Saturday, July 27, 2024
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मायावती की चुनाव में चुप्पी पर भाजपा के डर वाले प्रियंका गांधी के बयान पर मायावती बोलीं तो जरूर, लेकिन भाजपा नहीं ,कांग्रेस के खिलाफ बोली. यूपी में कांग्रेस की सक्रियता से अपने वोट बैंक के कांग्रेस में वापस जाने का भय सता रहा.

कुछ दिनों पूर्व कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी ने मायावती पर यह तंज कसा था कि यूपी में विधान सभा चुनाव सर पर है और मायावती निष्क्रिय बैठी हैं। जिसके दूसरे ही दिन मायावती बोलीं, लेकिन भाजपा नहीं, कांग्रेस के खिलाफ बोली और कहा कि कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट आप सभी खराब न करें, कांग्रेस वोट कटवा पार्टी है। यह स्पष्ट लग रहा है कि दलितों पर यूपी में पिछले कुछ समय से जितने भी उत्पीड़न या अत्याचार हुए हैं उनमें लगभग सभी जगह कांग्रेस ने न केवल अपनी उपस्थिति सबसे पहले दर्ज कराया बल्कि उन सभी में दलितों की तरफ से लड़ाइ लड़ी। आजमगढ की घटना तो जानकारी में ही नहीं आती क्षेत्रीय पुलिस प्रशासन ने उसे डरा धमका कर दबा ही दिया था वह तो प्रियंका गांधी के निर्देश पर आजमगढ के कार्य कर्ताओं के साथ कांग्रेस अध्यक्ष प्रवीण सिंह ने क ई दिनों तक धरना प्रदर्शन कर जिला प्रशासन कोदोषीयों के खिलाफ कार्यवाही कराई।इस तरह के सभी मामलों में कांग्रेस की सक्रियता मायावती को अब चुभ रही है। बाकी बची कसर भीम आर्मी चीफ चंद्र शेखर की पश्चिम उत्तर प्रदेश में मायावती को भारी पड़ रही है। मायावती ने दलितों के उत्पीड़न या अत्याचार पर इक्का दुक्का टवीट किया या चुप्पी साधे रही। समय बदल चुका है सभी जातियाँ जागृति हो रही है। मायावती के उदय के पहले दलितों सदैव कांग्रेस के साथ रहे और कांग्रेस ने भी क ई योजनाएं दलितों के उत्थान के लिए चलाई हैं। बस यही डर यूपी में कांग्रेस की बढ़ती सक्रियता से अपने वोट बैंक की चिंता सता रही है क्योंकि पहले ही भाजपा से नजदीकी का आरोप मायावती पर लग रहा है इस कारण अल्पसंख्यक भी लगभग मायावती का साथ छोड़ चुके हैं। और मायावती का चुनाव में कांग्रेस और सपा पर हमला बोलना और भाजपा के प्रति चुप्पी आश्चर्यजनक तो है किंतु सम्भावित था। हालांकि यह चुनाव मायावती के लिए भी महत्वपूर्ण है कि सभी मान रहे हैं कि बसपा पहले की अपेक्षा अपना जनाधार खो चुकी हैं, लेकिन कितना ये बेहद महत्वपूर्ण है। सभी कयास लगा रहे हैं मायावती की पार्टी अक्सर चुनाव परिणाम में चौंकाती है यह तो तय है कि पहले वाली बात मायावती में नहीं है और इसका असर चुनाव में पड़ेगा ।विधान सभा चुनाव भी क्या मायावती के लिए वाटर लू साबित होता है या अभी चुनाव बाद मालूम होगा।

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