सभी जानते हैं कि चंद्र शेखर उर्फ रावण ने सबसे ज्यादा कोशिश इस उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में मायावती के साथ गठबंधन का प्रयास किया लेकिन मायावती को सभी जानते हैं कि ऐसे किसी शख्स को माफ नहीं करती जो उनके वोट बैंक को अपना बनाने का प्रयास करता है। सो मायावती के साथ लाख प्रयास करने के बाद भी मायावती ने चंद्र शेखर को कोई भाव नहीं दिया तब उन्होंने अखिलेश यादव से मुलाकात कर गठबंधन करना चाहा। शुरूआत में अखिलेश यादव ने चंद्र शेखर में दिलचस्पी दिखाई लेकिन जैसे -जैसे अखिलेश यादव के गठबंधन का कुनबा बढता गया वैसे -वैसे उन्होंने भी चंद्र शेखर में दिलचस्पी दिखानी बंद कर दी इसका एक कारण ये भी रहा कि चंद्र शेखर गठबंधन में सम्मान जनक सीटें (लगभग 15 सीट) मांग रहे थे। हर ओर से निराश चंद्र शेखर ने पिछले हफ्ते दो बार दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात कर गठबंधन करने की बात की। पश्चिम उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों और जाटों के अलावा जाटवों की अच्छी आबादी है पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यादवों की संख्या कम है और अखिलेश ने रालोद से गठबंधन कर जाट और मुस्लिम समुदाय को अपने साथ जोड़ने का प्रयास किया लेकिन नयी पीढी के नौजवान जाटवों की चंद्र शेखर के प्रति दीवानगी है ये वोटर पहले मायावती के साथ थे । मुस्लिम पहले ही मायावती से छिटक चुका है ऐसे में अगर चंद्र शेखर और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दोनों को अवश्य ही फायदा होगा लेकिन जब तक गठबंधन न हो तब तक इंतजार करना होगा। दर असल चंद्र शेखर पंजाब और उत्तराखंड में भी गठबंधन चाहता है उनके अनुसार पंजाब में जाटवों की अच्छी आबादी है और चूंकि सहारनपुर से सटे उत्तराखंड के सीमावर्ती इलाकों में उसके वोटर हैं इसी पर कांग्रेस दुविधा में है वह गठबंधन केवल उत्तर प्रदेश में तक ही सीमित रखना चाहती है।