अपना शहर मगरुवा —
जुठ्नालय — एक केतली काली चाय
मैंने जो पिछली पोस्ट डाली थी उसमे दो विचार आये जिसमे कहा गया कि कुछ नामो को मैंने छोड़ दिया है दरअसल वो काफी लम्बा हो गया था और कुछ नाम मुझे याद नही थे सो आज जूठनालय का दूसरा एपिसोड लिख रहा हूँ |
आज शुरू करता हूँ अशोक सिंह चच्चू से बहुत ही शानदार व्यक्तित्व , ज्ञान से लबरेज दार्शनिक अंदाज में खाना — पीना और सहना | जब से जुठ्नालय स्टेट बैंक के पास स्थापित हुआ उन्ही से जानकारी मिली कि यह दूकान सन 1975 में खुली है जो आज इसका स्वरूप है तब यह नही था बस कम चलाऊ था जैसे जैसे दुकान की प्रगति हुई वैसे – वैसे इसका स्वरूप भी बदला | अशोक सिंह सुबह 10.30 बजे झूठन की दूकान पे प्रतिदिन आते है अगर देखा जाए तो चच्चू यहाँ के पहले मेंबर है जिसने शुरू हुई अकेले की बैठकी साथ में हो लेते थे उस वक्त अनिल पोद्दार भइया कभी कभार में से राबिन मैथ्यू , अरुण सरन , नरेन्द्रजी , हक्सर साहब , नागपाल जी.आर पी सिंह यह सभी उस वक्त दवा कम्पनी के एजेंट हुआ करते थे चच्चु के साथ इनकी भी बैठकी होती थी | अब बताता हूँ एक केतली चाय का रहस्य दरअसल चच्चू ही एक मात्र ऐसे प्राणी है वो जूठन को असली नाम दुर्गा कह के बुलाते है नही तो बाकि लोग जूठन का असली नाम नही जानते है चच्चु की आदत है वो एक केतली कडी पत्ती की चाय बनवाते है और धीरे धीरे उस चाय को शिप करते है उस परम्परा को आज भी वो जीवित रखे है | आज शाम को अचानक च्च्चू जूठन के दूकान पर बैठे मिल गये मैंने पूछा आज शाम को क्या आपने रूटीन बदल लिया है कहने लगे नही दरअसल मैंने घर पे काम लगवाया है सो चाय पीने चला आया चच्चू ने अपनी चर्चा करते हुए बोला जानते हो सुनील यार जब से जी एस टी लगा है इन व्यापारियों को हम क्या कहे सब उलटा पुलटा कर रहे है नेट पर कुछ और हिसाब और कागज में कुछ हिसाब इसी को सुधारने में समय निकल जा रहा है लेकिन इनकी आदत नही बदल रही है बगल वाले टेबल पर मगरू चाय की चुस्की ले रहा था वो भी बीच में आ गया लगा कहने जब यहाँ पर हौसला उपाध्याय , अशोक तिवारी केशव तिवारी पतिराम यादव रावतमऊ के शमशेर बहादुर उपेन्द्र सिंह मुन्ना समाजवादी तेवर में जिए वाला बड़े भाई नरेन्द्र बहादुर राय ( हीरा भाई ) इसके साथ ही इन लोगो को एस वाई एस में शामिल करवाने वाले समाजवादी जुडारामपुर के नामवर सिंह जब बैठा करते थे तब कभी भी जूठन को परेशानी नही हुई बल्कि अब जो भाजपाई बैठ रहे है उनके जमाने में सैम्पुल लिए जा रहे है उसपे से तुर्रा एक वरिष्ठ भाजपाई क की उ टीम लखनऊ से आयेल रहे जबकि सैम्पुल लेवे वाले लोग यही के रहने खैर मगरू ने कहा छोडिये इन बातो को जरा लक्ष्मण पान वाले के बारे में बताये चच्चू — इनको भी चाय के साथ सिगरेट का शौक है पुराने दिनों में चले गये चच्चू यार तब जो लोग भी यहाँ बैठा करते थे अच्छी बहस करते थे आम जन की बातो में नये आन्दोलन की रूप रेखा तय होती थी लक्ष्मण पान वाले के यहाँ भी लोगो की भीड़ जमा होती थी खास तौर पर शिवनाथ और राजेन्द्र सिंह अक्सर नजर आते थे लक्ष्मण भी गजब का शौक़ीन था क्रिकेट मैच जब होता था तब लक्ष्मण के यहाँ की भीड़ बढ़ जाती सारे लोगो का कान रेडियो पर लगा होता की क्या खबर है आज की उसके बाद उस ख़बर पर लोगो का विश्लेषण शुरू हो जाता था | आज भी यहाँ के बहुत से लोग लक्ष्मण के खाते में मौजूद है | आज लक्ष्मण इस दुनिया में नही है इसी बहाने उनको याद किया उनको नमन | लक्ष्मण के अच्छे मित्रो में थे तकनिकी दिमाग रखने वाले तन्मय पाण्डेय के मामा राजू पाण्डेय जितने लोग भी जुठ्नालय पर बैठक मारते शायद ही कोई अछूता होगा जो लक्ष्मण पान वाले के यहाँ से न गुजरा हो |क्रमशः लेखक- सुनील कुमार दत्ता स्वतंत्र पत्रकार एवं दस्तावेजी फोटो छायाकार