वह जमाना अब गया जब एक कायस्थ जय प्रकाश नरायण और राजपूत चंद्रशेखर सिंह और वी पी सिंह जैसे गैर सरीखे ओबीसी नेता ओबीसी की बात करते थे ओबीसी के लोग उन्हे अपना हमदर्द मानते थे लेकिन समय काफी बदल गया है अब अगर नेता भी अगर ओबीसी का है तो ही उसे ओबीसी का हितैषी माना जाता है अगर वह नेता स्वंयम ओबीसी वर्ग का नहीं है तोउसे कोई भीओबीसीका हितैषी मानने को तैयार नहीं होता ।यहां तक कि वर्तमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी भी जन्मजात पिछडे़ नहीं थे लेकिन उन्होने अपने गुजरात का मुख्यमंत्रीत्व के काल में मोदी जाति को पिछडी़ जाति में शामिल करवाया जिसे उनके तेज दिमाग को दर्शाता है वह भारतीय राजनीति की नस को अच्छी तरह समझते और जानते थे । जब अखिलेश यादव, नीतिश कुमार, लालू यादव सरीखे ओबीसी नेता अपने को हितैषी होने का दावा करते हैं तो उसे ओबीसी वर्ग अपना हितैषी मानता है लेकिन जब से राहुल गांधी ने ओबीसी जनगणना की बात छेडी़ है उसका कोई अभी तक बहुत असर नहीं दिखा है इसके अलावा यूपी का प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी सवर्ण है इसी प्रकार बिहार और झारखंड का प्रदेश अध्यक्ष भी सवर्ण है ।और इन्ही तीन राज्यों में ओबीसी संख्या काफी है। मैं ये नहीं कहता कि सवर्णों की अनदेखी की जाय । बिना सम्पूर्ण समाज की भागेदारी के कोई भी पार्टी आगे नहीं बढ सकती लेकिन भागेदारी तो जनसंख्या के हिसाब से तो घटानी बढानी होगी ही । जबतक भाजपा में अटल बिहारी वाजपेई और लालकृष्ण आडवानी का बोलबाला था तबतक भाजपा या पहले की जनसंघ बडी़ जाति की पार्टी माना जाता था और भाजपा इतनी मजबूत नहीं थी लेकिन ज्योंही नरेंद्र मोदी का आगमन हुआ राजनीति में भाजपा का काया-कल्प हो गया आज भाजपा देश की सबसे बडी़ पार्टी और अजेय सी दिखने लगी है राहुल गांधी अपने भविष्य की योजनाओं का खुलासा पहले कर देते हैं जब तक उनकी पार्टी अमल में लाती है उससे पहले दूसरी पार्टियां अमल में ला देती हैं यह उनका कमजोर पक्ष है दूसरे कांग्रेस की पूर्व की सरकारों की छोटी से छोटी कमजोरी भी आज राहुल गांधी के लिए गले का फांस बनी हुई है जैसे कांग्रेस ने जातीय जनगणना लागू करवाई थी लेकिन उसे न सार्वजनिक किया और न ही लागू किया ।इसका खामियाजा भी राहुल गांधी को भुगतना पड़ रहा हैऔर इसे राहुल गांधी स्वीकार भी करते हैं । अब लोकसभा चुनाव 2024 होने में मात्र दो ढाई महीने का समय शेष है और लगता यही है कि अभी तक दो बार से जारी भाजपा का अजेय क्रम तीसरी बार भी जारी रहेगा हां सीटों की संख्या में काफी रद्दोबदल हो सकता है। -सम्पादकीय-News51.in
देश की सभी पार्टियां आज ओबीसी वोटरों को अपना हमदर्द बता कर वोट हासिल करना चाहती है , लेकिन वास्तविकता क्या है, जानने का प्रयास करते हैं ?
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