यूं तो पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के साथ ही पांच राज्यों की छह सीटों में हुए उपचुनावों में कांग्रेस को 3 पर मिली विजय ने उसके हौंसले को नया आक्सीजन दे दिया है । दो सीट भाजपा और एक उसके सहयोगी आजसू को झारखंड की रामगढ सीट पर विजय मिली । भाजपा ने महाराष्ट्र की चिंचवाड़ जीत ली और अरूणाचल की लिमला सीट पर उनका प्रत्याशीशेरिंग लामू निर्विरोध चुनी गयी।रही बात कांग्रेस की, तो खासकर महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की जीत ने उसके अरमानों को पंख लगा दिये क्योंकिमहाराष्ट्र की कसबा सेठ सीट पर जहां पिछले 20 वर्षों से अधिक समय से भाजपा ही जीतती रही थी,कांग्रेस ने जीत दर्ज की। तमिलनाडु की ईरोड पूर्व पर डीएम के का सहयोगी होने के कारण वहां कांग्रेस की जीत पर किसी को शक नहीं था।लेकिन सबसे बडा़ धमाका तो कांग्रेस ने प. बंगाल की सागरदिघी सीट जीतकर तो तृणमूल कांग्रेस में तहलका ही मचा दिया।शायद इतना दुख तो ममता बनर्जी को भाजपा के जीतने पर भी नहीं हुआ होता।इसीलिए कांग्रेस के चुनाव जीतते ही उन्होने भाजपा पर यह आरोप लगा दिया कि मिलीभगत कर भाजपा ने तृणमूल को हराने के लिएअपने वोट कांग्रेस को ट्रांसफर करवा दिये और तो और तो और कांग्रेस की जीत से खिजीं ममता ने 2024 का लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ने का ऐलान कर दिया।वर्तमान में प. बंगाल में भाजपा और तृणमूल से लड़कर कांग्रेस की जीत एक चमत्कार से कम नहीं है क्योंकि वामदल और कांग्रेस गठबंधन लगातार हार रही थी। यह जीत आगे कहीं इस गठबंधन के लिए राम बाण न बन जाय और तृणमूल के रास्ते का बडा़ रोडा़ न बन जाय।यही ममता बनर्जी की मुख्य चिंता है। सम्पादकीय-News51.in