छकांग्रेस को हरियाणा चुनाव हारने के बाद संगठन नहोने या कमजोर और सुस्त संगठन का महत्व समझ में आने लगा है। इसीलिये राष्ट्रीय शोक के बाद कर्नाटक के शहर बेलगांवीं के अधिवेशन में उन सभी दलों से पीछा छुडा़ कर कांग्रेस को मजबूत करने का मन बना लिया है साथ ही उन कांग्रेसी क्षत्रपों से भी दूर होने का मन बनाया है जो अपने ड्राइंग रूम में बैठकर बडे़ नेता बने हुए हैं, साथ ही के सी वेणुगोपाल को हटा कर अशोक गहलौत या किसी अन्य सक्षम संगठन को मजबूत करने वाले नेता को संगठन महासचिव बनाया जाय जो यूपी, बिहार राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, उडी़सा आदि के जाति, संगठन और कांग्रेस कैसे मजबूत किया जा सके की अच्छी जानकारी रखता हो और जो अपनी बात न केवल क्षेत्रीय दल के नेताओं से बल्कि अपनी पार्टी के नेताओं पर अपना प्रभुत्व रखता हो । अभी बात बिहार की करते हैं । दिल्ली में तो पार्टी ने आप पार्टी से गठबंधन की बात दरकिनार कर मजबूती से सभी सीटों पर लड़ने से इसकी शूरूवात कर दी है। अब इस बार कांग्रेस चाहे दिल्ली में जीते या हारे , शुरूवात तो हुई ।बिहार में भी लालू यादव के तेवर से हैरान कांग्रेस ने भी पप्पू यादव और कन्हैया कुमार की अगुवाई में विधान सभा चुनाव लड़ने की तैयारी में है यह भांपते हुए लालू यादव भी काफी परेशान हैं उन्हे यह उम्मीद नहीं थी कि कांग्रेस उनसे अलग हटने की भी सोच सकती है।इधर पप्पू यादव के छात्रों से सरकार के दमनात्मक रवैये के खिलाफ राज्यपाल से मिलकर शिकायत की तो नयी-नयी पार्टी बनाये जन-सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी मौका लपक लिया और छात्रों के पक्ष में खडे़ हो गये ।तेजस्वी यादव और पप्पू यादव ने प्रशांत किशोर पर भाजपा से मिली-भगत का आरोप भी लगा दिया।लगातार कांग्रेस के समर्थन में खडे़ रहने का भी कांग्रेस आलाकमान को लग रहा है कि पप्पू यादव के रूप में एक दमदार नेता के रूप में उन्हे मिल गया है। पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को अंत तक कांग्रेस का लोकसभा चुनाव के समय लालू यादव ने टिकट नही लेने दिया मजबूरन पप्पू यादव को निर्दल चुनाव लड़ना पडा़ और कन्हैया को दिल्ली से चुनाव लड़ना पडा़। दर असल लालू यादव बिहार में कांग्रेस को मजबूत नही़ बल्कि अपने रहमो-करम पर रखना चाहते हैं जीत के बाद पप्पू यादव ने हर मौके पर कांग्रेस का डंट कर साथ दिया, यहां तक कि संसद में धक्का-मुक्की कांड राहुल गांधी का जितना साथ पप्पू यादव ने दिया स्वयंम कांग्रेस के टिकट पर जीते डरपोक कांग्रेसीयों ने भी नहीं दिया। अगर पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को बिहार का नेतृत्व कांग्रेस को मिला तो पप्पू यादव की निर्भिकता और संगठन क्षमता और कन्हैया कुमार की निपुण वाकपटुता तथा दोनों की बिहार के सभी जातियों के युवा वर्गमें लोक प्रियता कांग्रेस को बिहार में न केवल नया जीवन देगा बल्कि मजबूती भी प्रदान कर देगा, जिसकी आज कांग्रेस को सख्त जरूरत है और यही लालू यादव का सबसे बडा़ डर भी है। सम्पादकीय-News51.in