प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश की प्रभारी और महासचिव बनने के बाद से पिछले तीन साल से जितनी मेहनत विधान सभा चुनाव तक की है किसी अन्य कांग्रेस नेता ने नहीं किया था इस बात को दबी जुबान से विपक्षी दलों के नेता भी स्वीकार कर रहे हैं। लेकिन प्रियंका गांधी ने परिश्रम तो किया लेकिन वो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस संगठन में जड़ता थीऔर हर जिले के एक बड़े नेता का जेबी संगठन भर बन कर कांग्रेस रह गयी थी ,इस बात से भली- भांति जानती थी इसीलिए उन्होंने सबसे पहले सभी जिलों के जिलाअध्यक्षों और संगठन कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और उनके विचार जाने अजय कुमार लल्लू के बारे में वो जानती थीं कि एक मजदूर से विधायक और दूसरी बार मोदी लहर में भी तुमकही विधान सभा चुनाव जीता था तुमकही का बच्चा -बच्चा उन्हें जानता है और वहाँ के लोगों के लिए सदैव संघर्ष के लिए तैयार रहते हैं बेहद मेहनती और इमानदार पिछड़ी जाति के नेता हैं इसीलिए प्रियंका गांधी ने सभी वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया और क ई रैली और धरना-प्रदर्शन तथा अन्य कार्य क्रम चला कर नेताओं और कार्यकर्ताओं की परख करती रहीं और हर जिले के पार्टी के लिए सड़क पर संघर्ष करने वाले नेताओं की पहचान कर हर जिले का संगठन मजबूत बनाया गया और संघर्ष करने वाले नेताओं को आगे किया गया। नतीजतन पुराने और बड़े तथा अनुभवी नेताओं ने विरोध का बिगुल प्रियंका गांधी के खिलाफ भी खड़ा हुआ लेकिन प्रियंका अपने इरादे पर अटल रहीं। प्रियंका गांधी यह भी जानती थी कि कांग्रेस का किसी जाति, धर्म का वोट बैंक नहीं है तो उन्होंने बेहद समझदारी से 40 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देने का एलान किया और 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिया भी। साथ ही लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा भी दिया। नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस को जो लोग गठबंधन लायक भी नहीं समझते थे वो भी परेशान हैं और फिर इसके अलावा अब तक के सभी चुनाव में एक मात्र बड़े नेता के रूप में राहुल गांधी पर ही पूरा भार आ जाता था। इसे भी प्रियंका गांधी ने नयी टीम प्रचार करने वालों की ऐसी तैयार की जो प्रखर वक्ता और बेहद जानकार हैं और अब उन्हें मीडिया या दूसरे दल के नेता बरगला नहीं पा रहे हैं।एक बात अनजाने में कांग्रेस के हक में हुई है कि सपा और बसपा दोनों ने कांग्रेस को कमज़ोर समझ कर इग्नोर किया और गठबंधन करने से साफ इंकार कर दिया । जिसने कांग्रेस को पूरे प्रदेश में लड़ने पर मजबूर कर दिया। जिसका प्रतिकूल असर पड़ने के बजाय सभी जिलों के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह भर दिया क्योंकि 25-30 साल में पहली बार कांग्रेस प्रदेश की सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इन सब बातों का सकारात्मक प्रभाव उत्तर प्रदेश में पार्टी पर पड़ा है। चुनाव का रिजल्ट क्या होगा। ये तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन यह तय है कि कांग्रेस के वोट परशेंटेज में भारी उछाल आना है और अगर कांग्रेस 25-35 सीट पाने में कामयाब रहती है तो फिर कांग्रेस को जो लोग यूपी में कोई भाव नहीं दे रहे हैं या दे रहे थे लोकसभा 2024 के चुनाव में कांग्रेस सभी दलों के लिए एक बड़ी ताकत बनेगी। ।सम्पादकीय -News 51.in
सभी दलों ने माना -यूपी में प्रियंका गांधी ने जबरदस्त मेहनत के साथ दिमाग भी लगाया और प्रियंका ने माना कि प्रदेश संगठन ठहरे हुए पानी की तरह से था जिसमे आमूल-चूल परिवर्तन आवश्यक था
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