पिछले कई दिनों से यह खबर राजनीतिक गलियारों में उड़ रही थी कि बंगालकी मुख्य मंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के बीच तनातनी चल रही है अभिषेक बनर्जी पिछले कई दिनों से पार्टी में ,एक व्यक्ति ,एक पद के सिद्धांत को पार्टी में लागू करना चाहते हैं और इसे लेकर पार्टी में लाबिंग कर रहे हैं और उनका साथ पार्टी के वरिष्ठ नेता डेरेक ओ ब्रायन भी कर रहे हैं और इसके पीछे सारा दिमाग अपने को तथा कथित रूप से चुनावी रणनीति कार कहने वाले प्रशांत किशोर और उनकी कम्पनी आई पैक का है इसी कारण ममता बनर्जी की प्रशांत किशोर से भी ठन गई है ममता बनर्जी इस” एक व्यक्ति, एक पद “को पार्टी में लागू करने को अपने विरूद्ध एक साजिश मान रही हैं क्योंकि ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस की न केवल अध्यक्ष हैं बल्कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री भी हैं अबतक पार्टी में ममता बनर्जी के बाद दूसरे नम्बर पर सबसे शक्तिशाली नेता थे और पार्टी के महासचिव भी थे। प्रशांत किशोर के बारे में यह माना जाता है कि वे राजनीति के मंझे खिलाड़ी तो हैं अच्छी रणनीति भी बनाते हैं लेकिन उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा बहुत ज्यादा है जिस पार्टी में जाते हैं वह सर्वेसर्वा बनना चाहते हैं इसी कारण सभी दलों ने उन्हें छोड़ दिया है इसी कारण कांग्रेस से सारी बात फाईनल होने के बाद “उनकी राय को सर्वाधिक महत्व दिया जाय” पर कांग्रेस आलाकमान ने हाथ खिंच लिया। यहाँ भी ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी के चाल को समझ रही थीं इसीलिए उन्होंने शनिवार को पार्टी की 20 सदस्यों की नई राष्ट्रीय कार्यसमिति का गठन कर दिया। ममता बनर्जी और पार्टी के बुजुर्ग नेताओं का एक गुट, जो पार्टी और सरकार दोनों में शामिल हैं अभिषेक बनर्जी की इस मांग के सख्त खिलाफ हैं। इस कारण ममता बनर्जी ने पार्टी अध्यक्ष को छोड़कर शेष सभी शीर्ष पदों को निरस्त कर दिया है, नये पदाधिकारियों की घोषणा अब बाद में की जाएगी ।नयी कार्यसमिति में अभिषेक बनर्जी का नाम तो है लेकिन उनके खासमखास वरिष्ठ नेता सौगत राय और डेरेक ओ ब्रायन का नाम नहीं है।
यहाँ कांग्रेस पार्टी अपने को पुनः पश्चिम बंगाल में मजबूत करने का सुअवसर देख रही है चूंकि कांग्रेस आलाकमान पहले से ही ममता बनर्जी से काफी नाराज चल रही है, जिस प्रकार ममता बनर्जी ने कांग्रेसी नेताओं को कांग्रेस से तोड़ कर अपनी पार्टी में शामिल किया था और पूरे देश में तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद कर रही थी उसके बाद कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में एक अच्छा मौका पार्टी की जड़ मजबूत करने का मौका मिला है और हमें लगता है शीघ्र ही कांग्रेस की तरफ से कोई ठोस और मजबूत पहल हमे।पश्चिम बंगाल में कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव देखने को मिल सकता है और तृणमूल में सेंध मारी भी देखने को मिल सकती है। ।।।
सम्पादक -अशोक श्री वास्तव, News 51.in