इस देश की पांच पार्टियों पर चुनाव आयोग द्वारा पार्टीयों पर 3 तरह के खतरे मंडरा रहे हैं । पहला राष्ट्रीय पार्टी बने रहने का खतरा , दूसरा खतरा पार्टी चुनाव चिन्ह छीनने का खतरा और तीसरा पहचान बनाये रखने का खतरा । इन पाचों में सबसे पहले हम बात करते हैं आजसू का, ये झारखंड राज्य की पार्टी है, जो भाजपा के साथ इस बार भी चुनाव लडी़ थी लोकसभा भी भाजपा के साथ मिल कर लडा़ था और उनका एक सांसद भी चुनाव लड़कर जीता है, इस पार्टी के अध्यक्ष सुदेश मेहतो जी हैं विधान सभा चुनाव में भाजपा ने गठबंधन के तहत 10 सीटें मिली थी लेकिन, जीत एक पर ही मिली।हेमंत सोरेन की पार्टी जामुमो की बहुत बडी़ जीत में इनकी पार्टी को मात्र एक सीट मिली। बात यहीं नही रूकी है अब तो हेमंत सोरेन की पार्टी में आजसू के एकमात्र सांसद और विधायक टूट कर झामुमो में शामिल हो सकते हैं, ऐसा सूत्र बताते हैं येसुदेश मेहतो जी स्वयंम विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। दूसरी पार्टी हरियाणा की जन नायक जनता पार्टी( जेजेपी) है। जिसके मुखिया दुष्यंत चौटाला हैं इनकी पार्टी ने 2019 के विधानसभा के चुनाव में बतौर जाट पार्टी के तौर पर 10 विधानसभा सीटों पर चुनाव जीता और भाजपा को समर्थन देकर न केवल भाजपा की सरकार बनवाई , बल्कि स्वयंम उप मुख्यमंत्री भी बन गये। 2024 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली और तो और दुष्यंत चौटाला खुद भी चुनाव हार गये उनका लोकसभा में भी एक भी सांसद नहीं है उनका दफ्तर पहले से अबतक चंडीगढ एम एल ऐ फ्लैट में लम्बे अरसे से चला रहे थे जो अब केंद्रीय मंत्री कमल गुप्ता को एलाट हो चुका है अब वह दफ्तर भी इनसे छीनने वाला है । इस तरह इस पार्टी पर भी चुनाव आयोग का राष्ट्रीय दल का खतरा छीन सकता है
। बिहार की एक पार्टी है राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी जिसके संस्थापक, दिवंगत राम विलास पासवान जी थे ।उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी पार्टी में उनके भाई पशुपतिनाथ पासवान और उनके सांसद बेटे चिराग पासवान में पहले मन मुटाव हुआ बाद में पक्शुपतिनाथ ने अन्य चारों सांसदों को अपनी तरफ मिलाकर स्वयंम केंद्रीय मंत्री बन गये। किंतु पुनः 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को अंदाजा हो गया था कि पशुपतिनाथ पासवान ने सांसदों को जरूर अपनी तरफ मिला लिया था लेकिन जनता चिराग पासवान की तरफ थी तो भाजपा ने चिराग पासवान से हाथ मिलाकर चुनाव लडा़ और अब चिराग पासवान केंद्र में मंत्री हैं पशुपतिनाथ का न कोई सांसद है और न ही विधायक है इनका अस्तित्व समाप्तप्रायः है। राजस्थान की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, जिसके संस्थापक और वर्तमान अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल जी हैं जिन्होने 2018 में अपनी यह पार्टी बनाई और तब इनके 3 विधायक जीते थे बाद में लोकसभा चुनाव एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लडा़ था और एक सांसद जीता था वर्तमान में मात्र एक सांसद और एक विधायक इस पार्टी के पास है चुनाव आयोग की नजर इन पर भी है।आजसू और जजपा का जनता में भी ग्राफ बहुत ज्यादा गिरा है अब बात यूपी की बहुजन समाज पार्टी की बात करते हैं जिसका ग्राफ जनता की नजर में बहुत ज्यादा गिरा है यहां कभी मायावती की तूती बोलती थी और मायावती 4 बार प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं लेकिन जाने अनजाने की गयी गलतीयों की सजा भुगत रही हैं यूपी के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार,दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में उनके काफी समर्थक थे, जो अब धीरे-धीरे उनसे छिटक रहे हैं वर्तमान मेंयूपी की 403 विधान सभा में मात्र 1 विधायक हैं और सांसद एक भी नहीं। कारण मायावती का रवैया , जल्दी किसी से बात न करना, कान का कच्चा होना, पार्टी में उनका तानाशाही रवैया। दलितों पर अत्याचार की घटनाएं रोज सुनाई पड़ती है लेकिन किसी के सुख-दुख में शामिल न होना, वहीं भीम आर्मी के प्रमुख अपनी बिरादरी की हर समस्या को लेकर लड़ते हैं, नतीजा जहां मायावती का जनाधार सिकुड़ता जा रहा है, चंद्रशेखर का बढता जा रहा है 2015 में चार क्षेत्रिय पार्टी होने के कारण बसपा का राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा बचा रह गया था अब 2025 में उपरोक्त पांचों पार्टियों का राष्ट्रीय दर्जा छिन जायेगा क्योंकि हर दस साल पर चुनाव आयोग पार्टियों की स्थितियों पर रिवीजन कर निर्णय लेती हैं 2015 में पिछला रिवीजन हुआ था । सम्पादकीय-News51.in