Friday, February 7, 2025
होमराजनीतिकांग्रेस के" इंडिया"गठबंधन के सहयोगी दल सहयोग लेने को तो तैयार हैं,...

कांग्रेस के” इंडिया”गठबंधन के सहयोगी दल सहयोग लेने को तो तैयार हैं, सहयोग देने को नहीं, राजीव गांधी, सोनियांगांधी की गलतियों को सुधारने में जुटे राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे

राहुल गांधी ने दिल्ली में 10 साल बाद पहली बार अपनी पहली रैली में जम कर भिजपा के साथ-साथ आम आदमी पार्टी पर जमकर हमला बोला है , साथ ही अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को आम आदमी पार्टी के झूठ और गलत नीतियोंपर भाजपा के साथ ही खुलकर आलोचना करने की बात कही है। अब तक पार्टी के नेता और कार्यकर्ताइसी इशारे के इंतजार में चुप बैठा था। दर असल सभी इंडिया के सहयोगियों द्वारा कांग्रेस को इंडिया गठबंधन में बडा़ भाई होने के नाते दिल्ली में कांग्रेस को इंडिया गठबंधन की याद दिलाकर दिल्ली में दो बार की तरह इस चुनाव में भी भाजपा को रोकने के लिए न लड़ने की न केवल सलाह दे रहे थे अपितु इंडिया गठबंधन से आम आदमी सहित सपा, शिवसेना(उद्धव ठाकरे),शरदपवार, लालू यादव,उमर अब्दुल्ला तक इंडिया गठबंधन से बाहर करने की धमकी दे रहे थे। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने न केवल इसे नजर अंदाज कर दिल्ली विधान सभा चुनाव में पूरे दम-खम से लड़ने का मन बना लिया है बल्कि अपने दल के सभी मजबूत प्रत्याशी 8 सीटों को छोड़कर उतार दिये हैं और आज शाम तक शेष 8 सीटों पर भी उम्मीदवारों का एलान हो जाने की सम्भावना है।इन सबकी पृष्ठभूमि शायद हरियाणा चुनाव के समय ही बन गयी थी जब आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में इंतजार किये बिना सभी विधान सभा सीटों पर प्रत्याशी उतार दिये थे। ममता बनर्जी को तो सभी जानते हैं कि भाजपा से ज्यादा एलर्जी उन्हे कांग्रेस से है इसी लिये पिछले लोकसभा चुनाव में बात चीत के बीच अपनी पार्टी के सभी प्रत्त्याशियों की घोषणा कर दी थी वह तो पहले दिन से इंडिया गठबंधन में कांग्रेस विरोधी है। रही वामदल की बात तो वह केरल में कांग्रेस की जड़ खोदने पर अमादा है और तो और उसने वायनाड से दोबार राहुल गांधी और एक बार प्रियंका गांधी के खिलाफ भी अपने प्रत्याशी उतार दिये थे रही नवीन पटनायक जब तक उडी़सा की सत्ता में काबिज रहे तब तक भाजपा की केंद्र सरकार के जोडी़दार बने अब सत्ता जाने पर बेचारे हो गये हैं। जगन मोहन रेड्डी पिता की मौत के बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन सोनियां गांधी ने एस रोसैया को मुख्यमंत्री बना दिया आज रोसैया को किसी की याद भी नही है आंध्र से अलग तेलंगाना सोनियां गांधी के इशारे पर बना था लैकिन श्रेय के चद्रशेखर राव ले गये और 10 साल तेलंगाना के मुख्यमंत्री बने रहे और केंद्र की भाजपा के साथ रहे। बाद में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी तथारेवंत रेड्डी (वर्तमान मुख्यमंत्री )की मेहनत से हासिल हो सका। आम आदमी पार्टी पंजाब में कांग्रेस के विभिषण नवजोत सिंह सिद्धू और एक दो अन्य नेताओं की बयान बाजी से सत्ता में आ गयी। साथ ही कांग्रेस को कैप्टन अमरिंदर सिंह और कुछ अन्य नेताओं से हाथ धोना पडा़ । इसी प्रकार बिहार में लालू यादव ने बिहार में पिछलग्गू बनाये रखने की रणनीति पर काम रखते हुए लगभग 20 साल सत्ता चलाई। यह सुनकर तो किसी को भी हंसी आ सकती है कि वर्तमान बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को लालू यादव ने राज्यसभा भेजा और आज जो कुछ भी बिहार कांग्रेस में होता है, लालू यादव की मर्जी से। इसी कारण मजबूत पप्पू यादव और कन्हैया कुमार जैसे मजबूत नेताओं को कांग्रेस से बिहार में न कोई पद देने और न ही लड़ने देने की। यही हाल यूपी का लें राजीव गांधी ने पार्टी को मुलायम सिंह यादव का पिछलग्गू बना दिया। नतीजा धीरे -धीरे यह हो गयी कांग्रेस का पूरा संगठन ही समाप्त हो गया और मुलायम सिंह यादव और बाद में अखिलेश यादव की सपा ने यूपी में सालों राज्य किया अब राहुल गांधी और प्रियंका ने सहयोगी दलों से “सहयोग दें और सहयोग ले” वाली रणनीति पर रहते हुए सभी राज्यों मे अपने को मजबूत करते हुये सीधे भाजपा से लड़ने की कोशिश शुरू कर दी है। इसी कारण सभी “इंडिया” गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस को दिल्ली में न लड़ने की सलाह के साथ इंडिया गठबंधन से बाहर करने की धमकी भी देनी शुरू की,क्योंकि सभी इंडिया गठबंधन के सहयोगी कांग्रेस के के वोट बैंक को छीनकर अपने-अपने राज्यों में मजबूत हुए थे और सत्ता में आये थे। लेकिन कांग्रेस न सभी सहयोगियों की बात दरकिनार करते हुये सभी सीटों पर मजबूती से लड़ने जा रही है अल्पसंख्यकों और दलितों और पंजाबीयों के मजबूती से जुड़ने की सम्भावना ने कांग्रेस के हौंसलों को बुलंद कर दिया है साथ ही यूपी , बिहार, उडी़सा, महाराष्ट्र , राजस्थान, हरियाणा और आंध्र प्रदेश में भी मध्य प्रदेश की ही भांति नया संगठन खडा़ करने जा रही है, जहां कमलनाथ को झटका देकर जीतू पटवारी के नेतृत्व में नया संगठन खडा़ कर दिया है। साथ ही राहुल गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में दिल्ली में विधान सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ आक्रामक रूख अपना कर। अपने इंडिया गठबंधन के सहयोगियों की सलाह चेतावनी को दरकिनार कर उनके दबाव को न केवल नकार दिया है बल्कि अपरोक्ष रूप से उन्हे चेतावनीऋभी दे दी है, शायद इसी कारण तेजस्वी यादव ने काग्रेस के साथ पुराना गठबंधन की बात दोहराई तो सपा ने भी अब चुप्पी साध।ली है। तमिलनाडु में स्टालिन पहले की भांति कांग्रेस के साथ मजबूती से खडा़ है। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे अब “इंडिया गठबंधन” के नाम पर सभी सहयोगियों को स्पष्ट चेतावनी दे दी है कि अब गठबंधन के नाम पर राज्यो में अपनी सियासी जमीन खोने को तैयार नही है साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि गठबंधन के नाम पर राज्यों में कांग्रेस को हाशिये पर रखने की सहयोगियों की दबाव की रणनीति अब नहीं चलेगी। सम्पादकीय-News51.in

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments