Friday, February 7, 2025
होमराजनीतिआम आदमी पार्टी ने पहले दिल्ली विधान सभा चुनाव में कांग्रेस से...

आम आदमी पार्टी ने पहले दिल्ली विधान सभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन को मना किया, अब कांग्रेस जब सभी सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है , तब आप पार्टी कांग्रेस पर तरह-तरह के आरोप लगा रही है और प्रतिदिन एक नया वादा जनता से कर रही है, मुस्लिम का झुकाव पूरे देश मे कांग्रेस की तरफ बढता देख आप पार्टी घबराई, भाजपा की पौ बारह, उसे दिल्ली में उसे स्पष्ट बहुमत की उम्मीद , काग्रेस भी दिल्ली में वापसी को छटपटा रही है

दिल्ली में वापसी को छटपटा रही कांग्रेस को यद्यपि कि सत्ता में आना मुश्किल लग रहा है लेकिन पूरे देश का मुसलमान अब सम्भवतः ये जान चुकी है कि उनके वोट को पाये बिना कांग्रेस का भाजपा से लड़ पाना असम्भव है क्या यूपी में अखिलेश यादव, क्या बिहार में तेजस्वी यादव , क्या ओवैसी की पार्टी , क्या आंध्रप्रदेश में टीडीपी और वाई एस आर की पार्टी, क्या उडीसा में नवीन पटनायक की पार्टी या अब तक दिल्ली में भाजपा को 10 वर्षों से हरा रही आप पार्टी अब सम्भवतः इस बार एंटी इंकम्बैसी का डर और जनता में बढता आप पार्टी के प्रति अविश्वास सभी को लेकर मुस्लिमों का विश्वास भी दरकता जा रहा है अभी तक मुस्लिमों के धर्म गुरूओं को उनका क ई महीने का वेतन न देकर उनसे न केवल केजरीवाल ने इंकार कर दिया है अपितु सत्ता में फिर आने पर हिंदू पुजारियों और सिक्खों के ग्रंथीयों को हर महीना 18 हजार रूपया देने का वादा कर दिया अब भाजपा को उनके दिल्ली में सत्ता में आने की आस बढ गयी है वहीं कांग्रेस ने भी लगभग 15 ऐसी विधान सभा सीटों को चिन्हित कर लिया, जिसे अगर जमकर प्रयास और कायदे से कम्पेनिंग किया जाय तो इन सीटों को जीता जा सकता है इनमें से अधिकांश सीटें मुस्लिम बहुल इलाकों की है।इसीलिये कांग्रेस बार-बार यह गलती मान रही है कि वह लोकसभा चुनाव में आप पार्टी से गठबंधन कर गलती की है लोकसभा चुनाव से ही मुस्लिमों का रूझान कांग्रेस की तरफ हो रहा है और वह भाजपा के बजाय आम आदमी पार्टी को टारगेट कर रही है। ये सीटें हैं मुस्तफाबाद,बाबर पुर, सीलम पुर, मटिया महल,जंगपुरा,सदर बाजार, ओखला,बल्ली मरान,आदि । इसके अलावा न ई दिल्ली की सीट जो शीला दीक्षित जी की थी और उनके कामों को दिल्ली की जनता ने देखा था और यह भी कि किस तरह झूठ सच बोल कर शीला दीक्षित जी को यहां से हरवा दिया था, कांग्रेस इसे भी अपना सीट मान रही है इसी तरह दलितों और भाजपा से अलग नजरिया रखने वाले हिंदुओं और यूपी , बिहार के मतदाताओं पर भी कांग्रेस डोरे डालने के लिये प्रयासरत है उधर भाजपा भी चाह रही है कि कांग्रेस दिल्ली में मजबूत हो, ताकि केजरीवाल की आप पार्टी को हराया जा सके। इधर दिल्ली में आप पार्टी कमजोर हुई है, कांग्रेस भी भाजपा के बजाय आप पार्टी को ही निशाना बना रही है और उसे फ्राड बता रही है इधर घबराई आप पार्टी भी कयी गलती करती जा रही है और रोज अनाप-शनाप बयान देकर भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साध रही है बल्कि जनता को रोज नये-नये झुन झुना देकर भाजपा और कांग्रेस के जाल में फंसती जा रही है , लेकिन अभी भी कांग्रेस जद्दोजहद कर रही है वहीं भाजपा की कोशिश है कि आप पार्टी किसी भी हालत में पूर्ण बहुमत न पाने पाये, ऐसे में काग्रेस इन्ही 15 सीटों पर पूरा जोर लगायेगी और अगर 5-7 सीट कांग्रेस पा जाती है तो यह भी तय है क ई सीटों पर भले ही न जीते ,शायद शायद आप पार्टी को भी सत्ता में नहीं आने से रोक सकती है और तब भाजपा ही जीतेगी, लेकिन कांग्रेस को अब इसकी परवाह कहां ? सम्पादकीय-News51.in

पिछला लेख
अगला लेख
पूर्व प्रधानमंत्री की मृत्यु के राष्ट्रीय शोक के बाद कांग्रेस का सभी राज्यों के संगठन को चुस्त करने की शुरूवात होगी, सूत्रों के मुताबिक सबसे पहले डी.शिवकुमार की ना के बाद अशोक गहलौत होंगे के.सी. वेणुगोपाल के बाद कांग्रेस के संगठन महासचिव बनेंगे, पहले बचे दिल्ली के बचे 23 उम्मीदवारों की सूची, फिर राजस्थान, बिहार,यूपी और हरियाणा, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ में संगठन को मजबूत करने की कवायद, कांग्रेसी क्षेत्रीय क्षत्रपों और क्षेत्रीयदलों(इंडिया संगठन) के साथियों से समान दूरी रखते हुए मेहनती कार्यकर्ताओं को उभारने की कोशिश, बिहार में प प्पू यादव और कन्हैया को आगे कर लालू यादव को देगी कांग्रेस झटका
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments