Tuesday, December 10, 2024
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राहुल गांधी -कांग्रेस की कमजोर कड़ी या मजबूत कड़ी,एक विश्लेषण

भूतपूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के व्यक्तित्व (रूप एक व्यक्तित्व अनेक) काआज सम्पूर्ण विश्लेषण किया जाना आवश्यक है क्यों कि उनसे ही कांग्रेस पार्टी का भविष्य भी छिपा है और वर्तमान भी है पहले तो हम उनके मजबूत पक्ष को देखते हैं एक बेहद ऊर्जावान और हिम्मती नेता हैं। दूसरे सही और बेबात बातें बोल जाते हैं इनकी अनेक कमजोरियां हैं पहला तो यह कि वह हर कार्य स्वंयम करना चाहते हैं, किसी राज्य के मजबूत संगठन नहीं खड़ा कर सके। किस राज्य में कौन -कौन सी समस्या है और वहाँ क्या बोलना है इसकी कोई तैयारी तक नहीं करते। जैसे बिहार चुनाव में चीन द्वारा भारत की सीमा में अतिक्रमण की बात कहना। पाकिस्तान के कितने आतंकी या सैनिक मरे, इसका सबूत मांगना, ये सभी बातें भाजपा की पिच पर जाकर खेलने जैसी है और भाजपा को लाभ पहुंचाती है भले ही सही या गलत कहते हों।शायद इस मामले में तेजस्वी यादव ज्यादा परिपक्व लगे ,उपर सेउनका यह कहना कि मैं सही बात कहता हूं, किसी को बुरा या अच्छा लगे ?इसके अलावा उनके सामने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जैसा दमदार और ओजस्वी भाषण देने वाले नेता हैं। राहुल गांधी जिससे नाराज हो जाते हैं ,चाहे वह कितना भी जमीनी पकड़ वाला नेता हो, उससे दूर हो जाते हैं उदाहरण स्वरूप हरियाणा में भूपेंदर सिंह हुड्डा के स्थान पर काफी समय तक अशोक तंवर को कांग्रेस की कमान सौंपे रहे और कांग्रेस का नुकसान होता रहा। उनको सबसे पहले सभी राज्यों में अपने संगठन को मजबूत बनाना होगा और अपने सबसे प्रिय के स्थान पर सबसे मजबूत नेता को वहां की बागडोर सौंपनी होगी, जैसा प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश में किया है यहाँ कांग्रेस संगठन धीरे-धीरे ही सही, खड़ा हो रहा है। और स्वयंम ही प्रेस कांफ़्रेंस करने के बजाय, जिस मामले में प्रेस कांफ़्रेंस करनी हो, उस मामले के जानकार से प्रेस कांफ़्रेंस करानी चाहिए,हर बार सुरजेवाला से ही प्रेस कांफ़्रेंस नहीं करानी चाहिए, नही उन्हें ही साथ रखना चाहिए। राज्य ईकाईयों को सम्पूर्ण अधिकार देना चाहिए। हमेशा उनके हाथ बंधे रहने से वो कोई डिसीजन नहीं ले पाते। राहुल गांधी को सोचना होगा कि वो हर उस मामले पर चुप्पी साधें, जिसपर बोलने से कांग्रेस का नुकसान हो, बोलने के लिए बहुत कुछ है। बेरोजगारी, महंगाई, महिलाओं के उत्पीड़न पर उनके उत्थान पर किसानों की समस्याओं और जहाँ पर जाकर बोलना है वहाँ की क्षेत्रीय जनता की परेशानी।गुजरात के पिछले विधान सभा चुनाव, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब, मध्य प्रदेश के चुनाव में मैने स्वयं उनके भाषण टीवी पर देखें हैं राहुल गांधी के भाषणों में तीखापन था और विवादों से बचते हुए बहुत ही अच्छा भाषण दिया था भले हीगुजरात, महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस की हार हुई। लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद मोदी विरोध में वह भाजपा की जाल में फंस जाते हैं। अगर वह अपनी कमियों में सुधार नहीं लाते हैं तो कांग्रेस का बेड़ा पार होना मुश्किल है। सम्पादकीय -News 51.in

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