार्दिक पटेल पिछले लगभग एक साल से कांग्रेस नेतृत्व के संदेह के घेरे में आ गए थे इसीलिए कांग्रेस नेतृत्व और गुजरात प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने उनसे दूरी बना ली थी। सूत्रों की माने तो हार्दिक पटेल अपने उपर चल रहे मुकदमों से काफी परेशान चल रहे थे, इस लिए उन्होंने भाजपा में अपने सम्पर्क सूत्रों के माध्यम से अपने मुकदमों को समाप्त कराने हेतु प्रयास करना शुरू कर दिया था उन्हें लगा कि इसकी जानकारी कांग्रेस पार्टी को नहीं लगेगी इसलिए उन्होने कांग्रेस नेतृत्व से भी बातचीत करते रहने का और प्रदेश नेतृत्व पर उन्हें सहयोग न करने का उलाहना देते रहने का नाटक भी किया। जबकि प्रदेश के नेताओं से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को इन सब बातों का पता चलता रहा जब हार्दिक पटेल पर से मुकदमा हटाया गया, तभी यह साफ हो गया था कि वह भाजपा में शामिल होंगे, हालांकि आम आदमी पार्टी भी उन्हें अपने दल में शामिल करना चाहती है लेकिन इसकी सम्भावना नहीं के बराबर है राहुल गांधी जानते थे कि जाने वाले को कोई रोक नहीं सकता है इसीलिए उन्होंने हार्दिक पटेल से मिलना मुनासिब नहीं समझा। कांग्रेस पार्टी छोड़ने की जो चिट्ठी या ट्विट उन्होंने किया है उसका मजमून देखने से ही यह स्पष्ट है कि ड्राफ्टिंग कैसे राहुल गांधी को गैरजिम्मेदार नेता बताया जाय, इस तरह बनाई गई है। हालांकि पिछले गुजरात विधानसभा चुनाव में हार्दिक पटेल पाटीदार समुदाय के आंदोलन से निकले नेता थे तब उन्होंने कांग्रेस को बीजेपी के टक्कर में खड़ा कर दिया था। लेकिन तब और अब की स्थिति में अंतर आया है पटेल समुदाय इसे किस प्रकार लेता है यह देखना दिलचस्प होगा। सम्पादकीय -News 51.in