Wednesday, October 9, 2024
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ममता बनर्जी का बयान ” कांग्रेस को विपक्ष की एकता में केंद्रीय भूमिका निभानी होगी ” मात्र छलावा

ममता बनर्जी इन दिनों बीरभूमि में हुई भयानक घटना से बुरी तरह केंद्र सरकार के निशाने पर हैं और भाजपा की जांच टीम ने जो रिपोर्ट वहाँ के दौरे के बाद भेजी है उसमें भी राज्य सरकार की विफलता की बात कही गई है फिर कांग्रेस डेलीगेशन अधीर रंजन की अगुवाई में बीरभूमि जांच के लिए गया, पहले तो ममता सरकार ने उन्हें वहाँ जाने से रोकने का प्रयास किया बाद में जाने पर उन्होंने वहाँ केंद्र सरकार और राष्ट्रपति महोदय से राष्ट्रपति शासन की मांग की और घटना के लिए ममता बनर्जी की सरकार को जिम्मेदार ठहराया। पूर्व में पश्चिम बंगाल की हर घटना पर चुप्पी साधने या राज्य सरकार का समर्थन करने वाली कांग्रेस से ममता बनर्जी को विरोध करने की उम्मीद नहीं थी। अब हर तरफ से घिरने वाली ममता बनर्जी ने कांग्रेस को विपक्ष की केंद्रीय भूमिका निभानी होगी कहकर कांग्रेस से सुलह का रास्ता निकालने का प्रयास किया है। ममता बनर्जी एक अविश्वसनीय नेता हैं उनपर एतबार करना कांग्रेस नेतृत्व को उचित नहीं होगा बल्कि कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में अपनी पार्टी का संगठन मजबूत कर ममता बनर्जी की पार्टी का विकल्प बनने का प्रयास करना ही होगा।

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ममता बनर्जी के इस बयान पर कांग्रेस को इतराने की नहीं है जरूरत, कि “भविष्य में किसी भी प्रकार की विपक्ष की एकता के लिए कांग्रेस को केंद्रीय भूमिका निभानी होगी” । आज ममता बनर्जी की सरकार बीरभूमि में हुई घटना के बाद बीजेपी का और कांग्रेस का आक्रामक रूख ममता बनर्जी को परेशान किए हुए है जब कांग्रेस नेता अधीर रंजन की अगुवाई में कांग्रेस डेलिगेशन बीरभूमि में घटना की जानकारी लेने गया था तो ममता बनर्जी की सरकार ने उन्हें वहाँ न जाने देने के लिए पूरा प्रयास किया था। जिस प्रकार अधीर रंजन ने वहाँ की स्थिति को लेकर केंद्र सरकार और राष्ट्रपति महोदय से राष्ट्रपति शासन की मांग की उससे ममता की समस्या बढ गयी है अभी तक बंगाल की हर घटना पर चुप्पी साधने या राज्य सरकार का समर्थन करने वाली कांग्रेस से ममता बनर्जी को ऐसी उम्मीद नहीं थी ।ममता बनर्जी इस समय भले ही कांग्रेस के विपक्ष की केंद्रीय भूमिका की बात कर रही हैं किंतु वो एक अविश्वसनीय नेता हैं उनपर एतबार करने के बजाय कांग्रेस को पश्चिम बंगाल में अपनी पार्टी को ममता बनर्जी के विकल्प के रूप में आने के लिए संघर्ष और पार्टी संगठन को मजबूत करने की ज़रुरत है।
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