Saturday, July 27, 2024
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चुनावी चर्चा -4, (मेघालय, मिजोरम, सिक्किम, लक्ष्य द्वीप, अण्डमान-निकोबार

11 अप्रैल को पहले चरण के चुनाव में मेघालय की दोनों सीट पर, मिजोरम की 1सीटपर, लक्ष्य द्वीप और अंडमान निकोबार की 1-1 सीट पर तथा सिक्किम की इकलौती सीट पर चुनाव होंगे। इसके अलावा सिक्किम में विधानसभा चुनाव भी 11 अप्रैल को ही होंगे।
सबसे पहले सिक्किम विधानसभा की बात की जाय। 2014 के विधानसभा चुनाव की बात की जाय तो वहाँ 32 विधानसभा सीट में से 23 सीट पर वहाँ की क्षेत्रीय पार्टी एसडीएफ की सरकार है और लोकसभा की एकमात्र सीट पर भी एसडीएफ ने जीती थी।
केन्द्र में जिस दल की सरकार रहती है क्षेत्रीय पार्टी एसडीएफ उसी दल के साथ रहती है। इस बार भी कमोबेश यही स्थिति रहेगी ।राज्य में एक बार फिर एसडीएफ की सरकार ही बननी तय है और एक मात्र लोकसभा सीट भी एसडीएफ ही जीतने जा रही है और एसडीएफ केन्द्र सरकार के ही साथ रहती है चाहें जिस भी दल की भी सरकार केन्द्र में हो।
मेघालय में लोकसभा की दोनों सीट में से 2014 के चुनाव में एक सीट पर कांग्रेस ने और एक पर वहाँ की क्षेत्रीय पार्टी एनजीपी ने जीत हासिल किया था। किन्तु इस बार दोनों सीट पर कांग्रेस के जीतने की संभावना है।
मिजोरम की एक मात्र सीट 2014 के चुनाव में कांग्रेस ने जीती थी इस बार भी कांग्रेस के ही जीतने की संभावना बहुत ज्यादा है।
इसी प्रकार अण्डमान-निकोबार जो केंद्र शासित राज्य है जिसे सुबास चंद्र बोस की सेना आजाद हिंद फौज ने सबसे पहले फतेह किया था और ब्रिटिश हुकुमत यहीं पर स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों को कालापानी की सजा भुगतने के लिए भेजते थे। आजादी के बाद से लेकर 1967 तक वहां के सांसद को राष्ट्रपति चुनते थे। 1967 में पहली बार वहाँ की जनता ने सांसद चुन कर भेजा था। 2014 के चुनाव में भाजपा के विष्णु पद रे ने भाजपा प्रत्याशी बनकर चुनाव जीता था और इस बार भी वह चुनाव लड रहे हैं। वहां कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है और कांटे की टक्कर है लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बार भी भाजपा ही यहां की इकलौती सीट पर विजय हासिल करेगी।
लक्षद्वीप भारत की सबसे कम जनसंख्या वाली लोकसभा की सीट है मात्र लगभग 40 हजार के आसपास मतदाताओं वाली सीट पर भी 1967 तक चुनाव नहीं होते थे राष्ट्रपति द्वारा सांसद मनोनीत किए जाते थे। पहली बार 1967 में हुए चुनाव में पीएम स ईद ने बतौर निर्दल चुनाव जीता था। बाद में लगातार 8बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडकर जीता। उनकी मृत्यु के पश्चात 2014 के चुनाव में एनसीपी के टिकट पर पीपी मोहम्मद फैजल ने चुनाव जीता था। यहाँ भाजपा का कोई विशेष अस्तित्व नहीं है। यहाँ कांग्रेस सदैव मजबूत रही है और यहाँ की एकमात्र सीट पर भी पहले चरण में 11 अप्रैल को ही चुनाव होना है।

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