क ई दिनों से चल रहे राजनैतिक ड्रामा के बाद अंततः नीतिश कुमार के दबाव में जदयू के अध्यक्ष पद से अंततः ललन कुमार को इस्तीफा देना ही पडा़ । जिसके कयास लगभग काफी दिनों से चल रहा था ।दर असल ललन कुमार बार-बार पाला बदलने को सही नहीं मान रहे थे और इधर वो लालू यादव से काफी नजदीक हो गये थे जिसकी शुरूवात इंडिया गठबंधन में नीतिश कुमार के संयोजक न बनाए जाने के बाद ही शुरू होगयी थी। उधर बीजेपी से नीतिश कुमार के नेताओं की भी बात-चीत चल ही रही थी जिसके बारे में बिहार भाजपा के नेता खुलेआम कह रहे थे।दर असल भाजपा से पुनः तालमेल के खिलाफ थे ललन कुमार और कुछ अन्य विधायक भी थे। दर असल 2015 में लालू यादव ने भारी भूल कर दी थी महागठबंधन की सरकार बनते समय लालू यादव ने अपने दोनों बेटों में तेजस्वी यादव को उप मुख्यमंत्री और तेज प्रताप यादव को मंत्री बनाना था तो नीतिशकुमार ने विधानसभा अध्यक्ष का पद मांग कर विजय कुमार चौधरी को स्पीकर बना दिया था।उस गलती का खामियाजा राजद आजतक भोग रहा है। इसबार भाजपा से नीतिश का गठबंधन फिर होने की सम्भावना बढ गयी है यह भी अंदेशा है कि लोकसभा चुनावों के साथ ही बिहार।विधानसभा का चुनाव होगा, वैसे भी 2024 लोकसभा चुनाव के बाद 2025 में विधानसभा चुनाव होता। लेकिन इसबार परिस्थितियां काफी अलग है और बहुमत पाने के बाद भाजपा शायद ही नीतिश कुमार को मुख्यमंत्री बनाए जाने को तैयार हो और अबकी जदयू में भारी टूट की सम्भावना भी भाजपा से तालमेल के विरोध में हो सकता है लालू यादव ने 2022 के चुनाव बाद 2015 वाली गलती न दोहराकर अपने सबसे खास और विश्वसनीय अवध बिहारी चौधरी को विधान सभा का अध्यक्ष बनवा।दिया था इधर नीतिश कुमार को भी ललन कुमार से बढती नजदीकी की जानकारी भी हो चुकी थी साथ ही बिजेंद्र प्रसाद यादव के यहां 14 जदयू विधायकों की गुपचुप बैठक ललन कुमार की उपस्थिति में होने की जानकारी भी हो ग ई थी इसीलिए ललन कुमार का इस्तीफा लिया गया ।यह सभी जानते हैं कि जदयू का वोट बैंक अति पिछडे़ और अति दलित हैं जिसमें भी भाजपा सेंधमारी कर चुकी है भाजपा भी अब जदयू से नहीं सीधी लडा़ई में राजद के सामने दिखना चाहती हैं अगर वह नीतिश के साथ आती है तब भी जदयू में टूट होगी और विधान सभा अध्यक्ष।राजद के अवध बिहारी चौधरी के होने से राजद , कांग्रेस, वामदलों और माले के साथ और जदयू से टूटे विधायकों के साथ राजद सरकार बना सकती है, या इस बीच इडी तेजस्वी को गिरफ्तार कर सकती है दोनों स्थितियां भाजपा के अनूकूल नजर आती है क्योंकि तेजस्वी अगर कुछ दिनों के लिए मुख्यमंत्री बनते भी हैं तो तबतक जदयू कादो हिस्सा होना तय हैं कुछ राजद के साथ और बडा़ हिस्सा और उसका वोटर दोनों लगभग समान हैं, इसका लाभ भी भाजपा को मिलना तयं है, राजनीति मेंकुछ भी असम्भव नहीं है इसलिये 15-20 दि नों में बिहार की राजनीति में भारी उलटफेर देखने को मिल सकता है । सम्पादकीय-News51.in