2014 में भारत की राजनीति भाजपा के सत्ता में आने के बाद से इन दस सालों में भारतीय राजनीति में काफी कुछ पहली बार हुआ है जैसे सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद वर्षों से लटका राम मंदिर का निर्माण हुआ । वर्षों से लटका धारा 370 समाप्त हुई। कुछ अन्य कार्य भी हुआ लेकिन इसी के साथ कुछ ऐसा भी हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ था जैसे किसी मंत्री के बेटे ने किसानों पर गाडी़ नहीं चढाई थी भारतीय महिला पहलवानों के साथ सत्ता पक्ष के नेता का दुर्व्यहार, देश के किसानों के साथ दुश्मन सेना जैसा व्यवहार , उन्हे खालिस्तानी, आतंकवादी कहना यह भी पहली बार हुआ है ,महंगाई, बेरोजगारी ऐतिहासिक रूप से बढी है । दोनों बातें समानान्तर रूप से हुई है । देश की सारी राजनीति आज दो धडो़ं में बंटी हुई है । एक तरफ कांग्रेस की अगुवाई में इंडिया गठबंधन है तो दूसरी तरफ भाजपा की अगुवाई में एनडीए गठबंधन है प्रधान मंत्री मोदी और उनके नेता यही कह रहे हैं कि एनडीए गठबंधन 400 पार सीटें जीतेगी वहीं अकेले 370 सीटें पार अकेले जीतेगी और यही बात बार- बार प्रथानमंत्री जी अपनी हर सभाओं में कह रहे हैं और उनकी इसी बात को उनके नेता दोहरा रहे हैं लेकिन क्या वास्तव मे जमीनी हकीकत क्या है ।देखते हैं पहले राजस्थान ,मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ की बात करते हैं जहां 2019 के लोकसभा चुनावों भाजपा ने क्लीन स्विप किया था ।अब कांग्रेस ने भी अपने सभी बडे़ नेताओं चाहें विधायक ही क्यों न हों अगर उनमें लोकसभा चुनाव जीतने का माद्दा है उन्हे टिकट दिया जा रहा है ।ऐसे में शायद भाजपा के लिए इतिहास दोहराना अत्यंत ही कठिन है इसी प्रकार गुजरात में भी पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव जहां क्लीन स्विप भाजपा ने किया था वहां तो भाजपा नेताओं में असंतोष की खबरें है एकाध जगह भाजपा का टिकट भी वापस लौटाने की खबर भी है। बीजद से उडी़सा में भाजपा गठबंधन परवान नहीं चढ पाया । कर्नाटक में भाजपा के लिए सबसे बडें कांग्रेस के संकट मोचक डी शिव कुमार ने भाजपा और पूर्व प्रधान मंत्री एच डी देवगौडा़ की पार्टी के क ई बडे़ नेताओं को भाजपा में शामिल करा दिया है और कांग्रेस वहां काफी मजबूत है रही आंध्र प्रदेश की बात तो वहांचंद्र बाबू नायडु और पवन कल्याण के साथ भाजपा को कुछ मजबूती मिली है वहां पहले की अपेक्षा कांग्रेस को भी मजबूती मिली है वाई एस आर की बेटी शर्मिला रेड्डी कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की जुगल बंदी कर पूरे प्रदेश।में सक्रिय हैं लेकिन अभी भी वहां वर्तमान मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी काफी मजबूत हैं बाकी सबसे मुख्य यूपी , बिहार और महाराष्ट्र में दोनों गठबंधन ( ऐनडीए और इंडिया गठबंधन) की ताकत पर ही दोनों की स्थिति टिकी है खासतौर पर अखिलेश यादव , उद्धव ठाकरे और तेजस्वी यादव की मजबूती पर ही इंडिया गठ बंधन और इन तीनों नेताओं का भविष्य भी निर्भर है ।इस चुनाव के साथ ही क ई क्षेत्रीय क्षत्रपों यथा मायावती, ओबैसी,चंद्र बाबू नायडु, नवीन पटनायक, उपेंद्र कुशवाहा, पशुपतिपारस,श्री कांत शिंदे, शरद पवार, के चंद्रशेखर राव ,जीतन राम मांझी आदि नेताओं का भविष्य टिका हुआ है। सम्पादकीय-News51.in
जैसा आज प्रिंट मीडिया और अखबारों में भारतीय राजनीति की चुनावों की स्थिति दर्शाई जा रही है, क्या जमीन पर भी ऐसी स्थिति वास्तव में भी है ? 2004 के शाईनिंग इंडिया और 2024 राईजिंग इंडिया की हकीकत ?
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