लार्डस (लंदन) -ऐसा विश्व कप का फाईनल न कभी हुआ और भविष्य में होने की उम्मीद। लेकिन उसके फैसले ने पूरा स्वाद कसैला कर दिया क्या सिर्फ इस आधार पर कि मैच में इंग्लैंड ने न्यूज़ीलैण्ड से ज्यादा बाउंड्री लगाई इसलिए उन्हें विजेता घोषित कर दिया गया, यह तो हद दर्जे की हारी हुई टीम के साथ नाइंसाफी हुई। हो सकता है फैसला नियमों के अनूकूल हुआ हो। भारत और पाकिस्तान का मैच टाई होने पर एक -एक ओवर दोनों टीमों के बालरों द्वारा फेंका गया था और उसमें भारतीय टीम के गेंदबाजों ने ज्यादा निशाना विकेट पर लगाया था। किंतु दोनों टीमों को जोर आजमाइश का मौका मिला था। यहाँ तो ऐसे तुगलकी नियम के चलते खिलाड़ीयों को बिना जोर आजमाइश के ही हार-जीत का फैसला सुना दिया गया।जबकि खिलाड़ी सुपर ओवर तक बराबरी पर थे।
पहले बल्लेबाजी करते हुए न्यूज़ीलैण्ड की टीम ने 241 रन बनाये। कप्तान केन विलियम्सन ने 30 रन बनाये इस प्रकार “मैन आफ द सीरीज ” बने। उनके अलावा हेनरी निकोल्स 55 रन और लाथम ने 47 रन बनाये किसी प्रकार न्यूज़ीलैण्ड की टीम 241 बना सकी। बाद में खेलने उतरी इंग्लैंड की टीम ने बेन स्टोक्स की 84 रनों की पाली की बदौलत 50 ओवर में 241 रन ही बना सकी। इसके बाद सुपर ओवर में पहले इंग्लैण्ड ने 15 रन बनाये जबाब में न्यूज़ीलैण्ड ने भी 15 रन ही बनाये इस समय तक खेल की दिलचस्पी अपने चरम पर पहुंच गई थी अचानक अधिक बाउंड्री लगाने के कारण इंग्लैण्ड को विजयी घोषित कर दिया गया। जिससे न्यूज़ीलैण्ड के खिलाड़ियों की आंखों में आंसू छलक पड़े वहीं इंग्लैण्ड की टीम और इंग्लैण्ड के दर्शक विश्व कप के 44 साल के इतिहास में पहली बार विश्व विजेता बनने की ख़ुशी में झूम उठे ।