हमारे देश में करवा चौथ विवाहित महिलाओं के लिए बहुत ही महत्व पूर्ण अवसर माना जाता है और भारतीय महिलाऐं इसे एक पवित्र त्यौहार की भांति मनाती हैं और इस मौके पर अपने पति की लम्बी आयु के लिए खुशी -खुशी दिन भर का व्रत रखती हैं, वो भी निरा जल ।इस व्रत का या करवा चौथ को मनाने का रिवाज कब से प्रारम्भ हुआ यह जानना रोचक है दर असल प्राचीन कथाओं के अनुसार करवाचौथ की परम्परा आदिकाल से या देवी -देवताओं के समय से ही चली आ रही है माना जाता है कि एक बार देवताओं और दानवों के बीच भयंकर युद्ध छिड़ गया और उस युद्ध में देवताओं की हार होने लगी थी तब क ई देवता ब्रम्हा देव के पास मदद मांगने पहुंच गये। तब ब्रम्हदेव ने उनसे कहा कि इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियां अपने -अपने पतियों के प्रांणों की रक्षा करने और इस युद्ध में विजय हासिल करने के लिए पूरे दिन का निरा जल व्रत रखना चाहिए और अगर ऐसा आप सभी देवताओं की पत्नियां ऐसा व्रत सच्चे मन से रखतीं हैं तो मैं वचन देता हूँ कि इस युद्ध में विजय अवश्य आप लोगों की होगी। ब्रम्हदेव के इस सुझाव का सभी देवताओं और उनकी पत्नियों ने खुशी -खुशी स्वीकार कर पूरे दिन पतियों की लम्बी उम्र की कामना और युद्ध में विजय हेतु निरा जल व्रत रखा और आश्चर्यजनक रूप से हार रहे देवताओं की युद्ध में विजय हुई। इसी के बाद से इस करवा चौथ व्रत की शुरुआत हुई जो आजतक चली आ रही है।