पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर वे राज्य हैं जहाँ विधान सभा चुनाव होने जा रहा है। सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश है फिलहाल आज हम इसी राज्य पर फोकस कर रहे हैं। यहाँ पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा ने भारी बहुमत से सरकार बनाई थी उसकी आंधी (312 विधायक) में सभी दल सपा 67,बसपा19 और कांग्रेस 7 पर सिमट गए थे। इस बार और पिछले चुनाव में भारी अंतर आ चुका है। पिछले चुनाव में क ई कारण, जिनके बारे में सभी जानते हैं । जिस गलती को भाजपा कह कर सत्ता में आई। वही गलती वर्तमान भाजपा के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी पर मुख्य विपक्षी दल सपा ने लगाया है। कहावत है राजनीति में हवा का रूख सबसे पहले नेता और अधिकारी भांप लेते हैं और उसी के हिसाब से अपनी सेटिंग भी जीतने वाली पार्टी से करने का प्रयास करते हैं। भाजपा में मची भगदड़ और उनके मंत्रियों और विधायकों का पलायन दूसरे दलों में खासकर मुख्य विपक्षी सपा की तरफ हो रहा है कांग्रेस और बसपा के नेता भी सपा की ओर जा रहे हैं हालांकि छिटपुट भाजपा और कांग्रेस की तरफ भी लोग आ-जा रहे हैं और उसी हिसाब से उनका हृदय परिवर्तन भी हो रहा है और ये आयाराम -गया राम के दौर में मची भगदड़ भाजपा के लिए शुभ लक्षण लिए नहीं है ।इधर कांग्रेस ने अपनी जो सूची जारी की है उसमें क ई ऐसे उम्मीद वार हैं जो जनता के लिए भी एक तरह की चुनौती है क्यों कि यही जनता राजनेताओं को भला- बुरा कहती है अब जाति-पांत और धर्म के नाम पर वोट डालेगी या फिर न ई परम्परा के साथ अच्छे राजनेताओं का चुनाव करती है। अब यह जनता पर है कि दलबदलुओं को, आपराधिक छवि वाले या जातिगत आधार पर अपना मत देती है और यदि ऐसा इस बार भी होता है तो जनता को भी राजनेताओं को भला- बुरा कहने का अधिकार नहीं रह जाता है और फिर राजनेताओं द्वारा हुए अत्याचार पर झूठे आंसू बहाने और कैंडिल मार्च करने का जनता को भी कोई अधिकार नहीं रह जाता है क्यों कि जैसा वह बोएंगे वैसा ही उन्हें ही भोगना भी होगा। सम्पादकीय -News 51.in