आज हम ऐसे कुछ नेताओं के बारे में बात करने जा रहे हैं जो भारतीय राजनीति में आये और छागये लेकिन जो धरातल की हकीकत को समझे बिना एकाएक लम्बी छलांग लगाने की गलती कर बैठे और औंधे मुंह ऐसा गिरे हैं कि लगता है जैसे इनकी राजनीति अब सम्भवतः अपने आखिरी पडा़व पर है उनके बारे में बात करते हैं उनमें पहले नम्बर पर अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं जो अन्ना हजारे के आंदोलन से निकले नेता हैं और अन्ना हजारे के मना करने के बाद भी नयी पार्टी आम आदमी पार्टी बनाई और दिल्ली की जनता की कांग्रेस के भरष्टाचार से तत्समय नाराज जनता को बिजली को मुफ्त करने जैसा लुभावना नारा देकर।दिल्ली में भारी बहुमत से दिल्ली विधानसभा चुनाव जीता । उसके बाद दुबारा दिल्ली विधान सभा चुनाव भी भारी बहुमत से जीता । लेकिन चूंकि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला है इसलिए केजरीवाल छटपटा रहे हैं दिल्ली के बाहर पार्टी को बढाना चाहते थे ,तुक से कांग्रेस के पंजाब नेताओं की आपसी फूट और सिर -फुटौवल का लाभ भी केजरीवाल को मिला और वहां भी उनकी सरकार बन गयी । यहीं सेउनकी राष्ट्रीय राजनीतिक महत्वाकांक्षा जाग गयी । उनको लगा कि अब वह राष्ट्रीय राजनीति में लम्बी छलांग लगाने काम मौका इंडिया गठबंधन के जरिये मिल गयी । जिस कांग्रेस के भ्रष्टाचार को उठाकर केजरीवाल दिल्ली की सत्ता प्राप्त की उसी से दिल्ली में गठ बंधन कर लोकसभा में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराना चाहती थी । उनको लगता था पंजाब की तेरहो सीटें उनकी पार्टी जीत जाएगी साथ ही उन्हे लग रहा था कि जेल जाने से उन्हे सहानूभूति का भी लाभ मिलेगा , इसके अलावा हरियाणा, गुजरात में भी वो एक-सीटें जीत लेंगे । लेकिन जब रिजल्ट आया तो केजरीवाल की पार्टी तीसरे नम्बर पर दिल्ली में पहुंच गयी और एक भी सीट नहीं जीत सकी। गुजरात और हरियाणा की सीटें भी हार गयी और पंजाब में जहां कांग्रेस 7 सीटें जीती वहीं केजरीवाल की पार्टी मात्र 3 सीटें जीत सकी ।यह सब अचानक नहीं हुआ । दर असल तत्समय कमजोर होती कांग्रेस के कमजोर होने का लाभ आम आदमी पार्टी को मिला था जैसे ही कांग्रेस मजबूत होने लगी केजरीवाल का तिलस्म भी टूटने लगा है 22 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी मात्र 3 (तीनों पंजाब की) ही जीत सकी बल्कि उल्टा दिल्ली में कांग्रेस को, जो लोकसभा सीट जीतना चाहिए था वह आम आदमी पार्टी से गठबंधन के कारण हार गयी । अब शायद ही केजरीवाल दिल्ली और पंजाब में भी अपना करिश्मा दोहरा पाएगी वह दिल्ली में बिजली माफी और महिलाओं को फ्री बस यात्रा जैसा चुनावी लालीपाप हर जगह दिखाकर सत्ता पाना चाहती थी सत्ता के लिए खालिस्तान जैसे आतंकवादी संगठन से हाथ मिलाने से गुरेज न।करने वाले केजरीवाल का दुबारा उठपाना अब शायद ही सम्भव होगा, कारण कांग्रेस का पुनरोदय है । दूसरे नेता हैं तेलंगाना के कें चंद्रशेखर राव जिन्हे केसी आर भी कहा जाता है वो भी राष्ट्रीय राजनीति में आना चाहते थे आज विधानसभा में उनके नाममात्र के विधायक हैं और लोकसभा में अब उनका एक भी सदस्य नहीं है और अब उनका भी राजनीति में पुनरोदय सम्भव नहीं लगता है, तीसरे नेता बीजद के उडी़सा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक हैं अब आगे विधानसभा से सत्ता से गये। लोकसभा में वह ताकत नहीं रही और अब रिवाइवल के लिए आगे उम्र भी आडे़ आ रही है । चौथे नेता महाराष्ट्र मे शरदपवार के भतीजे अजीत पवार हैं जिनकी पत्नी भी लोकसभा चुनाव हार गयी हैं हालांकि अभी भाजपा उन्हे उप मुख्यमंत्री बनाए हुए है लेकिन आगे आने वाले विधान सभा।चुनाव में कोई करिश्मा दिखाने में सफल नहीं होती है तो आगे भाजपा शायद ही उन्हे ढोवे_ सम्पादकीय-News51.in
ऐसे महत्वाकांक्षी नेता, जो प्रधानमंत्री का सपना लेकर इस लोकसभा चुनाव के बाद अर्श से फर्श पर आए, इनमें से कुछ की राजनीति सम्भवतः अपने आखिरी पडा़व पर है?
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