डोम्माराजू गुकेश 13वें मुकाबले तक 6.5,6.5 की बराबरी के बाद 14वीं और अंतिम बाजी में अगर मैच ड्रा होता तो मैच टाई ब्रेकर में चला जाता, किसी एक को हर हाल में मैच जीतना ही था। सौभाग्यवश अंतिम 14वें मुकाबले में डी.गुकेश ने शांत भाव से खेलते हुए चैलेंजर भारतीय खिलाडी़ डी.गुकेश ने शानदार खेल दिखाते हुए मैच जीत कर 7.5 अंको से जीत दर्ज करते हुए सबसे कम उम्र 18 वर्ष में नया विश्व शतरंज चैम्पियन बनने का इतिहास रच दिया।इससे पहले रूस के दिग्गज खिलाडी़ गैरी कास्बारोव ने 1985 में 22 साल की उम्र में अनातोली कार्पोव को हराया था। गुकेश इसी साल की शुरूवात में कैंडीडेट्स टूर्नामेंट जीतने के बाद ही विश्व खिताब के लिए चुनौती देने वाले सबसे कम उम्र के खिलाडी़ बन गये थे । वह भारतीय दिग्गज विश्वनाथन आनन्द के बाद दूसरे भारतीय हैं जिन्होने विश्व चैंम्पियन बने थे । विश्व नाथन आनन्द(2000 से 2002 तक और 2007-2013 तक) पांच बार विश्व चैंम्पियन रहे । डी.गुकेश के पिता डाक्टर रजनीकांत को बेटे के साथ मैच खिलाने बार-बार विदेश जाना पड़ता था सो मरीजों को बेटे के लिये समय निकालना मुश्किल था तो उन्होने बेटे को चैम्पियन बनाने के लिये डाक्टरी छोड़ दी । 2006 में 7 म ई को चेन्न ई में हुआ था । पिता के डाक्टरी छोड़ने के बाद मां पद्मा पेशे से माइक्रोबायोलाजिस हैं और घर का सारा खर्च सम्भालने लगीं ।शुरू में उन्हे प्रायोजक ही नहीं मिले थे तो क ई बार विदेश में टूर्नामेंट खेलने पर बहुत खर्च आता था तो विदेश में टूर्नामेंट खेलने के लिये लोन लेना पड़ता था, पिता और स्वयंम गुकेश को शतरंज विश्व चैम्पयन बनने का भरोसा था, बधाई-डी गुकेश मात्र 18 साल की उम्र में विश्व शतरंज चैम्पियन बनने की।सम्पादकीय-News51.in