[6/19, 20:34] सुनील दत्ता: ” काला पानी ” : एक कालजयी सारस्वत क्रांतिवीरो का तीर्थ स्थल
‘ काला पानी ‘ , अर्थात अंग्रेजी शासन – काल का अंडमान – निकोबार द्वीप समूह | जिसका नाम सुनते ही आम जन में एक डरावना दृश्य पैदा होता और लोग शाम जाते | वर्तमान में बंगाल की खाड़ी में स्थित भारतीय गणतंत्र का एक केंद्र – शासित क्षेत्र | वैसे , आज की परिवर्तित स्थिति में वह कुछ भी काला नही है — न धरती , न पानी , न लोक जीवन |
वहा की हरीतिमामयी धरती , प्राकृतिक शुष्मा – मंडित समुद्र तट तथा दीप्त फेनिल सागर तरंगे मोहक एवं आहाल्द्कारी तो है ही , वह के सरल निश्छल आदिम्वासी तथा निर्मल प्रांजल लोक – जीवन भी बड़ा प्यारा एवं विविधतापूर्ण है | अंग्रेजो ने क्रांतिवीरो के साथ अमानुषिक अत्याचार किया इन लोगो ने उसे भोगा एवं तिल- तिल कर प्राणाहुति देने हेतु यहाँ भेजकर इस अमृत्सिकत धरा को ‘ काला पानी ‘ कहलाने को अभिशप्त कर दिया था |
वस्तुत: अंग्रेजी अंग्रजी सरकार के क्रूरतम दमन एवं सतत शोषण के फलस्वरूप भारत – माता की आँखों में उमड़े कातर आँसुओ ने भारतीय जन – मांस एवं ह्रदय को आंदोलित – आक्रोशित कर दिया | अत: देश माता को दारुण दासता से मुक्त कराने लाखो – लाख युवक सिर पर कफन बांधकर अंग्रेजी सरकार से मुकाबला लेने को निकल पड़े | उन जाँबाजो की यह निर्भय वाणी देश के कोने – कोने में गूंज उठी —
” सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है |
देखना है ज़ोर कितना बाजुए कातिल में है | ”
फिर क्या था | क्रान्ति की ज्वाला तीव्र होती गयी और फिरंगी अत्याचार – दमन की चक्की भी अपने पुरे वेग में घुमने लगी | अग्रणी क्रांतिवीरो तथा प्रखर स्वतंत्रता सेनानियों को कैद कर सुदूर अंडमान में बनी ”सेल्युलर जेल ” में क्रूरतम यातना भुगतने के लिए डाल दिया | यही कारण था कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह को उस समय ”काला पानी ” की संज्ञा से अभिसिक्त किया गया | यह जेल भारतीय क्रान्ति के सर्वथा प्रशक्त जीवंत एवं प्रेरक पक्ष का स्वं एक प्रमाणिक दस्तावेज है |
[6/19, 20:35] सुनील दत्ता: प्रस्तुति सुनील दत्ता कबीर स्वतंत्र पत्रकार दस्तावेजी प्रेस छायाकार