Saturday, July 27, 2024
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तमिलनाडु -करूणानिधि एक व्यक्तित्व, मौत के राजनीतिक मायने

तमिलनाडु -तमिलनाडु मे करूणानिधि का निधन हो चुका है कानूनी लड़ाई के बाद मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनके शव को मुखाग्नि उनके पुत्र और राजनीतिक उत्तराधिकारी स्टालिन ने मरीन बीच परदिया।उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था ।तीन जून 1924 को नागपटटीनम मे गरीब परिवार मे हुआ था ।अपनी जुझारूपन और बहुआयामी व्यक्तित्व और प्रतिभा के धनी मात्र चौदह वर्ष की उम्र मे ही पेरियार के सेल्फ रिस्पेक्ट आन्दोलन मे उनसे प्रभावित हो जुड़े ।वहा तब काग्रेस की सरकार थी ।पूरे तमिलनाडु मे हिंदी अनिवार्य भाषा घोषित हुई जिसके विरोध मे करूणानिधि अन्ना दुर ई के साथ आन्दोलन मे कूद पड़े ।अन्ना ने द्रविड मुनेत्र कड़गम पार्टी की स्थापना की । अन्ना तमिलनाडु मे नायक बनकर उभरे । 1967 के चुनाव मे डीएमके की जीत हुई ।तबतक करूणानिधि की प्रतिभा को अन्ना जान चुके थे अन्ना ने मुख्य मंत्री बनकर करूणानिधि को लोक प्रबंधन और राज मार्ग मन्त्री बनाया ।अन्ना की मृत्यु के बाद वह मुख्य मंत्री बने । 1971 केचुनाव मे डीएमके फिर जीती और वह मुख्य मंत्री बने।किन्तु दो साल बाद पुनः हुए चुनाव मे डीएमके की हार हुई ।यहा से एमजीआर का ग्लैमर तमिलनाडु की जनता पर सर चढ़कर बोला। 1987 मेएमजी रामचंद्रन की मृत्यु के बाद 1989 में एक बार फिर करूणानिधि मुख्यमंत्री बने ।किन्तु रामचंद्रन की प्रिय और तमिल फिल्मो की सुपर स्टार जयललिता की साडी डीएमके के समर्थको द्वारा खींचे जाने की घटना उनके राजनीतिक कैरियर में ग्रहण लगा गई । 1991 केचुनाव में डीएमके मात्र सात सीट ही जीत पाई । 1996 का चुनाव फिर डीएमके ने जीता एआईडीएमके मात्र चार सीट जीत पाई ।करूणानिधि फिर मुख्यमंत्री बने ।उसी समय जैन कमीशन की जांच मे करूणानिधि भ्रष्टाचार मे दोषी पाए गए ।पुलिस उन्हे घर से खींच कर बेइज्जती के साथ गाड़ी मे बैठाया गया । 2006 मे फिर चुनाव जीतकर मुख्य मंत्री बने। 2017 के चुनाव मे फिर जयललिता चुनाव जीत मुख्यमंत्री बनी जो मृत्यु तक रही ।वह फिल्म मे पटकथा लेखक भी थे कयी हिट फिल्मे दी।करूणानिधी,एम रामचंद्रन,जयललिता के रहते किसी भी राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय पार्टी पनप नही सकी।इस समय राजनीतिक शून्यता को भरने के लिए फिल्मी सितारे रजनीकांत, कमलहासन सहित काग्रेस और भाजपा सभी जोर लगाएंगे ।इसके अलावा स्टालिन अपने पिता की विरासत को आगे बढा पाते है या नही ।सहानुभूति की लहर तमिलनाडु मे बहुत ज्यादा होती है । एआईडीएमके जयललिता की मृत्यु और सखी शशि कला के जेल जाने के बाद फिर से संभलने मे लगी है यह तो तय है राष्ट्रीय पार्टीया इन दोनो दलो मे से एक न एक कासहारा लेगी।अब तमिलनाडु की राजनीति बहुत ही दिलचस्प होगी ।यह तय है ।

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