बीते दिनों की यात्रा रेजीडेन्सी क्रमश: भाग तीन
लखनऊ शहर रेजीडेन्सी के खंडहरो पर उधर से गुजरने वालो की निगाह पड़ जाना स्वाभाविक है |
अंग्रेजो को क्यो इतना प्यार था रेजीडेन्सी से आइये पड़ताल करते है , ब्रिटिश साम्राज्य के इतिहास में लखनऊ की रेजीडेन्सी का अति विशेष स्थान है | अंग्रेज इसे अपने गौरव के प्रतीक के रूप में देखते है | वे इसे कितना महत्व देते है , इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि पूरे ब्रिटिश साम्राज्य में इंग्लैण्ड का झंडा यूनियन जैक केवल दो स्थानों पर चौबीस घंटे फहराया जाता था — इंग्लैण्ड के शासक के आवास और लखनऊ की रेजीडेन्सी पर | इनके अतिरिक्त हर स्थान पर प्रात: झंडा चढाया जाता था और सांयकाल उतार लिया जाता था |
सांडर्स पोस्ट —
सांडर्स हाउस को युद्द कार्य में एक सैनिक चौकी के रूप में बदल दिया गया था | सांडर्स हाउस एक दो मंजिला बड़ा भवन था जो वर्तमान बिजली कार्यालय वाली सडक पर स्थित था जो रेजीडेंसी से आगे गोलागंज की और जाती है | इस चौकी पर दो 18 पाउंड का गोला फेकने वाली टॉप तथा एक 9 पाउंड का गोला फेकने वाली टॉप लगाई गयी थी | इसके रक्षा में 32वी रेजिमेंट के कुछ सैनिक तथा सिविलियन कैप्टन सांडर की कमांड में रखा गया था | 5 सितम्बर 1857 को क्रान्तिकारियो ने पुरजोर हमला किया था | जब उन्होंने तीन बार बारूदी सुरंगे लगाकर चौकी पर विस्फोट किया और इसके बरामदे तक आ गये थे , तभी किसी अंग्रेज सैनिक ने उन पर हथगोला फेंक कर उन्हें रोक दिया साथ ही निकट बनी पोस्ट आफिस चौकी से भारतीय क्रांतिकारी पर गोलीबारी होने लगी |
जमोर्न पोस्ट —
यह भी एक महत्वपूर्ण चौकी थी
एडरसन पोस्ट 20 जुलाई 1857 को क्रान्तिकारियो ने इस पर भीषण हमला किया था जिसमे एक व्यक्ति जो हरा झंडा लेकर आगे बढ़ रहा था , गोली से मारा गया | 10 अगस्त को पुन: इस चौकी पर क्रान्तिकारियो का जबर्दस्त हमला हुआ जिससे इस भवन की उपरी मंजिल पूरी तरह से ध्वस्त हो गयी थी |
गाबिंस तोपखाना —
यह एक अर्धचन्द्राकार रूप में निर्मित तोपखाना था | इसमें 9 पाउंड की टॉप जोहान्स हाउस की और लगाई गयी थी जिसकी सहायता से गोलागंज बाजार तथा पश्चिम की और ढाल पर बने सैकड़ो मकानों पर नजर राखी जाती थी | साथ ही लोहे के पुल की और से इसकी नजर रहती थी | इसके चारो और दस फीट ऊँचे चबूतरे पर लेफ्टिनेंट हचिन्सन की देखरेख में रहती | इसके चारो और 10 फीट ऊँची दीवार बनाकर इसे घेरा गया था | इसकी कमान सिविल आफिसर ओमानी , कपूर , एस मार्टिन , जी वेन्सन, डब्ल्यू सी कीपर जे ई थार्नहिल तथा जी एच लारेंस ने सभाल राखी थी |
गाबिंस गैरिसन —-
गाबिंस हाउस में स्थापित किये जाने के कारण इस सुरक्षा बल को गाबिंस गैरिसन का नाम दिया गया था | गाबिंस हाउस को जिसे रेजीडेंसी के अहाते में बादशाह नसीरुद्दीन हैदर ने अपने संगीतशाला के रूप में बनवाया था | 14 जुलाई 1857 को भारतीय क्रान्तिकारियो द्वारा किये गये हमलो में लेफ्टिनेंट कलेस्टर को इसी पोस्ट पर गोली लगी थी | लेफ्टिनेंट ग्राउंड व कैप्टन फार्वेस उसी दिन यहाँ जख्मी हुए थे | 21 जुलाई 1857 को मेजर बैक्स इसी जगह गोली लगने से उनकी मौत हुई थी |
रेडन बैटरी
रेडन का तोपखाना वाटर गेट से पश्चिम की और रेजीडेंसी भवन से उत्तर वाले मार्ग पर स्थित था जो वाटर गेट को जाता था | इसकी स्थापना १५ जून को कैप्टन फुलटन द्वारा की गयी थी जो बारूदी सुरंग लगाने में माहिर था | जिनकी कमान लेफ्टिनेंट सिम – लारेंस के हाथो में थी |
जोहन्स हाउस
जोहन्स हाउस बिग्रेड मिस के सामने स्थित था जो रेजीडेंसी की सुरक्षा सीमा रेखा से बाहर था | 1857 की क्रान्ति से पूर्व इसमें जोहन्स नामक एक अम्र्रिनियंन रहता था जो लखनऊ के धनाढ्यो में से एक था | इस भवन को रेजीडेंसी के अहाते में सम्मिलित किये जाने की योजना थी किन्तु चिनहट की लड़ाई के बाद इतना समय ही अंग्रेजो को नही मिला उससे पूर्व ही भारतीय क्रांतिकारियों ने इस पर कब्जा जमा लिया | इसी भवन से वह अंग्रेजो के नाक में दम किये थे |
इन्स हाउस
इन्स हाउस लेफ्टिनेंट जेम्स मेक्लीड आईएनएस का आवास था | लेफ्टिनेंट आईएनएस बंगाल इंजीनियर्स के अधिकारी थे | यह घर वर्तमान कब्रिस्तान के उत्तरी – पश्चिमी कोने पर स्थित था जिसका रास्ता चर्चा के पास से होकर नीचे ढलान पर जाता था |