Saturday, July 27, 2024
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क्रांतिवीर चेग्वेरा का पत्र -अपनी बेटी के नाम

[9/10, 11:41] सुनील दत्ता: शानदार क्रांतिवीर चेग्वेरा का पत्र बेटी के नाम

मेरी सबसे दुलारी बेटी हिलिद्ता

यह चिठ्ठी मैं लिख तो रहा हूँ पर तुम तक पहुचेगी ये बाद में कभी — | मेरी ख्वाहिश है कि तुम इस बात को हमेशा याद रखो कि आज तुम्हारे जन्मदिन के मौके पर तुम्हे कितनी शिद्दत से याद कर रहा हूँ | मैं उम्मीद करता हूँ कि इस मौके पर तुम भी खूब प्रसन्न और चहक रही होगी | पर मेरी प्यारी बिटिया तो अब बच्ची रही नही — वो तो अब एक स्त्री बन रही है — सो इस बात का मुझे पूरा आभास है कि अब बच्चो जैसी चिठ्ठी नही लिखनी चाहिए — जैसे उन्हें बहलाने — फुसलाने को कुछ हल्का — फुल्का लिख दिया — या थोड़ी — सी मसखरी कर ली |
मैं तुम्हे बताना चाहता हूँ कि मैं अब तुमसे काफी दूर हूँ और आगे आने वाले दिनों में और दूर ही दूर जाउगा | अपने दुश्मनों से लड़ाई लड़ते हुए जो संभव हो सकता है , वो सब करने में कोई कोर – कसर नही छोड़ता हुआ | ऐसा नही है कि मैं कोई बहुत महान और नायब काम कर रहा हूँ — पर सार्थक जरुर कर रहा हूँ इतनी दुरी से भी तुम्हारे बारे में सोचता रहता हूँ कि तुम अपने पिता का नाम ध्यम आने पर फख्र का अनुभव करती होगी — जैसे कि मैं तुम पर करता हूँ |
याद रखना कि संघर्ष अभी लंबा और चलेगा तुम्हारे बच्ची से एक स्त्री बन जाने के बाद इस संघर्ष में तुम्हारी भी महत्वपूर्ण भूमिका होनी है | बीच के इन सालो में तुम्हे क्रांतिकारी बनने के लिए भरपूर तैयारी करनी होगी तुम्हारी उम्र में इसका मतलब अपने आस — पास के तमाम विषयों के बारे में खूब मन लगाकर और तत्परता के साथ पढ़ना सीखना होगा इतना ही नही हमेशा इन्साफ के साथ हिम्मत करके खड़े रहना भी जरूरी है | अपनी माँ का कहा मानना और ये मुगालता मत पालना कि इसी उम्र में तुम्हे सारा ज्ञान प्राप्त हो गया है — आयेगा , वह समय भी जल्दी ही आ जाएगा बेटी |
तुम्हे स्कुल में सबसे अच्छे विद्यार्थियों में शामिल होने के लिए कदा संघर्ष करना होगा सबसे अच्छा होने का मायने सिर्फ पढाई में सबसे आगे होना नही होता है , बल्कि कोई भी ऐसा मामला न हो जिसमे ढिलाई दिखाई दे — इतनी सयानी तो तुम हो गयी हो कि इस श्रेष्टता का अर्त्य्ह जन सको — इसके लिए बारीक अध्ययन और क्रांतिकारी दृष्टिकोण अनिवार्य है | दूसरे शब्दों में इसको श्रेष्ठ आचरण एकाग्रता क्रांतिकारी साझेदारी इत्यादि कह सकते है | अफ़सोस कि तुम्हारी उम्र में जैसा मैं तुम्हे कह रहा हूँ वैसा खुद नही था — वो पूरी तरह से अलग किस्म का समाज था , जिसमे इन्सान के खिलाफ दूसरा इन्सान खड़ा हुआ था | मेरी प्यारी बेटी , आज तुम खुशनसीब हो कि एक बेहतर युग में सांस ले रही हो \ ध्यान रखो कि तुम्हे इस बेहतर समाज के अनुकूल साबित होने के लिए खुद को भी बदलना होगा |
समय से घर जरुर लौट आने की आदत बनाये रखना जिससे दूसरे भाई – बहनों का ध्यान रख सको — उन्हें पढ़ाई में मन लगाने की और अच्छा वर्ताव करने की हिदायत समय — समय पर देते रहना , भूलना नही और हाँ अलिदिता का ख़ास ख्याल रखना जो बड़ी बहन होने के नाते तुम्हारा खूब ध्यान रखती है |
अच्छा मेरी बूढी अम्मा — तुम्हारे जन्मदिन पर फिर मैं एक बार तुम्हे शुब्कामना देता हूँ | अपनी माँ को और अपनी बहना को खूब कसके आलिगन देना | मैं तुम्हारे पास अपना खूब घर प्रेमपाश भेजता हूँ – | वो भी इस शुभेच्छा के साथ कि यह तब तक तुम्हारे साथ बना रहे जब तक मैं आकर तुम्हे फिर से देख नही लेता |

—– तुम्हारा पापा चेग्वेरा
[9/10, 11:41] सुनील दत्ता: प्रस्तुति। सुनील कबीर स्वतंत्र पत्रकार दस्तावेजी प्रेस छायाकार

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