वर्तमान तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी कभी कांग्रेस की फायर ब्रांड नेता हुआ करती थी और राजीव गांधी उनसे बहुत प्रभावित थे समय पश्चिम बंगाल में वामदलों की सरकार थी तब ममता बनर्जी ने अपने जुझारूपन का परिचय देते हुए वाम मोर्चे के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए जमकर आंदोलन और सड़कों पर प्रदर्शन किया । यहांतक कि पुलिस लाठीचार्ज में उनका सर भी फट गया था लेकिन इसी बीच कांग्रेस केपश्चिम बंगाल के नेताओं से ममता का मनमुटाव काफी बढ गया था राजीव गांधी की मौत के मौत के बाद वहां 1996 में पश्चिम बंगाल में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में ममता बनर्जी के खिलाफ उनके घुर विरोधी सोमेन मित्रा ने चुनाव लडा़ और ममताबनर्जी 26 वोटों से चुनाव हार गयी थी तब उन्होने कांग्रेस अधिवेशन स्थल से मात्र तीन कलोमीटर की दूरी पर अपनी अलग रैली की जिसमें 3 लाख लोग जुडे़ और ममताने तृणमूल कांग्रेस पार्टी बनाई। बाद में कांग्रेस से तालमेल कर उन्होने वाम मोर्चा सरकार के खिलाफ चुनाव लडा़ और ममता मुख्यमंत्री बनी और कांग्रेस मात्र सहयोगी भूमिका में रह गयी उसके बाद सेसोमेन मित्रा की मौत के बाद दोबारा अधीर रंजन कांग्रेस अध्यक्ष बने वह अपनी सीट तो जीतते रहे लेकिन ममता के खिलाफ कभी कांग्रेस को खडा़ नहीं कर सके और कांग्रेस आलाकमान ने भीपश्चिम बंगाल की तरफ से आंख मूंदे रहा नतीजा अधीर रंजन चौधरी की अकर्मण्यता और कांग्रेस आलाकमान की अनदेखी के चलते कांग्रेस कार्यकर्ताओं की हताशा और उदासीनता के चलते ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में अजेय बनी हुई हैंकांग्रेस से ज्यादा मजबूत वर्तमान समय में भाजपा है।अगर यही स्थिति रही और अब भी कांग्रेस पश्चिम बंगाल संगठन की मजबूती और ममता के खिलाफ जोरदार जन आंदोलन करती नजर नहीं आती तो पश्चिम बंगाल से कांग्रेस का सफाया होने में देर नहीं लगेगी वैसे भी ममताबनर्जी ने कांग्रेस का सफाया करने में कोई कसर बाकी नहीं लगा रखी है- सम्पादकीय-News51.in