Saturday, July 27, 2024
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कांशी राम के चहेते बृजलाल खाबरी, सोनकर, आखिर कौन हैं और क्या है उनकी राजनीतिक पूंजी और इतने दिग्गजों के बीच कांग्रेस ने क्यूँ लगाया उन पर दांव?

यूं तो लोकसभा चुनाव में अभी समय है किंतु कांग्रेस ने अपनी तैयारी के मद्देनजर 6महीने बाद आखिरकार यूपी में अपनी टीम की घोषणा कर जातीय और क्षेत्र दोनों को ध्यान में रखते हुए अपनी चाल चलते हुए संगठन को मजबूत करने की तैयारी और कोशिश शुरू कर दी है। कांग्रेस के बड़े -बड़े दिग्गजों के बीच बृजलाल खाबरी, सोनकर के नाम यूपी कांग्रेस अध्यक्ष की घोषणा कर लगभग सभी को (चाहें विपक्षी दल हों या कांग्रेस नेता हों ) चौंका दिया। राजनीति में एक कहावत है कि लोकतंत्र में कोई नेता बड़ा या छोटा, सीनियर या जूनियर नहीं होता, जो जनता में सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेता हो, वही सबसे बड़ा। इसी तर्ज पर 2014 में लालकृष्ण आडवानी के स्थान पर नरेंद्र मोदी देश के प्रधान मंत्री बने थे। आज यूपी कांग्रेस के एकाध नेताओं को छोड़ कर सभी का तेज निस्तेज हो चुका है और उन्हें किसी ऐसे सहारे की जरूरत है जिसके सहारे उनका स्वंयम का चेहरा भी रौशन हो सके। सभी जानना चाहते हैं कि आखिर यह बृजलाल खाबरी सोनकर कौन हैं और आखिर उन्हें क्यों यूपी कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया। बुंदेलखंड इलाके के जालौन जिले की तहसील कोंच के एक छोटे से गांव खाबरी के रहने वाले बृजलाल के घर 1977 में एक दलित व्यक्ति रोता हुआ उनके पिता से अपने उत्पीड़न की बात कही और रोने लगा उस समय 9वीं के छात्र बृजलाल उस को लेकर थाने गए और थानाध्यक्ष से दमदारी से बात किया और उत्पीड़न करने वाले के खिलाफ मामला दर्ज कराया। और उसी के कुछ ही दिन बाद कांशीराम जालौन आए तो बृजलाल उनकी बातों से काफी प्रभावित हो उनका शिष्य बन गया। बृजलाल ने डीएवी पी. जी. कालेज में पढने के दौरान ही छात्र नेता बना दो छात्र संघ चुनाव भी और हारे, वो उस समय दलितों के उत्पीड़न के खिलाफ अक्सर कोर्ट कचहरी और थाने के चक्कर भी लगाने लगे। चूंकि बहुत तेजतर्रार और आक्रामक स्वभाव के थे कांशीराम ने उन्हें संगठन में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। उस समय उन्होने पूरे प्रदेश का दौरा किया और दलितों का संगठन मजबूत किया। जिससे प्रभावित कांशीराम ने उन्हें लोकसभा का टिकट दिया, जहाँ वह चुनाव जीतकर सांसद बने। दुबारा चुनाव लड़े किंतु चुनाव हार गए तो कांशीराम ने उन्हें राज्य सभा में भेज दिया। 2016 में कांग्रेस में शामिल हुए और 2017 में विधान सभा का चुनाव लड़ा और दोनों बार बुरी तरह चुनाव हारे। उनकी पत्नी उर्मिला सोनकर प्रशासनिक सेवा में हैं उन्होंने भी विधान सभा चुनाव लड़ा था और बुरी तरह हारी थीं अब राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने उनकी क्षमता से प्रभावित होकर उन्हें यूपी की कमान सौंपी है बृजलाल का तजुर्बा और मेहनत का लाभ कितना कांग्रेस को मिलता है थोड़ा बहुत इसकी झलक निकाय चुनाव में मिल जाएगी।

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