Thursday, November 14, 2024
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भारत में सरकार और विपक्ष के मध्य विदेशी हमलों में हुए नुकसान पर घमासान के कारण

पहले जब कांग्रेस की सरकार के समय या अटल बिहारी वाजपेई जी के प्रधानमंत्रित्व काल में भारत और पाकिस्तान या भारत और चीन के बीच युद्ध होते थे तो उस समय भारतीय सेना के शहीदों की संख्या और पाकिस्तान के कितने सैनिक मारे गए या भारत ने पाकिस्तान की सीमा के अंदर कितने भाग पर कब्जा कर लिया है या चीन ने भारत की सीमा में कितने भाग पर कब्जा कर लिया या किसके कितने जहाज, टैंक या तोपें नष्ट हुई, किसके कितने सैनिक मारे गए या गिरफ्तार हुए ,उसके लिए सरकार द्वारा अधिकृत रक्षा मंत्रालय के बड़े अधिकारी या सरकार द्वारा अधिकृत प्रवक्ता द्वारा जो बयान दिये जाते थे उन्हें सभी लोग (विपक्ष, जनता) द्वारा सही मान लिया जाता था। किन्तु वर्तमान सरकार में पिछली बार पाकिस्तान पर वायुसेना का सर्जिकल स्ट्राइक में मारे गए पाकिस्तानीआतंकियों की संख्या को लेकर विपक्ष ने एतराज जताया और तो और सर्जिकल स्ट्राइक पर ही प्रश्न उठा दिया जिसपर भाजपा जिसकी सरकार है ने विपक्ष को भरोसे में लेने के बजाय विपक्षी दलों (खासकर कांग्रेस) को देश द्रोही और पाकिस्तान से मिला बता कर आग में घी डालने का कार्य किया ।इसी प्रकार इस बार चीनी सेना से गलवन में हुई हिंसक हाथापाई और खूनी झडप में भारत के 20 जवानों के शहीद होने की बात को सही माना गया किंतु चीन के कितने मरे जवानों के मारे जाने कीसंख्या की पुष्टि न तो चीन की तरफ से न ही भारत की सरकार द्वारा अधिकृत रुप से की जा रही है जिसके कारण एक बार फिर रूलिंग पार्टी भाजपा विपक्षी दल कांग्रेस को चीन को भारतीय जमीन देने का आरोप लगा रही है और वहीं विपक्षी दल कांग्रेस चीनी सैनिकों के मौत की संख्या और भारतीय सीमा के अंदर अतिक्रमण और बिना हथियार के झड़पवाले स्थान पर सैनिकों के जाने आदि पर प्रश्न उठा रही है यानि फिर वही बात कि सरकार ने विपक्षी दलों को भरोसे में नहीं लिया । शायद मेरी समझ में इस सबका कारण सरकार द्वारा अधिकृत प्रवक्ता (चाहें रक्षा मंत्रालय या सेना का बड़ा अधिकारी) द्वारा वस्तु स्थिति की जानकारी न देना ही मुख्य है। कभी गिरिराज सिंह जैसे नेता सर्जिकल स्ट्राइक में मारे गए आतंकियों की संख्या कुछ बताना, सेना के किसी अधिकारी द्वारा कुछ संख्या बताना या तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष द्वारा मृत आतंकियों की संख्या कुछ बताने से भी मतभेद बढना इस बार भी कमोबेश पिछली कहानी दोहराई गई अब वर्तमान में दूसरे विभाग के मंत्री वी. के. सिंह का बयान या वर्तमान भाजपा अध्यक्ष जेपी नेड्डा का पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर चीन के संदर्भ में ताजा बयान या राहुल गांधी द्वारा बार -बार जल्दबाजी में किये जा रहे ट्वीट से भी स्थिति सरकार और विपक्ष के मध्य तकरार ऐसे समय में भी हो रही है जब पहले ऐसे समय में सारा देश हो जाता था। अब तो भाजपा के नेता और कार्यकर्ता एक तरफ खड़े हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता एक तरफ। दोनों बजाय चीन और पाकिस्तान को जबाब देने के बजाय आपस में ही तू तू मैं-मैं कर रहे हैं। आम जनता जिसे न ही भाजपा ,न ही कांग्रेस से मतलब है, सिर्फ देश से मतलब है, वह समझ नहीं पा रही है कि ऐसा क्यों हो रहा है। शायद दोनों दल एक दूसरे को नीचा दिखाने का यह मौका मान रहे हैं भाजपा कांग्रेस को पिछला इतिहास बता रही है और उसे वर्तमान से जोड़कर अपने को श्रेष्ठ बता रही है तो कांग्रेस भाजपा की किसी भी घटना पर तत्काल वार करने की जल्दबाजी में है। आग में घी डालने का कार्य मीडिया का एक बड़ा हिस्सा भी बड़े मन से कर रहा है मेरा सरकार से आग्रह है कि एक सरकार की तरफ से अधिकृत प्रवक्ता नियुक्त करे जो युद्ध या झड़प या समझौतों की सही जानकारी न्यूज चैनलों पर दें साथ ही ऐसे सभी भाजपा नेताओं या मंत्रियों से अपनी ओर से गढे बयान सार्वजनिक न करें जिनका रक्षा मंत्रालय से दूर -दूर तक कोई नाता न हो। सरकार की ओर से नियुक्त प्रवक्ता द्वारा दिया गया बयान ही अधिकारिक रूप से सत्य माना जाय। इससे सत्ता पक्ष और विपक्ष के मध्य एक रूपता बनेगी। विपक्ष को भी ऐसे प्रश्न पूछने से ऐसे समय में परहेज करना चाहिए ताकि दुश्मन देश को बल न मिल सके। विपक्ष का काम सरकार से प्रश्न पूछना है तो सरकार का काम भी कोई कार्य करने से पहले विपक्ष को भरोसे में लेने का होना चाहिए। सम्पादकीय…. News51. In

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