भाजपा ने एक न ई रणनीति के तहत अपने दो बड़े महारथियों को हटा कर नये चेहरों पर यूं ही नहीं दांव लगाया है। दक्षिण के कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री यदुरप्पा, के . संतोष और बी. एल. लक्ष्मण को शामिल कर दक्षिण का किला मजबूत किया है और मोदी के कट्टर आलोचक और पूर्व भाजपा अध्यक्ष और भाजपा के दिग्गज नेता महाराष्ट्र के महारथी नितिन गडकरी को और अपनी चमक खोते जा रहे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को संसदीय बोर्ड से बाहर कर दिया गया है और असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल तथा सिख नेता इकबाल सिंह लालपुरा को शामिल किया गया है। बी. एस यदुरप्पा मुख्य मंत्री पद से हटाए जाने के बाद से नाराज थे उनकी नाराजगी को दूर किया गया है। वह कर्नाटक में लिंगायत समुदाय के बड़े लोकप्रिय नेता हैं इसलिए उनकी नाराजगी भाजपा को कर्नाटक में भारी पड़ सकती थी। नितिन गडकरी मोदी की लगातार आलोचना कर रहे थे इसीलिए उनपर गाज गिरी है और हो सकता है भविष्य में उनका मंत्री पद भी जा सकता है। शिवराज सिंह चौहान अब मध्य प्रदेश में पहले जितने लोकप्रिय नहीं रह गये हैं। कांग्रेस अपने को वहाँ मजबूत करती जा रही है और आम आदमी पार्टी ने भी नगर निकाय चुनाव में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। इसी प्रकार सुधा यादव को शामिल कर भाजपा ने यह संदेश देने का प्रयास किया है कि भाजपा सेना के लोगों का सम्मान करती है इसके अलावा वह महिला भी हैं। आपको यह बताना आवश्यक है कि सुधा यादव के पति बीएस एफ में थे और कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे।