Saturday, July 27, 2024
होमइतिहासब्रिटेन का प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल- महात्मा गांधी से नफरत करता था

ब्रिटेन का प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल- महात्मा गांधी से नफरत करता था

गांधी से नफरत करने वाला वह विशाल साम्राज्य भी डूब गया, जहां कभी सूरज नहीं डूबता था, तो फिर तुम दो कौड़ी के ट्रोल आर्मी किस खेत की मूली हो!

ब्रिटेन का प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल एक ऐसे साम्राज्य का शासक था जिसके बारे में कहते हैं कि उसका सूरज कभी नहीं डूबता था. चर्चिल महात्मा गांधी से नफरत करता था. उसकी गांधी के प्रति यह नफरत भारतीयों के प्रति नफरत का प्रतिबिंब थी. उसने गांधी को हिकारत से “भूखा नंगा फकीर” कहा. कैबिनेट में उसके सीनियर रह चुके Leo Amery के मुताबिक, एक बार उसने भारतीयों को “पाशविक धर्म के अनुयायी पाशविक लोग” कहा था.

महात्मा गांधी ने जब भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की और ‘करो या मरो’ जैसा निर्णायक नारा दिया तो गांधी को हिंसा फैलाने के आरोप में जेल में डाल दिया गया.

इसके बाद चर्चिल ने Leo Amery को पत्र लिखा, “भारत सरकार के दस्तावेज खंगालो और गांधी के खिलाफ ऐसे सबूत एकत्र करो कि वह जापान के साथ मिलकर षडयंत्र कर रहा है.” Leo Amery ने जवाब दिया, “ऐसे कोई सबूत मौजूद नहीं है. सिवाय इसके कि दो जापानी बौद्ध भिक्षु एक बार उनके वर्धा आश्रम में आए थे.”

गांधी पर हिंसा फैलाने का आरोप झूठा था, जिसके विरोध में गांधी ने जेल में ही अनशन शुरू कर दिया. इस पर चर्चिल को संदेह था कि यह गांधी असल में अनशन नहीं करता, यह चोरी से कोई सप्लीमेंट लेता है. इसमें तथ्य नहीं था, यह उसकी नफरत थी.

उसने ​वायसराय लिनलिथगो को तार भेजा, “हमने सुना है कि गांधी अनशन के दौरान ग्लोकोज लेते हैं. क्या इसकी पुष्टि की जा सकती है?”

दो दिन बाद वायसराय का जवाब आया कि यह संभव नहीं है. “गांधी पिछले फास्ट के दौरान खुद सतर्क थे कि कहीं उनके पानी में ग्लोकोज न मिलाया हो. उनकी देखरेख करने वाले डॉक्टर ने उन्हें मनाने की कोशिश भी की लेकिन उन्होंने ग्लूकोज लेने से मना कर दिया.”

गांधी के अनशन को तीसरा हफ्ता शुरू हो गया. चर्चिल ने फिर तार भेजा कि “गांधी 15 दिन तक जिंदा कैसे है. यह एक फ्रॉड है, जिसका खुलासा होना चाहिए. कांग्रेस के हिंदू डॉक्टर चुपके से उसे ग्लूकोज दे रहे होंगे.”
वायसराय ने अपना घोड़ा खोल दिया लेकिन कोई सबूत नहीं मिला. वायसराय ने फिर ​चर्चिल को लिखा, ‘यह आदमी दुनिया का सबसे बड़ा फ्रॉड है’. लेकिन हमें कोई सबूत नहीं मिला. चर्चिल का साम्राज्य साबित नहीं कर पाया कि गांधी का अनशन एक धोखा है.

जो ​चर्चिल कहता था कि गांधी से कोई बातचीत सिर्फ मेरी लाश की कीमत पर हो सकती है, वह गांधी को ज्यादा समय कैद में भी नहीं रख पाया. भारत आजाद हो गया.

1951 में चर्चिल की वॉर मेमोरी The Hinge of Fate प्रकाशित हुई. उन्होंने इसमें गांधी पर ग्लूकोज लेकर अनशन करने का आरोप फिर दोहराया. इस बार आजाद भारत ने उन्हें जवाब दिया कि ​चर्चिल की औकात नहीं है कि वे गांधी को पहचान पाएं.

भारत के लोगों और गांधी से नफरत करने वाला चर्चिल हार गया. जिसका कभी सूरज नहीं डूबता था, वह गांधी के प्रति नफरत के गंदले में डूब गया. इधर भारत में नफरत से भरे एक पिद्दी के हाथों जान गंवा कर भी गांधी जीत गया. गांधी के हत्यारे को दुनिया हत्यारे के रूप में ही जानेगी. भारत गांधी के देश के रूप में जाना जाएगा.

​आज ब्रिटिश संसद के सामने ब्रिटिश साम्राज्य के हीरो रहे विंस्टन चर्चिल की प्रतिमा के बगल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की प्रतिमा स्थापित है. गांधी ने सिर्फ अपना देश आजाद नहीं कराया, एक आदर्शवादी नेता के रूप में अंग्रेजों के दिलो-दिमाग में खूबसूरत घुसपैठ भी की.

गांधी से नफरत मत करो, हार जाओगे. गांधी मगरमच्छ पकड़ने, 35 साल भिक्षा मांगने, मालगाड़ी में चाय बेचने जैसी मूर्खतापूर्ण गप्प फैलाकर महात्मा नहीं बने थे. उन्हें रवींद्रनाथ टैगोर महात्मा कहा, उन्हें क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस ने राष्ट्रपिता कहा, उन्हें देश की जनता ने बापू कहा. उनके विचारों से असहमतियों के हजार कारण हैं, लेकिन वे भारत के निर्विवाद महानायक हैं. गांधी के प्रति अपने अंदर नफरत भर तो लोगे, लेकिन गांधी के बराबर आत्मबल कहां से लाओगे?

भारत के राष्ट्रपिता को नमन!

(संदर्भ: इतिहासकार रामचंद्र गुहा और बिपनचंद्र) द्वारा – सुनील कुमार दत्ता स्वतंत्र पत्र कार

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments