पांच राज्यों का चुनाव सम्पन्न हो गया और पंजाब में आप पार्टी ने ऐतिहसिक विजय दर्ज की वहीं अन्य चारों राज्यों (मणिपुर, गोवा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश) में भाजपा ने शानदार विजय दर्ज कर अपना लोहा मनवाया। इन सब के बीच आम आदमी पार्टी ने पंजाब में 117 सीटों में 92 सीट हासिल कर ऐतिहसिक विजय दर्ज की और उसने राष्ट्रीय पार्टियों को खासकर कांग्रेस के साथ ही भाजपा को भी दहशत में ला दिया है लेकिन देखना यह होगा कि वह कितनी आगे तक जा पाएगी या अन्य लोकल पार्टीयों की तरह ही बन कर रह जायेगी। वर्तमान दौर में भाजपा की और खासतौर से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का दौर अपने चरम पर है खासकर उनकी कुछ योजना जैसे प्रधान मंत्री आवास योजना, गांवों में शौचालय, लोगों को मुफ्त राशन देने की व्यवस्था तथा किसानो के खाते में सालाना धन भेजने जैसी योजनाओं ने तो ऐसा जादू किया है कि विपक्ष की सोशल इंजीनियरिंग ( धर्म और जाति गत समीकरण) एकदम ध्वस्त हो गए। फिलहाल मैने तो हाल फिलहाल में ऐसा चमत्कार नहीं ही देखा था मैने तो हरबार की तरह इस बार भी यही सोचा था कि इस बार अखिलेश यादव ने जबरदस्त सोशल इंजीनियरिंग की है जिसका काट इस बार किसी भी पार्टी के पास नहीं है लेकिन चमत्कार हुआ सारे जातिगत और धार्मिक समीकरण एक तरफ और भाजपा सरकार की योजनाएं एक तरफ, जिसके कारण भाजपा की सभी चारों राज्यों में भारी जीत हासिल हुई ।एक और महत्व पूर्ण कारण उत्तर प्रदेश में बसपा रही । बसपा ने 91 मुस्लिम उम्मीद वार, 15 पर यादव उम्मीद वारों को उतार कर और 15 पर जिस जाति का सपा उम्मीद वार थे उसी बिरादरी का उम्मीदवार उतारा। इस तरह 122 सीट पर स्वयंम तो बसपा एक भी नहीं जीती लेकिन रणनीति के तहत सपा गठबंधन के रास्ते में कांटा जरूर बो दिया जिसका खामियाजा सपा गठबंधन को उठाना पड़ा और इन 122 सीटों में 68 पर भाजपा गठबंधन को जीत मिली। इनमें 54 सीटें सपा गठबंधन जीती ।इस चुनाव में बसपा अपने चुनाव जीतने में कम और सपा को हराने की रणनीति से उम्मीद वार उतारे और सपा की जबरदस्त घेराबंदी की। जो एक मात्र सीट बसपा के उम्मीदवार उमाशंकर सिंह ने जीती वह उनकी व्यक्तिगत जीत थी और वह किसी पार्टी से चुनाव लड़ते, जीत ही जाते। फिर भी भाजपा के चुनाव प्रबंधन उनके द्वारा कराया गया जनता के हित में कार्यों की अनदेखी और उसका प्रचार सभी कुछ अद्भुत रहा।