Sunday, October 6, 2024
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क्या वास्तव में स्मृति ईरानी के कारण राहुल वायनाड गए ?

जब से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के केरल के वायनाड से भी चुनाव लड़ने का एलान हुआ है। तब से भाजपा को बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल गया और शताब्दी एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में असीमानन्द सहित चार लोगों के न्यायालय से बरी होने के बाद उसे भी हिन्दूओं को कांग्रेस द्वारा आतंकी ठहराने की बात से जोड दिया है और हिन्दूओं को कांग्रेस अपमानित कर रही है और इसी डर के कारण राहुल गांधी वायनाड मुस्लिम बहुल इलाके से भी चुनाव लड रहे हैं। वहीं कांग्रेस का कहना है कि वायनाड से भी चुनाव लड़ने से उसके आसपास के राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश तथा केरल में कांग्रेस को भारी फायदा पहुंचेगा। अमेठी तो राहुल गांधी का घर है और वह दोनों जगह से भारी मतों से जीतेंगे।
अब सवाल ये है कि किसकी बात सही मानी जाय। एकबात तो आज प्रधान मंत्री मोदी के महाराष्ट्र में दिये गए भाषण से स्पष्ट हो गया है कि भाजपा भी अब विकास की बात छोड़कर खुलेआम हिन्दू कार्ड खेलेगी।
जब उत्तर प्रदेश में महागठबंधन की बात चली थी तो मायावती ने अखिलेश यादव को अर्दब में लेते हुए अधिक सीटें हासिल की और अखिलेश यादव के बहुत कहने पर बड़ी मुश्किल से तीन सीट दी और मध्य प्रदेश, छत्तीस गढ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा बसपा को उसके द्वारा मांगी गई सीटें न देने से नाराज मायावती ने महागठबंधन में मात्र रायबरेली और अमेठी छोड़कर कांग्रेस को गठबंधन मे भी शामिल करने से इंकार कर दिया था। तब मजबूरन कांग्रेस को मजबूत करने के लिए प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में उतारना पड़ा। प्रियंका गांधी की लखन ऊ के रोडशो में उमडी भारी भीड़ से भाजपा के साथ ही गठबंधन मे भी खलबली मच गई। और तभी मायावती का यह बयान आया था कि कांग्रेस के साथ किसी भी राज्य में कोई गठबंधन नहीं हुआ है।
फिर भीम आर्मी के संस्थापक और अध्यक्ष चन्द्र शेखर उर्फ रावण से मेरठ के अस्पताल में प्रियंका गांधी का उनको देखने जाने की घटना से मायावती बेहद नाराज हुई और अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस को यह धमकी भी दे डाली कि गठबंधन रायबरेली और अमेठी से अपना प्रत्याशी भी उतार सकती हैं। यहाँ यह बताना आवश्यक है कि मायावती अपनी बिरादरी की किसी भी नेता को अपने से आगे नहीं बढते देख सकती हैं इसी लिए मायावती ने चन्द्र शेखर उर्फ रावण को भाजपा का एजेंट बताया और साजिश के तहत चन्द्र शेखर का वाराणसी से खडा होना बताया तो चंद्र शेखर ने तुरंत ही मायावती पर पलटवार कर कहा था कि गुजरात चुनाव में भाजपा को जीताने और कांग्रेस का खेल बिगाड़ने कौन गया था।
अब तक कांग्रेस की समझ में यह बात आ चुकी थी कि मायावती किसी भी समय अमेठी, रायबरेली में अपना कैंडिडेट उतार सकती हैं। और यही कांग्रेस की सबसे बड़ी चिन्ता थी। शायद कांग्रेस भी यह खतरा भांप चुकी थी ।शायद इसीलिए प्रियंका गांधी ने अमेठी दौरे में साफ तौर पर कांग्रेस के कार्य कर्ताओं को स्पष्ट संदेश दे दिया था कि राहुल गांधी ही अगले प्रधान मंत्री होंगे और हमें 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारीयां भी करनी होगी। और शायद प्रियंका गांधी ने मायावती को स्पष्ट संकेत भी दे दिया था कि अगर किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला, जिसकी प्रबल सम्भावना है, तो राहुल गांधी के अलावा किसी नाम पर समझौता नहीं होगाऔरतभी मायावती के आगे झुकने के केरल से भी चुनाव लड़ने का फैसला हो गया था। जो कांग्रेस उत्तर प्रदेश में अखिलेश, मायावती के खिलाफ खुलकर नहीं बोल पाती थी अब इस बंधन से मुक्त हो गई है। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस ममता के आगे झुकी रहती थी अब उसके खिलाफ भी खुल कर प्रहार कर रही है ।
यह भी सच है कि वायनाड से राहुल गांधी के चुनाव लडने से कांग्रेस को कयी सीटों पर फायदा भी मिलेगा। यह साफ है कि राहुल गांधी स्मृतिईरानी के कारण नहीं बल्कि मायावती के कांग्रेस के प्रति बदलते रुख के कारण ही केरल से भी चुनाव लड रहे हैं। अखिलेश यादव का अपना कोई रुख स्पष्ट नहीं है मायावती ही उत्तर प्रदेश में गठबंधन की सर्वेसर्वा हैं ।कांग्रेस को हल्के में लेना और राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के प्रति व्यक्ति गत विद्वेष के कारण गठबंधन में शामिल न करने की जिद गठबंधन को काफी नुकसान पहुंचाएगी वहीं भाजपा को काफी फायदा होने वाला है। और जो गठबंधन उत्तर प्रदेश में 65 से 70 सीट पा सकती थी अब सम्भवतः उतनी सीटें नहीं पाएंगी, मेरा ऐसा आकलन है कांग्रेस के पास भी खोने को कुछ नहीं है 2014 से अच्छी हालत में रहेगी।
सम्पादकीय…..

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