भाजपा अपने एनडीए गठबंधन को और विस्तार देने के लिए प्रयासरत है।इनमें सबसे प्रमुख आंध्रप्रदेश की चंद्रबाबू नायडु की तेलगु देशम सबसे प्रमुख है सम्भवतः दोनों दलों के बीच बात चल रही है इसी प्रकार बीआर एस प्रमुख के चंद्रशेखर राव कांग्रेस के तेलंगाना में एकाएक बढते ग्राफ और उनके प्रमुख नेताओं के कांग्रेस में जाने और उनकी पुत्री को ईडी के बुलावे के बाद जिस तरह से के चंद्रशेखर राव के मंत्री पुत्र ने दिल्ली जाकर गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात का प्रयास कियाऔर अमित शाह ने मिलने से इंकार कर दिया और भाजपा नेताओं के निशाने पर तेलंगाना में बीआर एस और के चंद्रशेखर राव रहे ऐसालगता है भाजपा बीआर एस से दूरी बनाये रखना चाहती हैअन्यथा तो बीआर एस भाजपा के पाले मेंजाने को तैयार है लेकिन भाजपा का बीआर एस से तालमेल भाजपा के लिए आत्मघाती होगा।उडी़सा में किसी भी गठबंधन का हिस्सा न रह कर केंद्र में जिस दल की सरकार होगी, को समर्थन देती रहेगी। यही हाल वाईआर एस कांग्रेस का भी है वह भी किसी गठबंधन में न रह कर केंद्र में जिस दल की सरकार बनेगी उसे समर्थन देगी।पंजाब के अकाली दल ( बादल) को छोड़कर अकाली दल संयुक्त केसुखदेव सिंह ढीढसा को प्राथमिकता देकर 18 जुलाई की बैठक में बुलावा देना, लगता हैभाजपा ने अभी तक उसे माफ नहीं किया है ।शरद पवार केआवास पर जाकर अजीत पवार के सभी विधायकों का जाकर शरद पवार का आशीर्वाद लेना भी कहीं न कहीं विपक्षी दलों में संदेह को जन्म देता है वैसे भी शरद पवार कब क्या कहेंगे और क्या करेंगे ,किधर जायेंगे कोई नहीं जानता।सम्भवतःअल्प संख्यकों की नाराजगी का भय उनके अंदर कहीं न कहीं है। उधर यूपीए भी संभवतः ओम प्रकाश चौटाला को अपने साथ जोड़ने का मन बना रही है । सम्पादकीय- News51.in