तेलंगाना राज्य पहले आन्ध्र प्रदेश में ही था। चंद्र शेखर राव ने तेलंगाना राज्य की अलग मांग की आवाज़ बुलंद की और उसके लिए उन्होंने क ई आन्दोलन चलाया। आन्ध्र प्रदेश में लाखों लोग सडकों पर उतर आए। केन्द्र में कांग्रेस की यूपीए सरकार में चंद्र शेखर राव केन्द्र में मंत्री रहते हुए भी कांग्रेस पर दबाव बनाए रखा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनियां गांधी ने तात्कालिक लाभ के लिए तेलंगाना राज्य को बनाये जाने की स्वीकृत चंद्र बाबू नायडू, भाजपा के विरोध के बाद भी दिया था। लेकिन तेलंगाना राज्य बनाए जाने का लाभ चंद्र शेखर राव की पार्टी को मिला और आंध्र प्रदेश के बंटवारे की आलोचना और आंध्र प्रदेश की जनता का गुस्सा कांग्रेस को भुगतना पड़ा। कांग्रेस को दोनों राज्य में नुक्सान उठाना पड़ा।
अभी हाल में हुए तेलंगाना राज्य के विधान सभा चुनाव में राहुल गांधी ने दूसरी बड़ी गलती यह किया कि उन्होंने उस चंद्र बाबू नायडू की पार्टी से कांग्रेस का तालमेल कर चुनाव लडा जो तेलंगाना राज्य के बनने के घोर विरोधी थे और वहाँ की जनता चंद्र बाबू नायडू को पसंद नहीं करती, नतीजा यह हुआ कि चंद्र शेखर राव की पार्टी ने विधान सभा चुनाव में क्लीन स्वीप किया। रही सही कसर मुस्लिम वोटों में ओबैसी की पार्टी ने सेंधमारी कर कुछ सीटें हासिल कर लिया।
उस गलती में सुधार कर कांग्रेस पार्टी ने इस बार चंद्र बाबू नायडू की पार्टी से तालमेल नहीं किया है। कुछ न ई पार्टीयां आंध्र प्रदेश में और तेलंगाना में पहली बार चुनाव लड रही हैं आंध्र प्रदेश में फिल्म अभिनेता पवन कल्याण की पार्टी का बसपा से तालमेल हुआ है। हालांकि इन पार्टीयों काकोई खास असर चुनाव में नहीं पडने वाला है।
अनुमान के अनुसार लोकसभा चुनाव में तेलंगाना की कुल 17 सीटों में 10-12 सीट चंद्र शेखर राव की पार्टी टी आर एस की पार्टी को, कांग्रेस को 2 से 3 सीट और एक सीट ओबैसी, एक सीट भाजपा को मिलने की सम्भावना बनी है।
चुनावी चर्चा -3 तेलंगाना
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